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दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कोरोना दवाईयों के नाम पर देशभर में लोगों के साथ ठगी करने वाले एक अन्य नालंदा गिरोह का पर्दाफाश कर नाबालिग समेत चार आरोपियों को पकड़ा है। इस नालंदा गिरोह के सदस्यों ने नालंदा, बिहार के मैरा गांव में खेतों के बीच स्थित बगीची में कॉल सेंटर बना रखा था।
आरोपी ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल नंबरों को बगीची के रखते थे, ताकि पुलिस इनकी लोकेशन को न जान सके। आरोपी दिल्ली समेत पूरे देश में 500 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं। पुलिस ने इनके पास से 23 मोबाइल फोन, 23 सिम, चार लैपटॉप और दो क्रेडिट कार्ड बरामद किए हैं। पुलिस ने दिल्ली में दर्ज जालसाजी के 13 केसों को सुलझाने का दावा किया है।
अपराध शाखा डीसीपी मोनिका भारद्वाज के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों की सहायता के लिए दिल्ली पुलिस ने कई हेल्पाइन खोली थीं। इन हेल्पलाइन व अन्य तरीकों से आई शिकायतों के बाद 500 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे और मामले की जांच स्पेशल सेल की साइबर सेल व अपराध शाखा को सौंपी गई थी।
पीड़ित राजीव तनेजा की शिकायत पर अपराध शाखा में मामला दर्ज किया गया था। राजीव तनेजा को टोसिलिजुमैब की जरूरत थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर दिए गए एक नंबर पर संपर्क किया। आरोपियों ने उनसे 70 हजार रुपये ठग लिए। इंस्पेक्टर पंकज मलिक की देखरेख में एसआई रोहित कुमार और एसआई रूपेश बलियान की टीम ने जांच शुरू की।
जांच में पता लगा कि सोशल मीडिया पर दिए गए मोबाइल नंबर पश्चिमी बंगाल निवासी मोक्ताहर मोल्ला के नाम पर रजिस्टर्ड था, मगर ये फोन गांव मैरा, नालंदा, बिहार में चल रहा था। एसएसआई रोहित कुमार की टीम गांव मैरा पहुंची तो पता लगा कि मोबाइल की लोकेशन लगातार खेतों के बीच आ रही है।
एसआई रोहित कुमार ने मैरा गांव में 25 दिन रूककर नाबालिग समेत चार आरोपी राजेश पासवान उर्फ राजू(31), नाबालिग, मनोज प्रसाद उर्फ मनोज महतो और सुबोध यादव को पकड़ लिया। सुबोध यादव और मनोज महतो दोनों गिरोह के मास्टरमाइंड है।
आरोपी कोरोना दवाईयां जल्द उपलब्ध कराने के नाम पर पीड़ितों से ठगी करते थे। ये कोरोना दवाईयां उपलब्ध कराने के नाम पर बैंक खातों पर पैसा जमा करा लेते थे और उसके बाद गायब हो जाते थे।
विस्तार
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कोरोना दवाईयों के नाम पर देशभर में लोगों के साथ ठगी करने वाले एक अन्य नालंदा गिरोह का पर्दाफाश कर नाबालिग समेत चार आरोपियों को पकड़ा है। इस नालंदा गिरोह के सदस्यों ने नालंदा, बिहार के मैरा गांव में खेतों के बीच स्थित बगीची में कॉल सेंटर बना रखा था।
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आरोपी ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल नंबरों को बगीची के रखते थे, ताकि पुलिस इनकी लोकेशन को न जान सके। आरोपी दिल्ली समेत पूरे देश में 500 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं। पुलिस ने इनके पास से 23 मोबाइल फोन, 23 सिम, चार लैपटॉप और दो क्रेडिट कार्ड बरामद किए हैं। पुलिस ने दिल्ली में दर्ज जालसाजी के 13 केसों को सुलझाने का दावा किया है।
अपराध शाखा डीसीपी मोनिका भारद्वाज के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों की सहायता के लिए दिल्ली पुलिस ने कई हेल्पाइन खोली थीं। इन हेल्पलाइन व अन्य तरीकों से आई शिकायतों के बाद 500 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे और मामले की जांच स्पेशल सेल की साइबर सेल व अपराध शाखा को सौंपी गई थी।
पीड़ित राजीव तनेजा की शिकायत पर अपराध शाखा में मामला दर्ज किया गया था। राजीव तनेजा को टोसिलिजुमैब की जरूरत थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर दिए गए एक नंबर पर संपर्क किया। आरोपियों ने उनसे 70 हजार रुपये ठग लिए। इंस्पेक्टर पंकज मलिक की देखरेख में एसआई रोहित कुमार और एसआई रूपेश बलियान की टीम ने जांच शुरू की।
जांच में पता लगा कि सोशल मीडिया पर दिए गए मोबाइल नंबर पश्चिमी बंगाल निवासी मोक्ताहर मोल्ला के नाम पर रजिस्टर्ड था, मगर ये फोन गांव मैरा, नालंदा, बिहार में चल रहा था। एसएसआई रोहित कुमार की टीम गांव मैरा पहुंची तो पता लगा कि मोबाइल की लोकेशन लगातार खेतों के बीच आ रही है।
एसआई रोहित कुमार ने मैरा गांव में 25 दिन रूककर नाबालिग समेत चार आरोपी राजेश पासवान उर्फ राजू(31), नाबालिग, मनोज प्रसाद उर्फ मनोज महतो और सुबोध यादव को पकड़ लिया। सुबोध यादव और मनोज महतो दोनों गिरोह के मास्टरमाइंड है।
आरोपी कोरोना दवाईयां जल्द उपलब्ध कराने के नाम पर पीड़ितों से ठगी करते थे। ये कोरोना दवाईयां उपलब्ध कराने के नाम पर बैंक खातों पर पैसा जमा करा लेते थे और उसके बाद गायब हो जाते थे।
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