Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Guru Nanak Dev Story, Guru Angad Story In Hindi आज का जीवन मंत्र:गुरु पर भरोसा और समर्पण का भाव रखेंगे तो शुभ फल जरूर मिलते हैं 5 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता कॉपी लिंक कहानी - गुरुनानक देव और लहिणा का व्यवहार देखकर सभी लोग हैरान रह जाते थे। लहिणा गृहस्थ थे। एक बार उन्होंने अपने गांव में किसी की मधुर वाणी में कुछ पंक्तियां सुनीं। उन्होंने गाने वाले से पूछा, 'ये किसका लिखा हुआ है?' गाने वाले ने कहा, 'ये गुरुनानक देव की पंक्तियां हैं।' लहिणा ने विचार किया कि मुझे गुरुनानक से मिलना चाहिए। वे परिवार के साथ गुरुनानक से मिलने पहुंचे। जब नानक जी ने लहिणा से बात की तो लहिणा ने कहा, 'मैं सबकुछ छोड़कर यहीं रहना चाहता हूं।' नानक जी ने कहा, 'जिनका अपना परिवार होता है, उन्हें प्राथमिकता तय करनी चाहिए। जब सही समय आएगा, तुम आ जाना।' लहिणा अपने घर लौट आए, लेकिन मन लगा नहीं तो वे फिर गुरुनानक के पास पहुंच गए। जब वे उनके साथ रहने लगे तो गुरुनानक लगातार लहिणा की परीक्षा ले रहे थे। तभी घास के बड़े-बड़े गट्ठर, जो सामान्य मनुष्य उठा नहीं सकता, वह उठवाते। कहीं कच्ची दीवार गिर जाए तो वो बनवाते, फिर गिरवाते और फिर बनवाते। कुछ ऐसे निराले आदेश देते और परीक्षा लेते थे। सभी लोग सोचते थे कि गुरु जी लहिणा को ऐसे आदेश कैसे दे सकते हैं? गुरु और शिष्य के बीच सबसे बड़ी बात ये थी कि लहिणा गुरु के हर आदेश का पालन करते थे और काम सफल भी हो जाते थे। एक दिन सभी चौंक गए, गुरुनानक ने लहिणा का नाम रख दिया गुरु अंगद और अपनी गादी सौंप दी। ये सिखों के दूसरे गुरु थे। अंगद जब गुरु बने तो वे कहा करते थे, 'मेरे पास जो भी है, वो गुरु का दिया हुआ है।' सीख - गुरुनानक और लहिणा के आपसी व्यवहार से हमें ये सीख मिलती है कि गुरु के प्रति भरोसा और समर्पण का भाव होना चाहिए। जो शिष्य गुरु के आदेशों का पालन करता है, उसे शुभ फल जरूर मिलते हैं। भरोसा और समर्पण भी हमारे गुण ही हैं। खबरें और भी हैं...