Detailed description is Dalit Aadiwasi,SC,ST,OBC,,Minorty, Muslim & Moolnivasi Pliz Like the Page. Details:-. Rajasthan Pradesh Adhyaksh- Dr. Anil Tatu. Rajasthan Yuva Pradesh Adhyaksh- Prakash Moondiyakheda. Nagaur Jila Adhyaksh- Roshan Khan Dayamkhani. & I M ALSO A MEMBER (ALTAF KHAN). . 85 साल पहले, डा. आम्बेडकर ने रात्रि के 9 बजे हिन्दू भारत का तानाबाना बुनने वाली मनुस्मृति-मनु के कानून के दहन संस्कार का नेतृत्व किया था। वह क्रिसमस का दिन था। 25 दिसंबर, 1927। लपटों ने अंधेरे आकाश में उजाला फैला दिया था। कुछ लोगों कहना है की आम्बेडकर ने ब्राहमणों की इस पुस्तक को सार्वजनिक रूप से नष्ट करने का निर्णय आखिरी क्षणों में लिया था, यह जल्दी में किया गया दहतीक मानते हैं जो सदियों से हमारे साथ हो रहा है। उसकी शिक्षाओं के कारण हमें घोर गरीबी में जीना पड़ रहा है। इसलिए हमने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर, अपनी जान हथेली पर रखकर यह काम किया (राइटिंग एंड स्पीचिज ऑफ डॉ. बाबा साहब इतिहास दिसंबर, २०१२) उस इतिहास निर्मात्री क्रिसमस की रात सभी कार्यकर्ताओं ने पांच पवित्र संकल्प लिए।1. मैं जन्म-आधारित चतुर्वर्ण में विश्वास नहीं रखता।2. मैं जातिगत भेदभाव में विश्वास नहीं रखता।3. मैं विश्वास करता हूं की अछूत प्रथा, हिन्दू धर्म का कलंक है और मैं अपनी पूरी ईमानदारी और क्षमता से उसे समूल नष्ट करने की कोशिश करूँगा l4. यह मानते हुए की कोई छोटा-बड़ा नहीं है, मैं खानपान के मामले में, कम से कम हिन्दुओं के बीच, किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करूँगा l5. मैं विश्वास करता हूँ की मंदिरों, पानी के स़्त्रोतों, स्कूलों और अन्य सुविधाओं पर बराबर का अधिकार है।छ:ह लोगों ने दो दिन की मेहनत से सभा के लिए पंडाल बनाया था। पंडाल के नीचे गडढा खोदा गया था, जिसकी गहराई छह इंच थी और लम्बाई व चौड़ाई डेढ़-डेढ़ फीट। इसमें चंदन की लकड़ी के टुकड़े भरे हुए थे। गड्ढे के चारों कोनों पर खंभे गाड़े गए थे। तीन ओर बैनर टंगे थे। क्रिसमस कार्ड की तरह झूल रहे इन बैनरों पर लिखा था – मनुस्मृति दहन भूमि। – छुआछूत को नष्ट करो । वे क्या सोच रहे थे ? उस समय डा. आम्बेडकर के दिमाग में क्या चल रहा था ? सन् 1927 का वह क्रिसमस भारत के लिए आज भी क्यों महत्वपूर्ण है ?आम्बेडकर के लिए स्मृति साहित्य और विशेषकर मनुस्मृति…जन्म न की योग्यता को व्यक्ति की समाज में भूमिका का निर्धारक बनाता था, शूद्रों को गुलामों का दर्जा देता था और महिलाओं को गुमनामी की JINDGI.
Established in the recent years Dams Nagaur - दलित आदिवासी एवं मूल निवासी संघ नागौर in nagaur, rajasthan in india.
This well-known establishment acts as a one-stop destination servicing customers both local and from other parts of the city...