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गर्भवती महिलाओं में कोरोना वायरस के अब तक काफी मामले सामने आए हैं। साथ ही ज्यादातर मामलों में नवजात शिशु कोरोना निगेटिव पाए गए हैं लेकिन महाराष्ट्र के वैज्ञानिकों ने अब खुलासा किया है कि कम से कम छह फीसदी नवजात शिशुओं में संक्रमित मां से कोरोना वायरस पहुंचा है। इन शिशुओं में सेप्सिस फैलने का खतरा 4.09 फीसदी मिला है। जबकि चार फीसदी से ज्यादा मौत की आशंका भी देखने को मिली है।
गर्भवती महिलाओं में कोरोना वायरस के अधिक से अधिक प्रभावों को जानने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय रजिस्ट्री शुरू की है। यहां देश भर के अस्पतालों से जानकारी एकत्रित की जाएगी जिस पर वैज्ञानिकों का अध्ययन शुरू होगा। जानकारी के अनुसार इस रजिस्ट्री के शुरू होने से वैज्ञानिकों को न सिर्फ गर्भावस्था में वायरस के असर को समझने में मदद मिलेगी बल्कि प्रसवोत्तर महिलाओं की सामाजिक, जनसांख्यिकी, नैदानिक और प्रजनन विशेषताओं के बारे में भी पता चलेगा।
आईसीएमआर के सहयोग से यह राष्ट्रीय रजिस्ट्री का नाम प्रेग्कोविड रखा गया है जिसे नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ, महाराष्ट्र सरकार के मेडिकल एजुकेशन एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट और टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज की टीम संचालित करेगी।
इनके अलावा मुंबई के बीवाईएल नायर चैरिटेबल अस्पताल की टीम भी सहयोग करेगी। यहां देशभर की सभी सरकारी एजेंसी और अस्पताल गर्भवती महिलाओं से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराएंगे। अभी तक देश में कैंसर रोग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्ट्री कार्यक्रम संचालित है। नई दिल्ली स्थित आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भर में कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वालीं गर्भवती महिलाओं के सभी चिकित्सीय कागजात यहां साझा किए जाएंगे। साथ ही जिन अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की संक्रमण से मौत हुई है उन्हें भी वैज्ञानिक और विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा समीक्षा कराई जाएगी।
क्या कहता है अध्ययन
दो दिन पहले जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 14 अप्रैल से 31 जुलाई 2020 के बीच मुंबई में 524 शिशुओं ने जन्म लिया जिन्हें संक्रमण उनकी मां के संपर्क में आने से हुआ। इस दौरान पता चला कि कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं से 6.3 फीसदी नवजात शिशुओं में संक्रमण का प्रसार हुआ। गैर संक्रमित शिशुओं से तुलना करने पर पता चला कि संक्रमित बच्चों के वजन, गर्भ में परिपक्वता सहित अन्य कोई बदलाव देखने को नहीं मिला लेकिन 4.09 फीसदी बच्चों में सेप्सिस फैल गया। गैर संक्रमित शिशुओं में यह 0.003 फीसदी ही देखने को मिला। इस अध्ययन में 13 नवजात शिशुओं की मौत हुईं जिनमें से तीन (नौ फीसदी) बच्चे कोरोना संक्रमित थे। जबकि गैर संक्रमित बच्चों में मृत्युदर केवल तीन फीसदी दर्ज की गई।
कोरोना की पहली लहर का देखेंगे असर
जानकारी के अनुसार, सबसे पहले कोरोना संक्रमण की पिछले वर्ष आई पहली लहर का गर्भवती महिलाओं पर असर देखा जाएगा। इसके लिए रजिस्ट्री में महाराष्ट्र को लेकर अध्ययन पर जोर दिया जा रहा है। पिछले साल 1 जनवरी से 31 मई तक के मामलों को यहां लिया जाएगा। साथ ही जून 2020 तक हुई मौतों को लेकर भी चिकित्सीय कागजों को देखा जाएगा। करीब दो हजार ऐसे मामलों का लक्ष्य रखा गया है। इस अध्ययन को पूरा करने के लिए अभी समयावधि तय नहीं हुई है।
स्तनपान भी संक्रमित शिशुओं में सबसे कम
डॉ. राहुल गजभिये के अनुसार, स्तनपान को लेकर अध्ययन के दौरान संक्रमित और गैर संक्रमित शिशुओं के दोनों ही समूह में स्थिति काफी खराब मिली है। गैर संक्रमित बच्चों में यह दर 2.7 फीसदी मिली जबकि संक्रमित शिशुओं में यह 12.1 फीसदी तक पाई गई। इससे पता चलता है कि संक्रमित बच्चों को जन्म के बाद सबसे ज्यादा स्तनपान को लेकर दिक्कतें आ रही हैं।
इन तथ्यों पर मिलेगी सटीक जानकारी
गर्भावस्था में कोविड-19 की घटनाएं
कोविड-19 के साथ गर्भवती महिलाओं की सामाजिक-जनसांख्यिकी, महामारी विज्ञान और नैदानिक विशेषताएं
कोविड-19 वाली महिलाओं में गर्भावस्था के परिणाम
कोविड-19 के साथ महिलाओं में नवजात परिणाम
उपचार की प्रतिक्रिया
मां से बच्चे में कोविड-19 के संचरण के तरीके
विस्तार
