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एक-एक कर अफगान लड़कियों को बचा रहीं डेनमार्क में बैठीं खालिदा | दुनिया | DW

डेनमार्क में रहने वाली अफगानिस्तान की पूर्व फुटबॉलर अपनी टीम की लड़कियों को देश से निकालने की कोशिशों में जुटी हैं. वह किसी भी तरह ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को बचा लेना चाहती हैं.

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kane williamson vs Virat kohli: Kane Williamson made 4th double century in test cricket now only after Virat Kohli


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बनेंगे। मुमकिन है कि न्यूज़ीलैंड के महानतम बल्लेबाज। आवाज़ : आशिता सेठ*ये लेखक के निजी विचार हैं
न्यूज़ीलैंड का शहर है माउंट मांगुनाई।
किवी क्रिकेट टीम के कप्तान केन विलियमसन का शहर। क्रिकेट स्टेडियम बे ओवल से महज एक किलोमीटर दूर है केन का घर, लेकिन यहां तक पहुंचना उतना ही मुश्किल, जितना मांगुनाई में बादलों से भरे किसी दिन बाहरी टीम के बल्लेबाजों के लिए बैटिंग करना।
पिछले साल न्यूज़ीलैंड दौरे का एक किस्सा है। केन विलियमसन के घर जाने के लिए जब स्थानीय पत्रकारों से पता पूछा तो उन्हें कोई जानकारी ही नहीं थी। हमारे हैरान होने की यह शुरुआत थी। किसी तरह बस इतना पता चला कि विलियमसन के घर से 500 मीटर की दूर पर एक मशहूर रेस्तरां है, जहां वह अक्सर आते हैं। हम वहां जा पहुंचे, लेकिन रेस्तरां मालिक भी बस इतना ही बता पाया कि न्यूज़ीलैंड के कप्तान का घर नजदीक के एक प्राइमरी स्कूल के आसपास है।
हमारे यहां घरों के बाहर नेमप्लेट होती है, लेकिन न्यूज़ीलैंड में मकान नंबर और नंबर से आप उसमें रहने वाले का पता नहीं जान सकते। खैर किसी तरह हम उस स्कूल तक पहुंच गए। वहां चार-पांच लोग मिले। उन लोगों को यह तो पता था कि विलियमसन का घर कहीं आसपास है, लेकिन कहां, ये जानकारी नहीं थी। एक भारतीय यह सोच भी नहीं सकता कि किसी को अपने पड़ोस में रहने वाले क्रिकेट स्टार की ख़बर न हो। लेकिन हम अपनी आंखों से इसे देख रहे थे। आधे तक उस इलाक़े में भटकने के बाद एकबारगी लगा कि अब लौट चला जाए। तभी वहां के प्राइमरी स्कूल के प्रिसिंपल से मुलाकात हो गई। उन्हें भी मकान नंबर नहीं पता था, पर इतना ज़रूर बता दिया कि स्कूल जिस तरफ है, वह रास्ता ख़त्म होने से ठीक पहले विलियमसन का
नया बना घर पड़ता है। देखते ही लग जाएगा कि वह विलियमसन का घर है।
ये वह सादगी और विनम्रता है, जो न्यूज़ीलैंड के लोगों में रची-बसी है। यही चीज़ आपको दिखती है विलियमसन के
खेल में। टेस्ट क्रिकेट में उनके आंकड़े करीब-करीब भारतीय कप्तान विराट कोहली जैसे ही हैं, लेकिन उन्हें वह फोकस और तारीफ कभी नहीं मिलती। विलियमसन को इसका मलाल भी नहीं। टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन बल्लेबाज बनने के बाद उन्होंने कहा, 'कोहली और स्मिथ बेस्ट हैं। इन दोनों से आगे निकलना मेरे लिए चौंकाने वाला और विनम्र बनाने वाला अनुभव है। वे दोनों तो साल दर साल, हर फॉर्मेट में आगे चलते हैं और इनके ख़िलाफ़ खेलना मेरा सौभाग्य है।'
विलियमसन की बातों में विरोधियों के लिए सम्मान है, लेकिन कुछ तथ्य ज़रूर देखने चाहिए। यह किवी बल्लेबाज पहली बार 2015 में नंबर वन बना था। उसके बाद से स्टीव स्मिथ और कोहली के बीच ही जंग चलती रही। केवल टेस्ट की बात करें तो स्मिथ का रेकॉर्ड बाकी दोनों से काफी बेहतर नज़र आता है। यूं ही नहीं ऑस्ट्रेलियाई मीडिया उन्हें डॉन ब्रैडमैन के बाद दूसरे नंबर पर रखने को उतारू हो गया था। हालांकि फिर भी अगर तीनों में से किसी एक को चुनना हो तो कशमकश वैसी ही हो जाती है जैसी रोजर फेडरर, राफेल नडाल और जोकोविच को लेकर।
