कैप्टन राकेश वालिया, 6 साल की उम्र में माता-पिता की मौत। 8 साल की उम्र में दिहाड़ी मजदूरी। न सिर पर छत, न तन पर ढंग के कपड़े। काम करते-करते जहां थक गए वहीं रात गुजार ली। एक के बाद एक कई शहर बदले, काम बदले, लोगों की डांट-फटकार सुनी। लेकिन हौसला नहीं खोया, हिम्मत नहीं हारी। एक बार जो फौज में भर्ती होने का सपना संजोया उसे आर्मी ऑफिसर बनकर पूरा किया। आज खुद्दार कहानी में पढ़िए उन्हीं कैप्टन राकेश व