गर्भवती महिलाओं में कोरोना वायरस के अब तक काफी मामले सामने आए हैं। साथ ही ज्यादातर मामलों में नवजात शिशु कोरोना निगेटिव पाए गए हैं लेकिन महाराष्ट्र के वैज्ञानिकों ने अब खुलासा किया है कि कम से कम छह फीसदी नवजात शिशुओं में संक्रमित मां से कोरोना वायरस पहुंचा है। इन शिशुओं में सेप्सिस फैलने का खतरा 4.09 फीसदी मिला है। जबकि चार फीसदी से ज्यादा मौत की आशंका भी देखने को मिली है।
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गर्भवती महिलाओं में कोरोना वायरस के अधिक से अधिक प्रभावों को जानने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय रजिस्ट्री शुरू की है। यहां देश भर के अस्पतालों से जानकारी एकत्रित की जाएगी जिस पर वैज्ञानिकों का अध्ययन शुरू होगा। जानकारी के अनुसार इस रजिस्ट्री के शुरू होने से वैज्ञानिकों को न सिर्फ गर्भावस्था में वायरस के असर को समझने में मदद मिलेगी बल्कि प्रसवोत्तर महिलाओं की सामाजिक, जनसांख्यिकी, नैदानिक और प्रजनन विशेषताओं के बारे में भी पता चलेगा।
आईसीएमआर के सहयोग से यह राष्ट्रीय रजिस्ट्री का नाम प्रेग्कोविड रखा गया है जिसे नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ, महाराष्ट्र सरकार के मेडिकल एजुकेशन एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट और टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज की टीम संचालित करेगी।
इनके अलावा मुंबई के बीवाईएल नायर चैरिटेबल अस्पताल की टीम भी सहयोग करेगी। यहां देशभर की सभी सरकारी एजेंसी और अस्पताल गर्भवती महिलाओं से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराएंगे। अभी तक देश में कैंसर रोग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्ट्री कार्यक्रम संचालित है। नई दिल्ली स्थित आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भर में कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वालीं गर्भवती महिलाओं के सभी चिकित्सीय कागजात यहां साझा किए जाएंगे। साथ ही जिन अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की संक्रमण से मौत हुई है उन्हें भी वैज्ञानिक और विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा समीक्षा कराई जाएगी।
क्या कहता है अध्ययन
दो दिन पहले जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 14 अप्रैल से 31 जुलाई 2020 के बीच मुंबई में 524 शिशुओं ने जन्म लिया जिन्हें संक्रमण उनकी मां के संपर्क में आने से हुआ। इस दौरान पता चला कि कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं से 6.3 फीसदी नवजात शिशुओं में संक्रमण का प्रसार हुआ। गैर संक्रमित शिशुओं से तुलना करने पर पता चला कि संक्रमित बच्चों के वजन, गर्भ में परिपक्वता सहित अन्य कोई बदलाव देखने को नहीं मिला लेकिन 4.09 फीसदी बच्चों में सेप्सिस फैल गया। गैर संक्रमित शिशुओं में यह 0.003 फीसदी ही देखने को मिला। इस अध्ययन में 13 नवजात शिशुओं की मौत हुईं जिनमें से तीन (नौ फीसदी) बच्चे कोरोना संक्रमित थे। जबकि गैर संक्रमित बच्चों में मृत्युदर केवल तीन फीसदी दर्ज की गई।
कोरोना की पहली लहर का देखेंगे असर
जानकारी के अनुसार, सबसे पहले कोरोना संक्रमण की पिछले वर्ष आई पहली लहर का गर्भवती महिलाओं पर असर देखा जाएगा। इसके लिए रजिस्ट्री में महाराष्ट्र को लेकर अध्ययन पर जोर दिया जा रहा है। पिछले साल 1 जनवरी से 31 मई तक के मामलों को यहां लिया जाएगा। साथ ही जून 2020 तक हुई मौतों को लेकर भी चिकित्सीय कागजों को देखा जाएगा। करीब दो हजार ऐसे मामलों का लक्ष्य रखा गया है। इस अध्ययन को पूरा करने के लिए अभी समयावधि तय नहीं हुई है।
स्तनपान भी संक्रमित शिशुओं में सबसे कम
डॉ. राहुल गजभिये के अनुसार, स्तनपान को लेकर अध्ययन के दौरान संक्रमित और गैर संक्रमित शिशुओं के दोनों ही समूह में स्थिति काफी खराब मिली है। गैर संक्रमित बच्चों में यह दर 2.7 फीसदी मिली जबकि संक्रमित शिशुओं में यह 12.1 फीसदी तक पाई गई। इससे पता चलता है कि संक्रमित बच्चों को जन्म के बाद सबसे ज्यादा स्तनपान को लेकर दिक्कतें आ रही हैं।
इन तथ्यों पर मिलेगी सटीक जानकारी
गर्भावस्था में कोविड-19 की घटनाएं
कोविड-19 के साथ गर्भवती महिलाओं की सामाजिक-जनसांख्यिकी, महामारी विज्ञान और नैदानिक विशेषताएं
कोविड-19 वाली महिलाओं में गर्भावस्था के परिणाम
कोविड-19 के साथ महिलाओं में नवजात परिणाम
उपचार की प्रतिक्रिया
मां से बच्चे में कोविड-19 के संचरण के तरीके
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