DNA Analysis Cabinet Reshuffle 2021: PM Narendra Modi Cabine

DNA Analysis Cabinet Reshuffle 2021: PM Narendra Modi Cabinet Expansion | PM मोदी को क्यों बदलनी पड़ी टीम? समझिए क्या है इसके पीछे की रणनीति


खास बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में 53 नहीं कुल 77 सदस्य हो गए हैं.
12 मंत्रियों ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है.
36 नए मंत्री बनाए गए हैं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का अब तक का सबसे बड़ा विस्तार किया है. कुल मिला कर इस बार के मंत्रिमंडल में 36 नए मंत्री शामिल हुए हैं, 7 पुराने मंत्रियों का प्रमोशन हुआ है और 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है. 
बदलाव के पीछे PM मोदी की रणनीति
सबसे बड़ी खबर है, देश के चार बड़े मंत्रियों का इस्तीफा. इनमें स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन, कानून और आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का नाम शामिल है. यानी प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी और सूचना एवं प्रसारण जैसे बड़े मंत्रालयों में भारी फेरबदल किए हैं. इसलिए आज हम इस मंत्रिमंडल फेरबदल का सम्पूर्ण विश्लेषण करेंगे और आपको बताएंगे कि जिन मंत्रियों की छुट्टी हुई है, उनके पीछे क्या कारण है? और अपनी टीम में इतने बड़े बदलाव करने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की क्या रणनीति है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम कल 7 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में हुआ और इस दौरान कुल 15 नेताओं ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली और 28 नेताओं ने राज्य मंत्री की शपथ ली. इस कार्यक्रम से पहले प्रधानमंत्री आवास पर भी एक बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नई टीम के सदस्यों के साथ चाय पर चर्चा की और फिर ये सभी सदस्य राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना हो गए. इसके बाद मंत्रिमंडल के विस्तार की प्रक्रिया पूरी की गई. यानी शपथ ग्रहण समारोह हुआ.
अब हम आपको मंत्रिमंडल विस्तार की हाइलाइट्स बताते हैं.
- कुल 43 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिनमें से 36 नेता ऐसे हैं, जो पहले मंत्रिमंडल में नहीं थे और 7 नेता ऐसे हैं, जिनका प्रमोशन हुआ है. यानी ये वो नेता हैं, जो पहले से सरकार में थे, लेकिन अब इनकी भूमिका सरकार में और बढ़ा दी गई है.
- मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सरकार में दलित समुदाय के रिकॉर्ड 12 मंत्री हो गए हैं और ये सभी नेता देश के अलग अलग आठ राज्यों से आते हैं. यहां एक और अहम बात ये है कि अनुसूचित जाति से आने वाले ये सभी नेता अलग अलग 12 समुदाय से संबंध रखते हैं.
- इसके अलावा नए मंत्रिमंडल में अब एसटी यानी अनुसूचित जनजाति के मंत्रियों की संख्या 8 हो गई है, जो अब तक की किसी सरकार में सबसे ज्यादा संख्या है. यहां भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि अनुसूचित जनजाति में भी किसी एक समुदाय को खास स्थान न मिले. इसी को देखते हुए आदिवासी समुदाय की सात उप जातियों से नेताओं को सरकार में मंत्री बनाया गया है.
- इस मंत्रिमंडल विस्तार के साथ किसी सरकार में सबसे ज्यादा OBC समुदाय के मंत्री होने का भी रिकॉर्ड बन गया है. अब प्रधानमंत्री मोदी की टीम में कुल 27 मंत्री OBC समुदाय से होंगे. इसलिए आप इसे देश की पहली OBC सरकार भी कह सकते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री खुद OBC समुदाय से आते हैं.
- प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में 5 मंत्री भी OBC समुदाय से होंगे.
- और इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या भी अब 11 हो गई है.
- इस विस्तार के बाद इसे युवाओं की सरकार भी कहा जा रहा है. जहां मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रधानमंत्री मोदी की मंत्रिपरिषद की औसत आयु 61 वर्ष थी, वहीं अब ये 58 साल हो गई है.
- एक और बात ये कि अब मंत्रिमंडल में अनुभवी नेताओं की संख्या काफी ज्यादा है. इनमें 46 नेता ऐसे हैं, जो पहले कभी न कभी केन्द्र सरकार में काम कर चुके हैं. इसके साथ ही 23 नेता ऐसे हैं, जो लोक सभा का चुनाव तीन या उससे ज्यादा बार जीत चुके हैं.
- यहां एक और बड़ा पॉइंट ये है कि अब प्रधानमंत्री मोदी की टीम में राज्यों के अनुभवी नेता भी होंगे. जैसे मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सरकार में 4 नेता ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इनमें असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, राजनाथ सिंह और अर्जुन मुंडा हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं. इस मंत्रिमंडल में 18 नेता ऐसे हैं, जिनके पास राज्य सरकारों में मंत्री पद का अनुभव है और 39 नेता ऐसे हैं, जो पहले विधायक भी रह चुके हैं.
- मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सरकार में पढ़े लिखे नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा हो गई है. अब सरकार में 13 वकील, 6 डॉक्टर्स, 5 इंजीनियर्स, 7 सिविल सर्वेंट्स, 7 पीएचडी स्कॉलर, 3 एमबीए और 68 नेता ऐसे हैं, जो ग्रेजुएट हैं. यानी प्रधानमंत्री मोदी की नई टीम में 88 प्रतिशत नेता ऐसे हैं, जो ग्रेजुएट हैं.
