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Pushkar singh Dhami news: उत्तराखंड के नए सीएम धामी का लखनऊ कनेक्शन, लखनऊ यूनिवर्सिटी के एनडी हॉस्टल में सीखा था सियासी ककहरा
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लखनऊ विश्वविद्यालय के पुराने साथी अब भी धामी के साथ छात्रों के लिए सड़क पर किए गए आंदोलनों को नहीं भूले हैं। एनडी हॉस्टल के उनके 119 नंबर कमरे में देर रात तक चुनाव जीतने की रणनीति उन्हीं की अगुआई में बनती थी।
उत्तराखंड के नए और युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बारे में सबकुछ
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हाइलाइट्स:
उत्तराखंड के होने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपना सियासी ककहरा लखनऊ विश्वविद्यालय के एनडी हॉस्टल में ही सीखा था
एनडी हॉस्टल के उनके 119 नंबर कमरे में देर रात तक चुनाव जीतने की रणनीति उन्हीं की अगुआई में बनती थी
लखनऊ विश्वविद्यालय के पुराने साथी अब भी धामी के साथ छात्रों के लिए सड़क पर किए गए आंदोलनों को नहीं भूले हैं
लखनऊ
उत्तराखंड के होने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपना सियासी ककहरा लखनऊ विश्वविद्यालय के एनडी हॉस्टल में ही सीखा था। लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से निकले युवा मंत्रियों, विधायकों की कतार में धामी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले राजनीतिज्ञ बन गए हैं।
धामी से पहले पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा (भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री), उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला भी लखनऊ विश्वविद्यालय से निकलकर सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। विद्यार्थी परिषद के साधारण से कार्यकर्ता की तरह लखनऊ विश्वविद्यालय से शुरू हुआ पुष्कर धामी का सियासी सफर अब उत्तराखंड राज्य के सबसे बड़े ओहदे तक पहुंच गया है।
छात्रों के लिए किया संघर्ष
लखनऊ विश्वविद्यालय के पुराने साथी अब भी धामी के साथ छात्रों के लिए सड़क पर किए गए आंदोलनों को नहीं भूले हैं। छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके और बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह कहते हैं कि उन्होंने जब विश्वविद्यालय में महामंत्री का चुनाव लड़ा था, तब पुष्कर सिंह धामी विश्वविद्यालय इकाई के प्रमुख हुआ करते थे। एनडी हॉस्टल के उनके 119 नंबर कमरे में देर रात तक चुनाव जीतने की रणनीति उन्हीं की अगुआई में बनती थी। उनकी मदद से ही दयाशंकर पहले विश्वविद्यालय के महामंत्री और फिर अध्यक्ष बने।
दयाशंकर याद करते हैं, 'कई बार छात्रों के लिए हमें सड़क पर आंदोलन करने पड़े और हम दोनों अपने साथियों के साथ पुलिस लाइन में बंद भी किए गए। विद्यार्थी परिषद ने 1997-98 में लखनऊ में ही उस वक्त का सबसे बड़ा अधिवेशन किया, जिसमें 15 हजार छात्र शामिल हुए थे। हम सब साथ में परिषद के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने के लिए मुंबई भी गए।
विश्वविद्यालय से लड़ना चाहते थे चुनाव
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ उपाध्यक्ष रहे प्रभातकांत त्रिपाठी ने एबीवीपी में पुष्कर सिंह धामी के साथ लंबे समय तक काम किया था। वह कहते हैं कि धामी विद्यार्थी परिषद से लखनऊ विश्वविद्यालय में चुनाव लडना चाह रहे थे, पर कुछ वजहों से लड़ नहीं सके। बाद में विश्वविद्यालय इकाई का प्रमुख बना दिया गया तो चुनाव की सारी कमान इनके ही हाथ में रहती थी।
विश्वविद्यालय में परिषद की धाक जमाने में धामी ने खूब मेहनत की और फिर यहां से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महामंत्री जीतने लगे। उनके सहपाठी भुवन तिवारी कहते हैं कि जब उत्तराखंड बना तो धामी वहां चले गए। पहले वह सरकार में मंत्री भगत सिंह कोशियारी के सहायक बने और फिर उनके सीएम बनने पर उनके ओएसडी बनाए गए। वह उत्तराखंड बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे और फिर खटीमा से विधायक बन गए।
खुद ही बनाते थे खाना
हॉस्टल में उनके साथी हर्षवर्धन रावत बताते हैं कि धामी बहुत साधारण परिवार से आए थे। वह हॉस्टल में खुद ही खाना बनाते थे। उस वक्त कई बार छात्रों के काम के लिए बाहर जाना पड़ता तो पुष्कर सिंह धामी को दूसरे साथियों से स्कूटर भी मांगना पड़ता था।
उनके मित्र तरुणकांत कहते हैं कि धामी ने छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में कई आंदोलन शुरू करवाए। उस वक्त ज्यादा लोग साथ नहीं आते थे पर हमारे आंदोलन सफल भी हुए और छात्रों का फायदा हुआ। साथ पढ़ने वाले रामकुमार कहते हैं कि हम सबने साथ में काम भी किया और संघ की कई शाखाओं का आयोजन शहर भर में किया।
पुष्कर सिंह धामी (फाइल फोटो)Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप
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