Latest Hindi News: Oxygen Crisis: 'कोई &#x

Latest Hindi News: Oxygen Crisis: 'कोई कैसे कह सकता है कि ऑक्सिजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है'


coronavirus death people said how can one say that no one has died due to lack of oxygen
Oxygen Crisis: 'कोई कैसे कह सकता है कि ऑक्सिजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है'
Slideshow/s by
आशीष कुमार | Reported byएनबीटी डेस्क | Navbharat Times | Updated: Jul 24, 2021, 6:36 AM
Subscribe
Death due to lack of Oxygen: ऑक्सिजन की कमी से मौतों पर सरकार के बयान लोगों को काफी तकलीफ हुई है। उनका कहना है कि यह तो शॉकिंग है। कोई कैसे कह सकता है कि ऑक्सिजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है।
 
Oxygen Crisis: 'कोई कैसे कह सकता है कि ऑक्सिजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है'
हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि देश में ऑक्सिजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। जिसके बाद विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर हैं। वहीं, कोरोना की दूसरी लहर में अपनों को ऑक्सिजन की कमी से खोने वाले हैरान भी हैं और दुखी भी हैं कि सरकार मौतें पर राजनीति कर रही है। अपनों को याद करके आज भी इन लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। एनबीटी संवाददात
राहुल आनंद और राजेश पोद्दार ने पीड़ित परिवारों से बात की, तो इनका दर्द छलक उठा।
मैंने अपनी मां को खोया है, मुझे न्याय चाहिए
यह तो शॉकिंग है। कोई कैसे कह सकता है कि ऑक्सिजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है। पहले ऑक्सिजन पर राजनीति करते रहे और अब मौत पर राजनीति हो रही है। हमें इन सरकारों से पहले भी उम्मीद नहीं थी और अभी भी नहीं है। लेकिन, सरकार के इस रवैये ने जनता को यह सीख जरूर दे दी है कि कल अगर तीसरी लहर आती है और किसी को कुछ होता है, तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। लोग अपनी जिम्मेदारी खुद लें। मैंने अपनी मां को खोया है, मुझे न्याय चाहिए। मुझे देश की कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। यह गुस्सा और दर्द है एरिक मेसी का। 23 अप्रैल की रात इन्होंने अपनी मां डेल्फिन मेसी को खोया है। जिनका इलाज जयपुर गोल्डन अस्पताल में चल रहा था।
रोहिणी में रहने वाले एरिक ने कहा कि 61 साल की उनकी मां 15 अप्रैल से जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में एडमिट थीं। 23 अप्रैल की रात ढाई बजे अस्पताल से कॉल आया कि उनकी मां की मौत हो गई है। मैं सन्न रह गया, क्योंकि उनकी स्थिति अच्छी थी। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो आईसीयू के डॉक्टर ने मुझे मौत की वजह हार्ट फेल बताया। तब तक मुझे कुछ पता नहीं था, लेकिन जब अस्पताल से बाहर निकला तो अस्पताल परिसर में हल्ला मचा हुआ था और मीडिया में भी खबरें चलने लगी थी कि ऑक्सिजन की वजह से कई मौतें हो गईं। लेकिन, अस्पताल ने जो डेथ समरी दी, उसमें मौत की वजह कार्डियेक रेसपिरेट्री अरेस्ट, न्यूमोनिया और रेसपिरेट्री फेलियर बताया गया है।
एरिक ने कहा कि उस समय मैं इतना तो समझ गया था कि कुछ तो गड़बड़ है। लेकिन मुझे मेरी मां का अंतिम संस्कार करना था। श्मशान घाट में भी उस इंतजार और धक्के खाने का डर था। इसलिए मैंने पहले अंतिम संस्कार किया और जब एक हफ्ता बीत गया, तो मैंने इसके खिलाफ कोर्ट में जाने का फैसला किया। मैंने दिल्ली हाई कोर्ट में पीटिशन डाली है। इसकी एक सुनवाई हो चुकी है और अगली सुनवाई 20 अगस्त को है। जिस प्रकार सरकार ने ऑक्सिजन से एक भी मौत नहीं होने की बात कही है, वह उन लोगों का मजाक है, जिन्होंने अपने को खोया है। यह बहुत दुखद है।
ऑक्सिजन की कमी से छिन गया माता-पिता का साया
23 अप्रैल की वह रात कोई भुला सके या नहीं, लेकिन आदर्श नगर के रहने वाले गौरव गेरा ताउम्र नहीं भुला सकते हैं। 23 साल के गौरव और 20 साल की उनकी छोटी बहन के सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया। इस घटना को याद करके गौरव आज भी रो पड़ते हैं। वह कहते हैं कि महज 1 घंटे का ही अंतर रहा होगा और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों ही चल बसे। पहले मम्मी की मौत उनके बड़े भाई (बुआ के लड़का) से सामने आंबेडकर हॉस्पिटल में हुई और 1 घंटे बाद उनके पापा की मौत की खबर जयपुर गोल्डन अस्पताल से आई। रात डेढ़ बजे अस्पताल से उनके भाई को फोन आया कि आपके मरीज की मौत हो गई है। गौरव ने कहा कि उनके पिता चरणजीत गेरा (49) 12 अप्रैल को जयपुर गोल्डन अस्पताल में एडमिट हुए थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। हालांकि तब तक उन्हें कोरोना की पुष्टि नहीं हुई थी। 2 दिन बाद उनकी मम्मी सोनू रानी (42 )की भी तबीयत खराब होने लगी। जयपुर गोल्डन में बेड नहीं मिला, इसलिए उन्हें आंबेडकर अस्पताल में एडमिट करवाया गया। करीब 10-12 दिन रहने के बाद पापा धीरे-धीरे पापा रिकवर हो रहे थे। उन्होंने बताया कि जयपुर गोल्डन अस्पताल में उस रात ऑक्सिजन नहीं थी। इस बात की जानकारी अस्पताल प्रशासन को थी, लेकिन उन्होंने हमें कभी पहले नहीं बताया।