- इसके अलावा अब केंद्र सरकार में 5 मंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से भी हो गए हैं.
- सबसे अहम इस बार मंत्रिमंडल में देश के 25 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के नेताओं को शामिल किया गया है.
- हालांकि इससे पहले वर्ष 1991 में जब पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल का गठन हुआ था, तब 26 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को इसमें जगह मिली थी. हालांकि तब पी.वी. नरसिम्हा राव पर अलग अलग राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों से नेताओं को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने का दबाव था, क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं था और कई नेता सिफारिश और राजनीतिक दबाव की वजह से सरकार में आए थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है.
- मंत्रिमंडल विस्तार का एक और बड़ा पॉइंट ये है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद काफी विशाल हो गई है और इसमें कुल नेता अब 77 हो गए हैं, जो पहले 53 थे.
12 मंत्रियों ने दिया इस्तीफा 
अब आपको इस विस्तार की सबसे बड़ी बात बताते हैं.
तो पहली बड़ी बात यही है कि 12 मंत्रियों ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है और इनमें चार बड़े नाम ऐसे हैं, जो कैबिनेट में थे. इनमें पहले हैं डॉक्टर हर्षवर्धन, जिनकी उम्र 66 साल है. दूसरे हैं रवि शंकर प्रसाद, जिनकी उम्र भी 66 साल है. तीसरे हैं प्रकाश जावड़ेकर, जिनकी उम्र 70 साल है और चौथे हैं रमेश पोखरियाल निशंक, जिनकी उम्र 61 साल है. ये चार नेता अब मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं है और हम एक एक करके इनके बारे में बताते हैं.
डॉक्टर हर्षवर्धन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे और पिछले डेढ़ वर्षों में उनका रोल सबसे महत्वपूर्ण था क्योंकि, उनके कार्यकाल के दौरान देश ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर से संघर्ष किया, लेकिन उनके इस्तीफे से ये बात स्पष्ट है कि सरकार उनके काम से खुश नहीं थी.
मंत्रिमंडल से हटाए गए दूसरे बड़े नेता हैं
रवि शंकर प्रसाद. वो प्रधानमंत्री की कैबिनेट में कानून और आईटी मंत्री थे. उनके समय में आईटी मंत्रालय और टेक्नोलॉजी कम्पनियों के बीच विवाद हुआ और पिछले दिनों ट्विटर ने रवि शंकर प्रसाद का अकाउंट एक घंटे के लिए बंद भी कर दिया था और मंत्रिमंडल से उन्हें हटाने का संदेश स्पष्ट है कि सरकार उनके भी काम से खुश नहीं थी.
इनमें तीसरा बड़ा नाम हैं
प्रकाश जावड़ेकर. उनके पास दो बड़े मंत्रालय थे, सूचना प्रसारण मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय. सूचना प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर गालियों को ग्लैमराइज करने, हिंसा दिखाने और अश्लीलता को रोकने के लिए इसी साल 25 फरवरी को नई गाइडलाइंस बनाई थी और तब उनके साथ रवि शंकर प्रसाद आईटी मंत्री की हैसियत से टेक क​म्पनियों के लिए नए दिशा निर्देश लाए थे, लेकिन इन दोनों नेताओं को हटा दिया गया और इससे ये पता चलता है कि जिस तरीके से टेक कम्पनियों और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म  को हैंडल किया गया, उससे सरकार खुश नहीं थी.
प्रकाश जवाड़ेकर को मंत्रिमंडल से हटाने की एक और बड़ी वजह है सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार यानी बैड प्रेस को नहीं रोक पाना. सूचना प्रसारण मंत्री असल में सरकार का प्रवक्ता होता है और वो सरकार के पक्ष लोगों के बीच रखता है, लेकिन प्रकाश जावड़ेकर इस काम में सफल नहीं हुए.
चौथा बड़ा नाम हैं
रमेश पोखरियाल निशंक का जिनके पास शिक्षा मंत्रालय था. बताया जा रहा है कि उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए सरकार ने ये जिम्मेदारी उनसे वापस ली है. लेकिन इसके पीछे बोर्ड परीक्षाओं का रद्द होना और दूसरे कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स का न हो पाना भी एक बड़ा कारण है. आपको याद होगा कि पिछले कुछ महीनों से शिक्षा मंत्रालय का कामकाज प्रधानमंत्री मोदी खुद देख रहे थे और बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला भी उन्हीं की अध्यक्षता में लिया गया था. इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय की बैठकों में भी रमेश पोखरियाल निशंक नहीं थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बच्चों से संवाद कर रहे थे.
हालांकि यहां बड़ी बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 बड़े मंत्रालयों को बिल्कुल नहीं छुआ. ये मंत्रालय हैं, गृह, विदेश, रक्षा, वित्त और रेल मंत्रालय.
कुल मिला कर कहें तो इस विस्तार से पहले 53 नेताओं का केन्द्रीय मंत्रिमंडल था, जिनमें से 22.6 प्रतिशत मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया और ये बड़ी संख्या है.
मंत्रिमंडल विस्तार में नया क्या 
अब आपको ये बताते हैं कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में नया क्या हुआ?
इस बार 36 नए मंत्री बनाए गए हैं. यानी इस हिसाब से देखें तो मौजूदा मंत्रिमंडल में लगभग 47 प्रतिशत मंत्री नए हैं. हम आपको इनमें से कुछ प्रमुख और बड़े नाम बताते हैं, ज

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