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दुनिया
जी-7 की सालाना बैठकः जी भर कर किए वादे और निंदा
दुनिया के सबसे धनी देशों में से सात ने दुनिया के गरीब देशों को कोविड वैक्सीन की एक अरब खुराक देने का फैसला तो किया है, साथ ही चीन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति की गहन जांच की भी मांग की है.
इंग्लैंड में हुई एक जी-7 की सालाना बैठक में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चीन की निंदा की गई. शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों की प्रताड़ना के अलावा जी-7 में हांग कांग की स्वायत्तता और चीन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच का मुद्दा भी गर्माया रहा. जी-7 के नेताओं ने ताइवान जैसे कई ऐसे मुद्दों पर एक साझा तीखा बयान जारी किया, जो चीन के लिए काफी संवेदनशील हैं.
चीन को चेतावनी
चीन को पश्चिमी देश बड़ी चुनौती मानते हैं और पिछले दशकों में उसका एक ताकत के रूप में उभरना अमेरिका सहित बाकी धनी देशों को विचलित करता रहा है. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वन्द्वी बताया है और उसके 'आर्थिक दुर्व्यवहार' व मानवाधिकार उल्लंघनों को आड़े हाथों लेने का संकल्प लिया है.
जी-7 के बयान में भी यही बात केंद्र में रही. उन्होंने कहा, "हम अपने मूल्यों का प्रसार करेंगे. इसमें चीन को मानवाधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रताओँ की सम्मान करने के लिए कहना भी शामिल है, खासकर शिनजियांग प्रांत के संबंध में. और, हांग कांग को अधिकार, स्वतंत्रता और उच्च स्तर की स्वयत्तता देना भी जो चीन व ब्रिटेन की साझा घोषणा में तय की गई है."
साथ ही, जी-7 देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोविड-19 की चीन में उत्पत्ति की दूसरे दौर की विशेषज्ञों द्वारा पारदर्शी जांच की भी मांग की. जनवरी में हुई पहले दौर की जांच के बारे में बाइडेन ने कहा कि चीन की प्रयोगशालाओं में जाने की इजाजत नहीं दी गई थी. उन्हेंने कहा कि अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि "कोविड-19 किसी चमगादड़ के कारण फैला, या किसी प्रयोगशाला में किसी प्रयोग में हुई गड़बड़ी के कारण."
लोकतंत्र बनाम तानाशाही
हालांकि, चीन को इस आलोचना का भान था, इसलिए जी-7 का बयान आने से पहले ही उसने कहा था कि वे दिन अब बीत चुके हैं जब कुछ देशों के एक छोटे से समूह में दुनिया की किस्मत के फैसले लिए जाते थे. चीन कहता रहा है कि बड़ी शक्तियां अब भी पुराने पड़ चुकी उसी साम्राज्यवादी मानसिकता से जकड़ी हुई हैं.
दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर
मेलबर्न
मेलबर्न के लोगों के लिए हरियाली सबसे जरूरी चीज है. ऑस्ट्रेलिया के इस शहर में 480 हैक्टेयर जमीन पर पार्क बने हैं. पिछले कुछ दशकों में 46 हैक्टेयर जमीन पर बनी गलियों और पार्किग स्पेस को हरे-भरे पार्क में बदला गया है.
दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर
शंघाई
दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक शंघाई ने कोयले को ना कहने का फैसला किया है. 2015 में जीवाश्म रहित ईंधन का इस्तेमाल चीन के शंघाई में 2010 से दोगुना हो गया.
दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर
फ्राईबुर्ग
लोगों को अपनी कार न उठानी पड़े, इसलिए जर्मनी के फ्राईबुर्ग ने ट्रामों का ऐसा नेटवर्क बिछा दिया है कि कोई भी नागरिक ट्राम से 300 मीटर से ज्यादा दूर न हो.
दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर
वैंकुवर
कनाडा के वैंकुवर ने 2010 में ग्रीनेस्ट सिटी 2020 का खांका तैयार किया. उसके बाद से ऐसी कोशिशें की जा रही हैं कि रोजगार, रहन-सहन और खान-पान हर चीज को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके.
दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर
सिंगापुर
सिंगापुर में बारिश की एक-एक बूंद को सहेजा जाता है. समुद्र से घिरे इस शहर वाले देश में पानी बाहर से लाना बेहद महंगा है. इसलिए पानी बचाना ही जीवन है.
दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर
पुणे
आना-जाना आसान करने के लिए बसों की खास लेन बनाने का यह आइडिया पुणे को साउथ कोरिया से मिला था. 30 किलोमीटर लंबी लेन बनाई गई हैं जिनमें सिर्फ बसें चलती हैं. कम वक्त में मंजिल पर पहुंचाने के लिए.
दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर
बार्सिलोना
शहर के अंदर ही 2000 से ज्यादा किस्मों के पौधे, 28 प्रजातियों के जानवर, 184 प्रजातियों के पक्षी. इसके अलावा मछलियां, सृसर्प और कुदरत का हर हिस्सा जीवन के करीब लाया गया है ताकि जीवन और प्रकृति साथ-साथ रहें. अब देखिये, दुनिया के सबसे बदनाम शहरों को. ऊपर जो 'और' लिखा है, उस पर क्लिक कीजिए. रिपोर्ट: लुइस ऑसबर्न/वीके
उधर चीन पर निशाना साधते हुए बाइडेन ने कहा कि लोकतांत्रिक सरकारें इस वक्त एकाधिकारवादी सरकारों के साथ मुकाबले में हैं और जी-7 को एक विकल्प बनना होगा. उन्होंने कहा, "हमारा मुकाबला चल रहा है, चीन के साथ नहीं, तानाशाहों के साथ, तानाशाही सरकारों के साथ. और तेजी से बदल रही 21वीं सदी में लोकतांत्रिक सरकारें उनका मुकाबला कर पाएंगी या नहीं... जैसा कि मैंने (चीनी राष्ट्रपति) शी जिनपिंग से कहा था, मैं विवाद नहीं चाहता. जहां हम सहयोग करते हैं, करेंगे. लेकिन, जहां हम असहमत हैं, वो मैं साफ-साफ कहूंगा."
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि चीन ने हाल के सालों में दस लाख से ज्यादा लोगों को उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में शिविरों में हिरासत में डाला है. चीन इन आरोपों का खंडन करता है.
महामारी के दौर में
शिखर वार्ता के आखरी दिन जी-7 देशों ने कोरोना वायरस से लड़ने का संकल्प लिया. गरीब देशों को अगले एक साल में एक अरब वैक्सीन की खुराक देने का वादा किया गया है. साथ ही, महामारी के दौर में ओलंपिक और पैरालंपिक प्रतियोगिताएं सफलतापूर्वक कराने में भी मदद का वादा किया गया. ओलंपिक इस साल जुलाई से जापान में होने हैं लेकिन बहुत से संगठन इन खेलों का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इन्हें महामारी के लिहाज से असुरक्षित माना जा रहा है.
इस बैठक में जलवायु परिवर्तन की भी चर्चा हुई और इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा माना गया. जी-7 देशों ने 2025 तक जीवाश्म ईंधनों से सब्सिडी खत्म करने का संकल्प दोहराया और इस दशक में महासागरों और जमीन की सुरक्षा की बात कही. जी-7 ने गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सौ अरब डॉलर सालाना उपलब्ध कराने का भी वादा किया गया.
जी-7 वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट कर का समर्थन किया गया, जिस पर हाल ही में वित्त मंत्रियों की बैठक में फैसला किया गया था. महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था की मदद के लिए 12 खरब डॉलर उपलब्ध कराने की योजना पर भी चर्चा हुई.
संकल्पों की आलोचना
स्वास्थ्य और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने जी-7 के संकल्पों की आलोचना की है. ऑक्सफैम में असमानता नीति के अध्यक्ष मैक्स लॉसन ने कहा, "जी-7 के नाम पर बट्टा लग गया है. जबकि दुनिया सदी के सबसे बड़े स्वाथ्य आपातकाल से गुजर रहे हैं और जलवायु परिवर्तन हमारे ग्रह को बर्बाद कर रहा है, तब वे समय की चुनौतियों से निपटने में नाकाम रहे."
