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सोनीपत में नेशनल हाईवे-44 को 8 लेन करने का चल रहा काम। -निस
हरेंद्र रापड़िया/निस
सोनीपत, 4 जुलाई
सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार मुकरबा चौक, दिल्ली से पानीपत तक प्रस्तावित 8 लेन हाईवे पर सरपट वाहन दौड़ाने के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना होगा। नेशनल हाईवे-44 का शुरुआत में जिस कंपनी को यह प्रोजेक्ट दिया गया था, उससे कार्यप्रणाली से असंतुष्ट होकर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसका टेंडर दूसरी कंपनी को दे दिया। लॉकडाउन ने इसकी गति पर फिर विराम लगा दिया। अनलॉक होने से काम ने गति तो पकड़ी मगर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 7 महीने से कुंडली बॉर्डर से लेकर केजीपी-केएमपी के जीरो प्वाइंट तक करीब 8 किलोमीटर में बैठे किसान इसके आड़े आ गए। वह बात अलग है कि बाकी हिस्सों में काम चल रहा है मगर उसके बावजूद भी लोगों को इस पर वाहन दौड़ाने के लिए इंतजार करना होगा। हाईवे अधूरा होने के कारण यहां हादसे होते हैं। खासकर रात के समय गड्ढों का पता नहीं चलता और वाहन चालक हादसे का शिकार हो जाते हैं।
2015 पीएम ने किया था शिलान्यास
दिल्ली को हरियाणा के अलावा चंड़ीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू व कश्मीर को जोड़ने वाली जीटी रोड के मुकरबा चौक, दिल्ली से पानीपत के बीच करीब 70 किलोमीटर लंबे जीटी रोड का शिलान्यास 5 नवंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने किया था। प्रधानमंत्री ने शिलान्यास के दौरान कहा था कि इस हाईवे के महत्व को देखते हुए इसे कम समय में बनाने का प्रयास किया जाएगा। सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत में इसे 6 लेन का हाईवे बनाना था, लेकिन हैवी ट्रैफिक को देखते हुए इसे 8 लेन में बदल दिया गया। इसके अलावा दोनों ओर दो-दो लेन के सर्विस रोड भी तैयार करने हैं। उस समय इस पर करीब 2128.72 करोड़ की लागत आने का अनुमान लगाया गया था, मगर प्रोजेक्ट में देरी होने के कारण लागत और बढ़ गई। यह रकम बिल्ड आपरेशन एंड ट्रासंफर मोड (बीओटी) के आधार पर खर्च करने थे जिसे निर्माण अवधि से लेकर 17 साल तक कंपनी को टोल वसूलना था।
कंपनी बदलने के बाद अगस्त-2021 तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लॉकडाउन लगने की वजह से लेबर की दिक्कत आ गई। इसके अलावा नरेला, गन्नौर और सिवाह के बाद नए आरओबी तैयार करने के कार्य को प्रोजेक्ट में बाद में शामिल करने से काम और बढ़ गया। अब काम तेजी से कराया जा रहा है। सर्विस रोड समेत इस काम को अक्तूबर-नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। बाकी बचे काम को आंदोलनरत किसानों द्वारा जीटी रोड की जगह खाली करने के बाद ही कराना संभव है। कंपनी तय सीमा में प्रोजेक्ट को पूरा करेगी।
-हनुमंत सांगवान, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई
दूसरी कंपनी को मिला जिम्मा
निर्माता कंपनी एस्सल ग्रुप को इससे अप्रैल 2019 तक पूरा करना था। शुरुआत में कंपनी ने काम में गति दिखाई मगर यह ज्यादा दिन कायम नहीं रह पाई। हालात यहां तक पहुंच गए कि जीटी रोड पर जगह-जगह खुदाई कर काम को बीच में छोड़ने के कारण आए दिन हादसे होने लगे और कई लोगों की जान भी चली गई। जीटी रोड पर रोजाना करीब 60 हजार से अधिक वाहनों के गुजरने के कारण यहां पर आए दिन जाम आम हो गया। बाद में एस्सल कंपनी ने लगभग काम को रोक दिया। इसके बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ठेका बदल कर वैलस्पन कंपनी को दे दिया।
क्या है पूरा प्रोजेक्ट
सोनीपत में नेशनल हाईवे पर अधूरा पड़ा फ्लाईओवर। -निस
