आज की नई पीढ़ी जो प्राइवेट चैनलों के दौर में ही बड़ी हुई है या हो रही है। उसे दूरदर्शन के इस जादू या प्रभाव पर यकीन न हो, पर वास्तविकता यही है कि दूरदर्शन के शुरुआती कार्यक्रमों की लोकप्रियता का मुकाबला आज के तथाकथित चैनल के कार्यक्रम शायद ही कर पाएं।