कार्यकर्ताओं का कहना है कि जी-7 देशों ने यह नहीं बताया कि 2030 तक विश्व की 30 फीसदी भूमि और जल को बचाने के लिए जो ‘प्रकृति समझौता' हुआ है, उसके लिए धन कैसे दिया जाएगा. उन्होंने गरीब देशों को को एक अरब खुराक उपलब्ध कराने के फैसले की भी यह कहते हुए आलोचना की है कि ये नाकाफी हैं क्योंकि दुनिया को 11 अरब खुराक चाहिए.
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने कहा कि टीकाकरण के लिए एक ज्यादा महत्वाकांक्षी योजना न बना पाना एक "अक्षम्य नैतिक विफलता" है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वो अमेरिकी कंपनी फाइजर के टीके की 50 करोड़ खुराक खरीद कर 90 से भी ज्यादा देशों को दानस्वरूप देंगे. फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोएनटेक 2021 में 20 करोड़ खुराक उपलब्ध कराएंगी और 2022 के पहले छह महीनों में बाकी 30 करोड़ खुराक.
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
ब्रिटेन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने वादा किया है कि उनके देश के पास टीकों का जो अतिरिक्त भंडार है उसमें से वो कम से कम 10 करोड़ खुराक अगले एक साल में दुनिया के कई देशों को देंगे. इसमें से 50 लाख खुराक अगले कुछ हफ्तों में ही दी जा सकती हैं. जॉनसन ने यह भी कहा है कि वो उम्मीद कर रहे हैं कि जी-सात के सदस्य देश एक अरब खुराक तक उपलब्ध कराएंगे ताकि 2022 में महामारी को खत्म किया जा सके.
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
ईयू, जर्मनी, फ्रांस, इटली
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा है कि यूरोपीय संघ ने इसी साल के अंत तक मध्य आय और कम आय वाले देशों को कम से कम 10 करोड़ खुराक देने का लक्ष्य बनाया है. इसमें फ्रांस और जर्मनी द्वारा तीन-तीन करोड़ खुराक और इटली द्वारा 1.5 करोड़ खुराक का योगदान शामिल है. फ्रांस ने कहा है कि वो कोवैक्स टीका-साझेदारी कार्यक्रम के तहत सेनेगल को ऐस्ट्राजेनेका टीके की 1,84,000 खुराक दे चुका है.
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
जापान
जापान ने कहा है कि वो देश के अंदर बनने वाले टीकों की करीब तीन करोड़ खुराक कोवैक्स के जरिए ही दानस्वरूप देगा. पिछले सप्ताह जापान ने ताइवान को ऐस्ट्राजेनेका के टीके की 12.4 लाख खुराक निशुल्क दीं.
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
कनाडा
कनाडा ने अभी तक वैक्सीन की खुराक दूसरे देशों को देने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
वैश्विक स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन और टीकों के लिए बने वैश्विक गठबंधन गावी के समर्थन से कोवैक्स कार्यक्रम ने इस साल के अंत तक कम आय वाले देशों के लिए दो अरब खुराक सुरक्षित करने का लक्ष्य रखा है. इस सप्ताह की घोषणाओं के पहले कोवैक्स को सिर्फ 15 करोड़ खुराक का वादा पाया था. यह कार्यक्रम के सितंबर तक 25 करोड़ खुराक और साल के अंत तक एक अरब खुराक के पुराने लक्ष्य से भी बहुत पीछे था.
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
वैक्सीन अन्याय
अभी तक दुनिया में टीकों की 2.2 अरब खुराक दी जा चुकी हैं, जिनमें से अकेले जी-सात देशों में ही करीब 56 करोड़ खुराक दी गई हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महासचिव तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने कहा है कि टीके के वितरण में हो रहा "लज्जाजनक अन्याय" महामारी को बनाए रख रहा है. - रॉयटर्स
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