यह कहना मुश्किल है कि टेनिस के इन तीन सितारों में किसकी चमक ज़्यादा है। इस साल जब जोकोविच ऑस्ट्रेलियन ओपन में अपना 18वां ग्रैंड स्लेम जीतने की कोशिश में कोर्ट पर उतरेंगे तो टेनिस जगत में फिर से वही बहस शुरू हो जाएगी कि तीनों में महानतम कौन? फेडरर और नडाल के पास फिलहाल 20-20 ग्रैंड स्लैम हैं, लेकिन जोकोविच के समर्थक तर्क देते हैं कि बिग टाइटल्स के मामले में उनका खिलाड़ी सबसे आगे है। बिग टाइटल्स का मतलब हुआ ग्रैंड स्लैम, एटीपी फाइनल्स, मास्टर्स 1000 टूर्नामेंट और ओलिंपिक सिंगल्स गोल्ड मेडल। जोकोविच के पास ऐसे 58 खिताब हैं। नडाल के पास 55 और फेडरर के पास 54। इसी तरह का तर्क क्रिकेट प्रशंसक भी तलाश लाते हैं कि टेस्ट नहीं, साथ में वनडे और टी-20 को भी जोड़ लीजिए। कई मर्तबा तो आईपीएल की कप्तानी और परफॉर्मेंस भी।
एक खिलाड़ी और है, जो कभी इस तिकड़ी के करीब था और तब यह चौकड़ी हुआ करती थी, इंग्लैंड के कप्तान जो रूट। फिलहाल नंबर वन की रेस में रूट बहुत पीछे दिख रहे हैं, लेकिन उन्हें कभी भी नकारा नहीं जा सकता। साल 2015 में जब इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को एशेज़ सीरीज़ में मात दी तो खिताब के अलावा उसे एक उपलब्धि और हासिल हुई। लंबे अर्से बाद आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में उसका कोई बैट्समैन नंबर वन बना था। जो रूट ने अपने शानदार खेल के ज़रिए स्मिथ को हटाकर यह गद्दी हासिल की थी, पर वह इसे लंबे समय तक अपने पास नहीं रख पाए। कोहली और विलियमसन की एंट्री के साथ रूट पिछड़ते चले गए।
वैसे आपको याद दिला चाहूंगा कि बात बहुत पुरानी नहीं है। न्यूज़ीलैंड के पूर्व टेस्ट कप्तान मार्टिन क्रो ने अपनी मौत से पहले एक आर्टिकल लिखा था। एक तरह की भविष्यवाणी थी इसमें। क्रो ने लिखा था कि भविष्य में ये चारों बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन के लिए बारी-बारी से अपनी दावेदारी पेश करेंगे। अपने-अपने मुल्कों की कप्तानी भी करेंगे ये खिलाड़ी। भविष्यवाणी सच हो चुकी है। रूट और विलियसम को कोहली के मुक़ाबले यह ज़िम्मेदारी टेस्ट क्रिकेट में थोड़ी देर से मिली। वहीं स्मिथ भी ऑस्ट्रेलियाई कप्तान के तौर पर ख़ुद को साबित कर चुके हैं। उन्हें दोबारा कप्तान बनाने की चर्चा कंगारू मीडिया में चल रही है। चारों खिलाड़ी पिछले कई बरसों से टेस्ट क्रिकेट की टॉप 10 लिस्ट में हैं। इनमें इकलौते कोहली हैं, जो वनडे और टी-20 रैंकिंग में भी छाए रहते हैं।
इन चारों खिलाड़ियों का दबदबा हमें ले जाता है 1990 के दशक की तरफ, जहां एक साथ चार धुरंधर बल्लेबाज अपना वर्चस्व साबित करने की होड़ में जुटे होते थे- सचिन तेंडुलकर, ब्रायन लारा, रिकी पोटिंग और इंज़माम-उल-हक। बहस तब भी थी कि सर्वश्रेष्ठ कौन। विदेशी पिचों पर बहुत ज़्यादा कामयाब नहीं होने के चलते इंज़माम इस दौड़ से कुछ वक़्त बाद बाहर हो गए, लेकिन लारा, सचिन और पोटिंग की त्रिमूर्ति के बीच यह जंग बरकरार रही। सचिन ने भले ही 100 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाकर एक अद्भुत मुकाम हासिल किया, पर इससे लारा और पोटिंग की हस्ती किसी भी लिहाज़ से कम नहीं हुई।
फिर से वर्तमान की चौकड़ी पर आते हैं। ठीक पांच साल पहले टेस्ट क्रिकेट में स्मिथ का औसत 58 और रूट का 54 से ज़्यादा था। कोहली और विलियमसन 45 की एवरेज के आसपास थे। फिर रूट की फॉर्म खराब हुई और औसत 50 के नीचे आ गई। दूसरी और कोहली और विलियमसन के आंकड़े लगभग एक जैसे हैं। आपको नहीं लगता कि यह कहानी भी 90 के दशक की तरह ही आगे बढ़ रही है!
एक और दिलचस्प बात है। 2008 में हुए अंडर-19 विश्व कप के दौरान रूट को छोड़कर बाकी तीनों ने आने वाले भविष्य की झलक दी थी। स्मिथ को भले ही अपना पहला टेस्ट शतक लगाने के लिए 23 पारियों तक इंतज़ार करना पड़ा हो, लेकिन 30 मैच खेलने के बाद उनका औसत डॉन ब्रैडमैन और एवर्ट्न वीक्स जैसे महानतम बल्लेबाज़ों से ही कम है। वहीं, कोहली को पहली टेस्ट सीरीज़ के बाद बाहर होना पड़ा, लेकिन उसके बाद जो उन्होंने वापसी की तो उसका कोई जोड़ आपको शायद न मिले। अब पिछले 50 टेस्ट मैचों में करीब 68 का टेस्ट औसत हासिल करने के बाद कीवी विलियमसन भी अपने समकालीन कोहली और स्मिथ की तरह टेस्ट क्रिकेट में स्तरीय बल्लेबाजी के मानक बन गए हैं। उनके बारे में माना जा रहा है कि वह क्रो से भी बेहतरीन बल्लेबाज बनेंगे। मुमकिन है कि न्यूज़ीलैंड के महानतम बल्लेबाज।
आवाज़ : आशिता सेठ
*ये लेखक के निजी विचार हैं

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