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Krishna Janambhoomi Case: ASI Examination Of Agra Jama Masjid Sought For Idols From Mathura Temple

Krishna Janambhoomi Case: ASI Examination Of Agra Jama Masjid Sought For Idols From Mathura Temple
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Yadavs heirs of Krishna, hand over Krishna Janmabhoomi land including mosque area to us: Plea in Mathura court


Updated Feb 18, 2021 | 18:57 IST
Mathura civil court will decide on the maintainability of this civil suit tomorrow.
(Representational Image)  |  Photo Credit: Thinkstock
New Delhi: It’s an altogether new twist to the ongoing Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah row as for the first time a civil suit on behalf of the Yadav community has been filed before Mathura Civil Court claiming rights and ownership over the entire 13.37 acre land which includes both the temple and the mosque.
The suit filed in the Mathura District Court by one Manish Yadav, President of the Hindu Army through his advocate Shailender Singh calls Yadav as the legal heir of Lord Krishna and the entire Yadav community the descendants of Krishna.

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Mathura Sri Krishna Janmabhoomi Case: Shahi Masjid Party Objection Accepted In Court - श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: कोर्ट में शाही मस्जिद पक्ष की आपत्ति स्वीकार, अब रिवीजन में सुनवाई


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उत्तर प्रदेश के मथुरा में जिला जज की अदालत ने सोमवार को श्रीकृष्ण विराजमान के दावे की अपील पर शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव की ओर से दाखिल की गई आपत्ति को स्वीकार कर लिया। इसके बाद अपील को संशोधित करते हुए रिवीजन में बदल दिया गया है। अदालत अब इस दावे की रिवीजन में सुनवाई करेगी। इसके लिए 28 जनवरी की तारीख तय की गई है। अदालत के इस निर्णय के बाद अपील में पक्षकार होने वाले अन्य दावों पर भी सुनवाई नहीं हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व अन्य ने श्रीकृष्ण विराजमान के भक्त के रूप में 25 सितंबर 2020 को अदालत में दावा किया था कि शाही मस्जिद ईदगाह के साथ वर्ष 1967 में हुए समझौते के बाद हुई डिक्री (न्यायिक निर्णय) को रद्द कर दिया जाए। जिससे कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान से संबंधित कटरा केशवदेव की 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण विराजमान को मिल सके। 
इस दावे में वादी की ओर से यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया था। श्रीकृष्ण विराजमान का दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत के अनुपस्थित होने के कारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना गया और उसे प्रकीर्ण वाद में दर्ज किया गया। 
सात जनवरी को दाखिल की गई थी आपत्ति
इस मामले में सुनवाई जिला जज यशवंत कुमार मिश्र की अदालत में चल रही थी। इसमें सात जनवरी को शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद द्वारा आपत्ति दर्ज करते हुए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया कि श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल की गई अपील प्रकीर्ण वाद में दर्ज होने के कारण सुनवाई योग्य नहीं है। 
इस प्रार्थनापत्र पर अदालत में 7 व 18 जनवरी को बहस हुई। इस बहस के बाद जिला जज ने आपत्ति को स्वीकार करते हुए निर्णय दिया कि इस दावे की सुनवाई अब निगरानी में रिवीजन के रूप में होगी। इसके लिए अदालत ने 28 जनवरी की तारीख तय की है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन व डीजीसी शिवराम तरकर ने बताया कि अब दावे की सुनवाई रिवीजन के रूप में अदालत में होगी।
पक्षकार बनने वालों के दावों को नहीं सुना जा सकेगा
अदालत के इस निर्णय के बाद जिन लोगों ने श्रीकृष्ण विराजमान के दावे की अपील पर स्वयं को पक्षकार बनाने के लिए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया था। अब उनके प्रार्थनापत्रों पर सुनवाई नहीं हो सकेगी। बता दें कि अभी तक करीब दस लोगों की ओर से दावे में स्वयं को पक्षकार बनाने के लिए अदालत को प्रार्थनापत्र दिया था।