इस प्रोजेक्ट के तहत जीटी रोड को 8 लेन करना है। इसके अलावा हाईवे के बीच पड़ने वाले सभी कटों को बंद करना है। इससे लिए हाईवे पर 29 छोटे पुल व 10 बड़े फ्लाईओवर, सभी फ्लाईओवर के नीचे अंडरपास, 11 फुट ओवरब्रिज, 15 प्रमुख सड़क जंक्शन बनने हैं। प्रमुख सड़क जंक्शनों को यातायात प्रभावित किए बिना मुख्य सड़कों से जोड़ा जाएगा। बाद में इसमें नरेला के पास शिफ्ट होने वाली फल व सब्जी मंडी, गन्नौर में निर्माणाधीन अंतर्राष्ट्रीय फल व फूल मंडी और पानीपत में सिवाह के पास तीन रोड ओवरब्रिज बनाने का फैसला लिया गया है। प्रोजेक्ट में बाद में जोड़े गए इन तीन ओवरब्रिज पर अतिरिक्त तौर पर 203 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
अधूरा हाईवे हादसों का खतरा
सोनीपत में फ्लाईओवर बनने के चलते डायवर्ट किया गया रोड। -निस
हाईवे पर अस्त-व्यस्त पड़ी निर्माण सामग्री और खुदाई के कारण खासकर रात को हादसों का खतरा बढ़ रहा है। हादसों की फेहरिस्त लंबी है। विगत 7 जुलाई को जीटी रोड पर एक कार अनियंत्रित होकर साइड में खोदे गए गड्ढे में लुढ़क गई और उसमें सवार दो लोग घायल हो गए। इसमें एक घायल राकेश ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। घायल राजेश का कहना है कि गड्ढा हादसे का कारण बना। 23 अगस्त, 2020 को दिल्ली से मुरथल ढाबे पर खाना खाने आ रहे युवकों की कार मुरथल के निकट क्षतिग्रस्त हो गई। हादसे में दिल्ली के तुषार गुप्ता (23), मेघा खत्री (23), वैभव सकराल (23), शुभम शर्मा (23) की मौत हो गई थी। ज्योत स्वरूप (24) घायल हो गए थे। परिजनों का आरोप था कि अधूरे पड़े निर्माण के चलते दुर्घटना हुई। चार दिन पहले बहालगढ़ के पास हादसे में कैंटर चालक और दो दिन पहले ट्रक चालक की जान चली गई। जिले में छह माह के दौरान 184 लोगों की जान गई है, जिसमें से 30 फीसदी लोगों ने हाईवे पर जान गंवाई है। पुलिस की माने तो लॉकडाउन में ट्रैफिक कम होने और अधूरे निर्माण की वजह से स्लो-स्पीड होने के कारण हादसों की संख्या में गिरावट आई है।
मैं इस प्रोजेक्ट पर निगाह रखे हुए हूं। बैठकों में प्रोगेस रिपोर्ट ली जा रही है। हाईवे पर आजकल कामकाम तेजी से चल रहा है। इसे नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। कुंडली बॉर्डर पर बैठे किसानों द्वारा जीटी रोड से उठने के बाद एकाध महीने में निपटा लिया जाएगा।
-रमेश कौशिक, सांसद सोनीपत
शुरुआती टेंडर अयोग्य फर्म को दिए जाने की वजह से यह प्रोजेक्ट काफी लेट चल रहा है। इस अनावश्यक देरी की वजह से जीटी रोड पर हादसे होना और जाम लगना रोज की बात हो गई है। हादसों में अनेक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस पर नजर रखने के लिए सरकार को एक कमेटी का गठन करना चाहिए ताकि इसमें किसी भी तरह की देरी को टाला जा सके।
-सुरेंद्र पवार, विधायक, सोनीपत
हो रही परेशानी
स्थानीय निवासी सुरेंद्र नरवाल का कहना है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसके निर्माण के लिए कंपनी चयन में सावधानी बरती होती तो कई राज्यों के लोगों को सालों से यह परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।
झेल रहे जाम
सस्थानीय निवासी सुखजिंद्र सिंह बताते हैं कि उन्हें कामकाज के सिलसिले में रोजाना सोनीपत से दिल्ली के बीच अप डाउन करना पड़ता है। प्रोजेक्ट में देरी के कारण आए दिन में जाम की परेशानी झेल रहे हैं। अब तो इससे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि कंपनी से प्रोजेक्ट के बारे समय-समय पर जानकारी ले।
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14 घंटे पहले
14 घंटे पहले
14 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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