जन्मदिन के एक दिन पहले, रौनक रिद्धि को डिनर पर ले गया, जहाँ वह पूरे समय अपने फ़ोन पर ही लगा रहा। खाना हो गया और दोनों घर आ गए। 12 बजे रात को बड़े बेमन से रौनक ने रिद्धि से केक कटवाया, जिससे रिद्धि उदास हो गई।
‘एना, आज से गांठ बांध लो, न यहां की कोई बात मायके में करनी है, न मायके की बात यहां। अब तुम यहीं की हो, यहीं के हिसाब से रहो और नौकरी छोड़ दो तुम। क्या करोगी 10 घंटे की नौकरी कर के? पति का ख्याल कैसे रखोगी?’
परिदृश्य : एना और आदि की शादी है और आदि का परिवार एना के माता-पिता को आश्वासन दे रहा है.
‘आप चिंता न करें भाईसाहब, हमारे घर भी दो-दो बेटियां हैं । जैसी वो दोनों, वैसी ही एना भी हमारे लिए रहेगी।’