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पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के जरिए जासूसी के मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है। गिरफ्तार सेना के जवान परमजीत को हर महीने 50 हजार रुपये मिलते थे। वह अपने कर्ज  को उतारने के लिए जासूसी रैकेट में शामिल हो गया था। बदले में वह सेना की हर सीक्रेट फाइल व कांफिडेंशियल फाइल की जानकारी हबीबुर्रहमान के जरिए पाकिस्तान हैंडलर को देता था। पुलिस को परममजीत के कब्जे से छह मोबाइल फोन मिले हैं। दूसरी तरफ हबीबुर्रहमान उर्फ हबीब कई बार पाकिस्तान जा चुका है। उसने पाकिस्तान जाने के लिए दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास से वीजा लिया था। 
अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परमजीत और हबीबुर्रहमान की पोकरण में मुलाकात फरवरी 2018 में हुई थी। गुप्त सूचनाएं देने पर परमजीत को शुरू में पांच हजार रुपये दिए जाते थे। बाद में पाकिस्तान हैंडलर ने उससे सेना की उसकी पहुंच में मौजूद हर गोपनीय व संवेदनशील फाइल की जानकारी मांगनी शुरू कर दी।
परमजीत ये सूचनाएं देने लगा तो उसे हर महीने 50 हजार रुपये तक दिए जाने लगे। परमजीत ने पूछताछ में ये बताया है कि उस पर बहुत ज्यादा कर्जा है। उसकी सैलरी का बहुत बड़ा हिस्सा कर्जे के किश्त देने में चला जाता था। ऐसे में वह हर समय आर्थिक तंगी में रहता था। इस कारण वह जासूसी नेटवर्क में शामिल हो गया। 
पुलिस अधिकारियों के अनुसार दोनों की आरोपियों को मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कराया जाएगा। इससे ये पता लगा कि आरोपी किस हद तक सही बोल रहे हैं। जांच में ये भी बात सामने आई है कि हबीबुर्रहमान कई बार पाकिस्तान जा चुका है। उसे हर बार वीजा आसानी से मिल जाता था। ऐसे में दिल्ली पुलिस ये देख रही है कि पाकिस्तानी दूतावास का कोई अधिकारी या कर्मचारी तो उससे मिला हुआ तो नहीं है जो उसे आसानी से वीजा दिलवा देता था। 
गूगल पे से भी पैसे दिए जाते थे....
पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरोपी परमजीत के कब्जे छह मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। आरोपी को गुप्त सूचनाएं देने के आरोप में उसे गूगल पे से भी पैसे दिए जाते थे। इसके अलावा उसे कई बार नकद रकम भी दी गई है। पुलिस इस बात की जानकारी जुटा रही है कि परमजीत सेना में सीक्रेट व संवेदनशील फाइल तक कैसे पहुंचता था। इसके लिए दिल्ली पुलिस ने सेना को चिट्ठी मिली है। 
विस्तार
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के जरिए जासूसी के मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है। गिरफ्तार सेना के जवान परमजीत को हर महीने 50 हजार रुपये मिलते थे। वह अपने कर्ज  को उतारने के लिए जासूसी रैकेट में शामिल हो गया था। बदले में वह सेना की हर सीक्रेट फाइल व कांफिडेंशियल फाइल की जानकारी हबीबुर्रहमान के जरिए पाकिस्तान हैंडलर को देता था। पुलिस को परममजीत के कब्जे से छह मोबाइल फोन मिले हैं। दूसरी तरफ हबीबुर्रहमान उर्फ हबीब कई बार पाकिस्तान जा चुका है। उसने पाकिस्तान जाने के लिए दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास से वीजा लिया था। 
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अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परमजीत और हबीबुर्रहमान की पोकरण में मुलाकात फरवरी 2018 में हुई थी। गुप्त सूचनाएं देने पर परमजीत को शुरू में पांच हजार रुपये दिए जाते थे। बाद में पाकिस्तान हैंडलर ने उससे सेना की उसकी पहुंच में मौजूद हर गोपनीय व संवेदनशील फाइल की जानकारी मांगनी शुरू कर दी।
परमजीत ये सूचनाएं देने लगा तो उसे हर महीने 50 हजार रुपये तक दिए जाने लगे। परमजीत ने पूछताछ में ये बताया है कि उस पर बहुत ज्यादा कर्जा है। उसकी सैलरी का बहुत बड़ा हिस्सा कर्जे के किश्त देने में चला जाता था। ऐसे में वह हर समय आर्थिक तंगी में रहता था। इस कारण वह जासूसी नेटवर्क में शामिल हो गया। 
पुलिस अधिकारियों के अनुसार दोनों की आरोपियों को मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कराया जाएगा। इससे ये पता लगा कि आरोपी किस हद तक सही बोल रहे हैं। जांच में ये भी बात सामने आई है कि हबीबुर्रहमान कई बार पाकिस्तान जा चुका है। उसे हर बार वीजा आसानी से मिल जाता था। ऐसे में दिल्ली पुलिस ये देख रही है कि पाकिस्तानी दूतावास का कोई अधिकारी या कर्मचारी तो उससे मिला हुआ तो नहीं है जो उसे आसानी से वीजा दिलवा देता था। 
गूगल पे से भी पैसे दिए जाते थे....
पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरोपी परमजीत के कब्जे छह मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। आरोपी को गुप्त सूचनाएं देने के आरोप में उसे गूगल पे से भी पैसे दिए जाते थे। इसके अलावा उसे कई बार नकद रकम भी दी गई है। पुलिस इस बात की जानकारी जुटा रही है कि परमजीत सेना में सीक्रेट व संवेदनशील फाइल तक कैसे पहुंचता था। इसके लिए दिल्ली पुलिस ने सेना को चिट्ठी मिली है। 
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