एक उम्र के बाद लोग अपने सपनों को उम्र के कारण ही छोड़ देते है। बहाना ये बनाते हैं कि यार अब उम्र हो गई लेकिन असल में उम्र नहीं होती वो खुद अपने सपनों के आगे हार मान चुके होते हैं। 30 साल के बाद दुनिया में हर आदमी ने ये लकीर खींच रखी है कि अब सेट होना चाहिए, एक परिवार बनाना है, शादी-बच्चे, सपनों का क्या है, वो तो जवानी में होते हैं। अगर आप ऐसा सोचते हैं और अपने सपनों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की बात करते हैं तो जनाब आप आगे नहीं बढ़ रहे। आप बहुत ही पीछे खड़ें हैं। जो अपने सपनों का नहीं हुआ, वो अपनों का क्या होगा। आज आपको बताने वाले हैं सतीश कुमार की कहानी, जिन्होंने 39 वर्ष में इंडियन आर्मी ज्वाइन की और बता दिया कि सपनों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए।