success is a complex journey for farah shaikh and shweta katti kids from red light area रेडलाइट एरिया से अमेरिका, इटली के टॉप कॉलेज तक पहुंची बेटियां, जानिए कैसे हासिल किया ये मुकाम Authored by Sharmila Ganesan Ram | Edited byअनिल कुमार | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: 18 Jul 2021, 10:57:00 AM Subscribe हाल ही में कमाठीपुरा से न्यूयॉर्क के बार्ड कॉलेज से जुड़ा एक ट्विटर थ्रेड #Inspiration, #Chaseyourdream के साथ वायरल हो रहा था। ये रेडलाइट एरिया की रहने वाली लड़की श्वेता कट्टी से जुड़ा था। रेडलाइट एरिया के बच्चों का विदेश तक का सफर आसान नहीं होता। जानें इस सफर को लेकर इनका क्या कहना है।
NBT Exclusive: स्कॉटलैंड से लौटीं बीनू देवल ने RAS में लहराया परचम, हासिल की 8वीं रैंक, जानें-सफलता का राज Subscribe हाइलाइट्स 26 साल की श्वेता कट्टी इस समय इटली में बुद्धिज्म की पढ़ाई कर रही हैं कमाठीपुरा रेडलाइट एरिया से विदेश जाने वाली पहली लड़की हैं श्वेता कट्टी फराह ने इस साल अमेरिकी यूनिवर्सिटी से साइकोलोजी में ग्रेजुएशन किया है मुंबई हाल ही में कमाठीपुरा से न्यूयॉर्क के बार्ड कॉलेज से जुड़ा एक ट्विटर थ्रेड #Inspiration, #Chaseyourdrea के साथ वायरल हो रहा था। ये रेडलाइट एरिया की रहने वाली लड़की श्वेता कट्टी से जुड़ा था। मीडिया में रेडलाइट एरिया की लड़की का न्यूयॉर्क के बार्ड कॉलेज के सफर का जश्न मनाया जा रहा था। श्वेता को साल 2018 में अमेरिका के बार्ड कॉलेज से स्कॉलरशिप मिली थी। उस वक्त भी श्वेता मीडिया में काफी चर्चा में रही थीं। अब श्वेता कट्टी खुद पर हंसती हैं। उनका कहना है कि एक साल बाद मैंने कॉलेज छोड़ दिया था और मुझे इसका अफसोस नहीं है। वहां से तो मेरा खुद को खोजने का सफर शुरू हुआ था। इटली से कर रही हैं बुद्धिज्म की पढ़ाई 26 साल की श्वेता कट्टी अभी इटली के एक सुदूर गांव पोमाइया में रहकर बुद्धिज्म की पढ़ाई कर रही हैं। कट्टी को अपने इस मुश्किल सफर का अहसास है कि वह किस तरह यहां पहुंची हैं। श्वेता अपने भीतर के संघर्ष पर अपनी व्यक्तिगत जीत से अधिक खुश हैं। श्वेता का कहना है कि उन्हें कमाठीपुरा से विदेश पढ़ने वाली पहली लड़की होने से अधिक खुशी इस बात कि है कि उनके यहां से तीन और लड़कियां विदेश में पढ़ाई कर रही हैं। कॉलेज का पहला दिन आज भी याद है श्वेता को आज भी साल 2013 में बार्ड कॉलेज में अपना पहला दिन याद आता है। उस समय अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ गई थी लेकिन मराठी मीडियम से पढ़ाई करने वाली लड़की के लिए अमेरिका के एलीट कॉलेज का पहला दिन डराने वाला था। श्वेता का कहना है कि उनके मन में यह भावना थी कि 'मैं उतनी अच्छी नहीं हूं'। इसके अलावा 'मेरी उपलब्धि एक कहानी के जरिये है ना कि योग्यता से। डिप्रेशन में चली गई थी श्वेता दरअसल, श्वेता को स्कॉलरशिप उनके नाम कि सिफारिश करने से मिली थी। उन्होंने बताया कि अमेरिकी प्रोफेसरों के शुरूआती अस्पष्ट उच्चारण, आर्थिक रूप से साफतौर पर दिखने वाला अंतर और इन्टेंस एकेडमिक स्टैंडर्ड ने उसे चिंता में डाल दिया था। इसके बाद वह डिप्रेशन में चली गईं। यह बिल्कुल वैसी ही स्थिति थी जिसकी वजह से उन्होंने मुंबई कॉलेज में पूरे फर्स्ट ईयर में एक भी लेक्चर अटेंड नहीं किया था। खुद के बयां करने के लिए मेहनत एनजीओ क्रांति की त्रिना तालुकदार कहती हैं, सेक्सवर्कर की बेटियों को अपनी कहानी खुद बयां करने के लिए काम करना पड़ता है। इसने ही कट्टी की मदद की थी। वह एक वेश्यालय से निकली थी। यौन शोषण का शिकार हुई थी और स्कूल में काला गोबर जैसे कई तरह के उपनाम को झेला। उसकी कहानी ने सेक्सवर्कर्स के कई बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में प्रेरित किया और मदद की। तालुकदार कहती हैं हमारे यहां कॉलेज एडमिशन के लिए अंकों पर जोर देते हैं, जबकि विदेशी विश्वविद्यालय उनकी पृष्ठभूमि से धैर्य, लचीलापन और अन्य कौशल पर ध्यान देते हैं। बार डांसर की बेटी ने किया अमेरिकी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन एक बार डांसर की चार बेटियों में से दूसरी, फराह शेख ने हाल ही में लॉस एंजिल्स यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट से ग्रेजुएशन किया है। फराह ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है। फराह शेख को अपने पति की मौत के बाद गुजारा करने के लिए सेक्सवर्कर का काम करना पड़ा। चाइल्ड काउंसल शेख की तरह कट्टी ने भी मनोविज्ञान को चुना होता अगर उसने बार्ड कॉलेज में पढ़ाई जारी रखी होती। विदेशी रूममेट्स के साथ रहने से मिली मदद श्वेता कट्टी वहां बिताए तीन सेमेस्टर के लिए आभारी है। श्वेता का कहना है कि मैं तब एक ग्लोबल सिटीजन बन गई। कट्टी विदेशी रूममेट्स के साथ रहते-रहते राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से जागरूक हो गई थी। इसके तुरंत बाद, उसने एक मल्टी कंट्री स्टडी अब्रॉड प्रोग्राम के लिए आवेदन किया था। वहां सब्जेक्ट के रूप में समाजशास्त्र और फिक्शन राइटिंग शामिल थे। यहां, कट्टी दक्षिण अफ्रीका में वंचितों की कमजोरियों और वियतनाम में भारत के समानताएं खोजेगी। अपनी यात्रा से खुश हैं श्वेता श्वेता ने मुंबई में क्रांति में अपनी इंटर्नशिप के दौरान एडिनबर्ग फ्रिंज फेस्टिवल में हिस्सा लिया। इसके बाद अमेरिका में सोशल एंटरप्रेन्योरशिप में एक कोर्स किया। आध्यात्मिकता की राह मिलने के बीच में उनकी पुरानी बीमारी टीबी ने भी बीच-बीच में काफी परेशान किया। अब, 26 साल की यूएन यूथ करेज अवार्ड विजेता श्वेता अपनी यात्रा हैशटैग #Selflove से काफी खुश हैं। फराह शेख (लेफ्ट) और श्वेता कट्टी।Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुक पेज लाइक करें कॉमेंट लिखें इन टॉपिक्स पर और पढ़ें