23 अप्रैल की रात करीब 8 बजे मैंने पापा से बात की थी। वह बिल्कुल ठीक लग रहे थे, लेकिन सुबह तक उनकी मौत हो गई। अस्पताल में ऑक्सिजन में कमी होने का कारण बताया गया। ऐसा ही आंबेडकर हॉस्पिटल में भी हुआ, जब अस्पताल के अंदर ऑक्सिजन की कमी हो गई और उनकी मम्मी की मौत हो गई। लेकिन आज तक अस्पताल ने कागजी तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं की है। उस समय हम भी इन बातों पर गौर न करके अपने घर वापस आ गए। हालांकि जयपुर गोल्डन अस्पताल ने अपने बयान में ऑक्सिजन की कमी की वजह से 20 मौत होने की पुष्टि की थी। गौरव ने बताया कि पिताजी के दो टेंपो थे। इलाज और इंजेक्शन खरीदने के लिए एक टेंपो बेच दिया, लेकिन पिता को बचा नहीं पाए।
आज तक अस्पताल ने ऑक्सिजन की कमी होने की पुष्टि नहीं की
दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 23 अप्रैल की रात ऑक्सिजन की कमी की वजह से जिन 20 से अधिक मरीजों की मौत हुई थी, उनमें से एक नाम कुरुक्षेत्र के रहने वाले इंद्रमोहन सिंह का भी था। उनकी उम्र करीब 54 साल थी। एनबीटी से बात करते हुए उनके बेटे गुनप्रीत सिंह ने बताया कि कुरुक्षेत्र के एक अस्पताल में वह एडमिट थे। यहां हालात में अधिक सुधार नहीं हो रहा था, तो डॉक्टर ने उन्हें प्लाजमा थैरेपी की जरूरत बताई थी। इसको लेकर के उन्हें दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल का नाम सुझाया गया। 6 अप्रैल को दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में उन्होंने पिता इंद्र मोहन सिंह को एडमिट कराया। डॉक्टर के कहने के मुताबिक उन्होंने 8 तारीख को प्लाज्मा डोनर को तैयार किया। उन्हें दो यूनिट प्लाज्मा चढ़ाई गई। प्लाज्मा थेरेपी के बाद में धीरे-धीरे वह रिकवर हो रहे थे। 23 तारीख की रात करीब 9 बजे उन्होंने पिताजी से विडियो कॉन्फ्रेंस कर बात की थी, तो उन्होंने कहा था कि वह ठीक हो चुके हैं। डॉक्टर ने भी करीब 38 पर्सेंट रिकवर होने की बात कही थी। चार-पांच दिन में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाती, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। उसी रात अस्पताल के तरफ से उनके पास फोन आया कि वह फौरन अस्पताल आ जाएं। कुरुक्षेत्र में रहने की वजह से वह रात को नहीं आ पाए। उनके रिश्तेदार जो कि रोहिणी में रहते थे। वहां उनकी मम्मी देखभाल के लिए ठहरी हुईं थीं, वह फौरन अस्पताल पहुंच गई। जहां उन्हें ऑक्सिजन की कमी से मरीजों की मौत की जानकारी मिली।
गुनप्रीत ने बताया कि उनके पिताजी को कोई और बीमारी नहीं थी। इतने बड़े अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी कहीं ना कहीं लापरवाही को दिखाता है। बावजूद अस्पताल अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। आज तक अस्पताल में कागजी तौर पर ऑक्सिजन कमी होने की पुष्टि नहीं की है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों ने उस समय जबरदस्त लूट की, जितने दिन उनके पिता एडमिट हुए इस दौरान 6 से 7 लाख का बिल सिर्फ अस्पताल का ही है। इसके अलावा एंबुलेंस और दूसरे खर्चे अलग हैं। 23 तारीख को भी ₹55000 की इंजेक्शन अस्पताल ने मांगाई थी। यदि अस्पताल ने पहले बताया होता कि उनके पास ऑक्सिजन नहीं है, तो हम ऑक्सिजन भी मुहैया कराने की कोशिश करते, कम से कम आज मेरे पिताजी जिंदा होते। आज सरकार ऑक्सिजन की कमी से मौत पर राजनीति कर रही है, लेकिन जिनके परिवार के सदस्य इस दुनिया से चले गए, उन लोगों के लिए संवेदना किसी के पास नहीं है।
Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप
लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुक पेज लाइक करें
कॉमेंट लिखें
इन टॉपिक्स पर और पढ़ें

Related Keywords

Kurukshetra , Haryana , India , Delhi , Rohini , West Bengal , Jaipur , Rajasthan , Eric Messi , Indramohan Singh , Indra Mohan Singh , Rajesh Poddar , Snwaddat Rahul , , Jaipur Golden Hospital , Delhi High , Ambedkar Hospital , His Papa , Sonu Queen , Jaipur Golden , Aaj Tak Hospital , His Father , Hospital Her , Tak Hospital , குருக்ஷேத்ரா , ஹரியானா , இந்தியா , டெல்ஹி , ரோகினி , மேற்கு பெங்கல் , ஜெய்ப்பூர் , ராஜஸ்தான் , ராஜேஷ் போட்தர் , ஜெய்ப்பூர் தங்கம் மருத்துவமனை , டெல்ஹி உயர் , அம்பேத்கர் மருத்துவமனை , ஜெய்ப்பூர் தங்கம் , அவரது அப்பா ,

© 2025 Vimarsana