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शेर बहादुर देउबा 5वीं बार बने प्रधानमंत्री


काठमांडू, 13 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा मंगलवार को आधिकारिक तौर पर 5वीं बार देश के प्रधानमंत्री बने। यहां आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 75 वर्षीय वरिष्ठ राजनीतिक नेता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शुरू में समारोह का आयोजन शाम छह बजे (भारतीय समयानुसार पौने छह बजे) होना था, लेकिन इसमें इसलिए विलंब हुआ, क्योंकि देउबा ने कहा कि वह तब तक पद की शपथ नहीं लेंगे जब तक राष्ट्रपति उनकी नियुक्ति के नोटिस में संशोधन नहीं करतीं।
चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि देउबा को संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाना चाहिए। ‘द हिमालय टाइम्स' ने खबर दी है कि राष्ट्रपति कार्यालय ने उस अनुच्छेद के बारे में नहीं बताया था जिसके तहत देउबा को प्रधानमंत्री बनाया जा रहा है। कानूनी सलाह लेने के बाद देउबा ने राष्ट्रपति भंडारी को एक संदेश भेजा कि जब तक त्रुटि ठीक नहीं हो जाती, वह शपथ नहीं लेंगे। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा नोटिस में संशोधन किया गया जिसके दो घंटे बाद, रात करीब सवा आठ बजे शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ। देउबा ने 69 वर्षीय के पी शर्मा ओली का स्थान लिया है जिन्होंने शीर्ष अदालत पर विपक्षी पार्टियों के पक्ष में ‘जानबूझकर' फैसला पारित करने का आरोप लगाया है।
संवैधानिक प्रावधान के तहत प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के बाद देउबा को 30 दिनों के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा। इस बीच, नेपाल के निर्वाचन आयोग ने देश में 12 और 19 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनाव टाल दिए हैं। 
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6 घंटे पहले
5 घंटे पहले
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दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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