नयी दिल्ली, 29 जून (एजेंसी)
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के ट्विटर अकाउंट अस्थायी रूप से बंद किए जाने के मामले में इस माइक्रो-ब्लॉगिंग इकाई से जवाब मांगा गया है। सूत्रों ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी मामलों संबंधी स्थायी समिति ने ट्विटर को पत्र भेजकर दो दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है। सूत्रों ने बताया कि थरूर ने समिति को निर्देश दिया था कि प्रसाद और उनके अकाउंट पर रोक लगाने को लेकर ट्विटर से जवाब मांगा जाए।
दरअसल, प्रसाद ने कुछ दिनों पहले ट्वीट कर अपने अकाउंट को अस्थायी रूप से बंद किए जाने की जानकारी दी थी। प्रसाद के इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए थरूर ने भी कहा था, ‘रवि जी, मेरे साथ भी यही हुआ। स्पष्ट रूप से डीएमसीए अति सक्रिय हो रहा है।' थरूर ने तब कहा था कि इस मामले को लेकर ट्विटर से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
यूपी में एफआईआर
नोएडा : उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में पुलिस ने भारत का गलत नक्शा पेश करने के मामले में ‘ट्विटर इंडिया' के दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। बजरंग दल के एक पदाधिकारी प्रवीण भाटी की शिकायत के आधार पर सोमवार की शाम खुर्जा नगर पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। विश्व मानचित्र में केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को भारत के नक्शे से बाहर दिखाया गया था, जिसको लेकर सोमवार को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने विरोध व्यक्त किया था। सोमवार की शाम को ट्विटर ने विवादित नक्शा हटा दिया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार एफआईआर में ‘ट्विटर इंडिया' के प्रबंधक निदेशक मनीष माहेश्वरी और ‘न्यूज पार्टनरशिप' प्रमुख अमृता त्रिपाठी का नाम बतौर आरोपी दिया गया है।
संसदीय समिति के सामने पेश हुए फेसबुक और गूगल
नयी दिल्ली : फेसबुक और गूगल के अधिकारियों ने सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग के मुद्दे पर मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर इस समिति के अध्यक्ष हैं। फेसबुक के भारत में लोक नीति निदेशक शिवनाथ ठुकराल और जनरल काउन्सल नम्रता सिंह ने समिति के समक्ष अपनी बात रखी। गूगल की तरफ से भारत में उसके सरकारी मामलों एवं लोक नीति के प्रमुख अमन जैन तथा निदेशक (विधि) गीतांजलि दुग्गल ने समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा। इससे पहले फेसबुक के प्रतिनिधियों ने संसदीय समिति को सूचित किया था कि कोविड संबंधी प्रोटोकॉल के चलते उनकी कंपनी की नीति उनके अधिकारियों को भौतिक मौजूदगी वाली बैठकों में जाने की अनुमति नहीं देती है। हालांकि, समिति के अध्यक्ष थरूर ने फेसबुक से कहा कि उसके अधिकारियों को बैठक में पहुंचना होगा, क्योंकि संसदीय सचिवालय डिजिटल बैठक की अनुमति नहीं देता है। आने वाले हफ्तों में समिति यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया इकाइयों के प्रतिनिधियों को समन करेगी।
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5 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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