हिंदू आर्मी के दावे पर हुई सुनवाई, फैसला 29 जनवरी को
सोमवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन नेहा बधौतिया की अदालत में हिंदू आर्मी चीफ मनीष यादव के दावे पर सुनवाई हुई। मनीष यादव ने खुद को श्रीकृष्ण विराजमान का वंशज बताते हुए श्रीकृष्ण जन्मस्थान के कटरा केशव देव से संबंधित 13.37 एकड़ जमीन की वर्ष 1968 में हुई डिक्री रद्द करने का दावा किया गया था। 
अदालत ने बहस के बाद निर्णय के लिए 29 जनवरी की तारीख तय की है। मनीष यादव ने बताया कि अदालत ने 29 जनवरी को उनके दावे के दाखिल होने के संबंध में निर्णय की तिथि दी है। इस दौरान उनके साथ अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह, अंकित तिवारी, वरुण मिश्रा, नितेश मिश्रा मौजूद थे।
विस्तार
उत्तर प्रदेश के मथुरा में जिला जज की अदालत ने सोमवार को श्रीकृष्ण विराजमान के दावे की अपील पर शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव की ओर से दाखिल की गई आपत्ति को स्वीकार कर लिया। इसके बाद अपील को संशोधित करते हुए रिवीजन में बदल दिया गया है। अदालत अब इस दावे की रिवीजन में सुनवाई करेगी। इसके लिए 28 जनवरी की तारीख तय की गई है। अदालत के इस निर्णय के बाद अपील में पक्षकार होने वाले अन्य दावों पर भी सुनवाई नहीं हो सकेगी।
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सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व अन्य ने श्रीकृष्ण विराजमान के भक्त के रूप में 25 सितंबर 2020 को अदालत में दावा किया था कि शाही मस्जिद ईदगाह के साथ वर्ष 1967 में हुए समझौते के बाद हुई डिक्री (न्यायिक निर्णय) को रद्द कर दिया जाए। जिससे कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान से संबंधित कटरा केशवदेव की 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण विराजमान को मिल सके। 
इस दावे में वादी की ओर से यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया था। श्रीकृष्ण विराजमान का दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत के अनुपस्थित होने के कारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना गया और उसे प्रकीर्ण वाद में दर्ज किया गया। 
सात जनवरी को दाखिल की गई थी आपत्ति
इस मामले में सुनवाई जिला जज यशवंत कुमार मिश्र की अदालत में चल रही थी। इसमें सात जनवरी को शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद द्वारा आपत्ति दर्ज करते हुए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया कि श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल की गई अपील प्रकीर्ण वाद में दर्ज होने के कारण सुनवाई योग्य नहीं है। 
इस प्रार्थनापत्र पर अदालत में 7 व 18 जनवरी को बहस हुई। इस बहस के बाद जिला जज ने आपत्ति को स्वीकार करते हुए निर्णय दिया कि इस दावे की सुनवाई अब निगरानी में रिवीजन के रूप में होगी। इसके लिए अदालत ने 28 जनवरी की तारीख तय की है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन व डीजीसी शिवराम तरकर ने बताया कि अब दावे की सुनवाई रिवीजन के रूप में अदालत में होगी।
पक्षकार बनने वालों के दावों को नहीं सुना जा सकेगा
अदालत के इस निर्णय के बाद जिन लोगों ने श्रीकृष्ण विराजमान के दावे की अपील पर स्वयं को पक्षकार बनाने के लिए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया था। अब उनके प्रार्थनापत्रों पर सुनवाई नहीं हो सकेगी। बता दें कि अभी तक करीब दस लोगों की ओर से दावे में स्वयं को पक्षकार बनाने के लिए अदालत को प्रार्थनापत्र दिया था।
हिंदू आर्मी के दावे पर हुई सुनवाई, फैसला 29 जनवरी को
सोमवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन नेहा बधौतिया की अदालत में हिंदू आर्मी चीफ मनीष यादव के दावे पर सुनवाई हुई। मनीष यादव ने खुद को श्रीकृष्ण विराजमान का वंशज बताते हुए श्रीकृष्ण जन्मस्थान के कटरा केशव देव से संबंधित 13.37 एकड़ जमीन की वर्ष 1968 में हुई डिक्री रद्द करने का दावा किया गया था। 
अदालत ने बहस के बाद निर्णय के लिए 29 जनवरी की तारीख तय की है। मनीष यादव ने बताया कि अदालत ने 29 जनवरी को उनके दावे के दाखिल होने के संबंध में निर्णय की तिथि दी है। इस दौरान उनके साथ अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह, अंकित तिवारी, वरुण मिश्रा, नितेश मिश्रा मौजूद थे।
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