ख़बर सुनें उत्तराराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में ऋषिगंगा और धौलीगंगा के मुहाने पर बनी झील की स्थिति अभी खतरनाक नहीं है, लेकिन झील से पानी की निकासी बढ़ाने के लिए जलधाराएं बनाई जा सकती हैं। जिन जलधाराओं से पानी की निकासी हो रही है, उन्हें और गहरा किया जा सकता है। यह सुझाव केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों के वैज्ञानिकों ने दिया। बृहस्पतिवार को झील का मुआयना करने के लिए एक टीम मौके पर जाएगी। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में सदस्य सचिव राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण संजीव कुमार जिंदल, आईटीबीपी, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), केंद्रीय जल आयोग, आईआईटी रुड़की व अन्य विभागों के वैज्ञानिकों ने अपने सुझाव साझा किए। ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आकस्मिक बाढ़ व आपदा की रोकथाम के संबंध में आयोजित इस बैठक में वैज्ञानिकों ने कहा कि झील की वास्तविक जानकारी पता लगाने के बाद अगले दो से तीन दिन में कोई उचित कदम उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तब तक वहां नई जलधाराएं बनाई जाएं तथा जो बनाई गई हैं, उनको और गहरा किया जाए ताकि अधिक मात्रा में पानी की निकासी हो सके। झील से किसी भी तरह का संकट नहीं मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बैठक में बताया कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ.एमपीएस बिष्ट ने अपने प्रस्तुतिकरण में अवगत कराया है कि उच्च उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर रौथीधार में मलबा आने से प्राकृतिक झील बनी है। उसके आसपास आ रहे परिवर्तन जैसे पानी का उतार चढ़ाव, मलबे की ऊंचाई में कमी और नई जलधाराओं का बनना चालू है। इससे किसी भी तरह के संकट की आशंका नहीं है। गुरुवार को झील का मुआयने करने जाएगी टीम मुख्य सचिव ने बताया कि बृहस्पतिवार को उप महानिरीक्षक आईटीबीपी, निदेशक युसैक डॉ.एमपीएस बिष्ट, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से जीएस रावत और एसडीआरएफ की एक टीम झील का निरीक्षण करने के लिए मौके पर जाएगी। टीम दिन तक उनको वस्तुस्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। फिर अग्रिम कार्यवाही के लिए गृह सचिव को अवगत कराया जाएगा। आईटीबीपी के अनुभवी अधिकारी होंगे टीम लीडर मुख्य सचिव ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सुधारात्मक कदम उठाने और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए आईटीबीपी के किसी वरिष्ठ व अनुभवी अधिकारी को टीम लीडर बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टीम लीडर के निर्देशों के अनुसार सभी स्थानीय विभाग और एजेंसियां कार्य करेंगी। उन्होंने स्थानीय स्तर पर तैनात टीम को सुरक्षा के सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए कार्य करने के निर्देश दिए। विस्तार उत्तराराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में ऋषिगंगा और धौलीगंगा के मुहाने पर बनी झील की स्थिति अभी खतरनाक नहीं है, लेकिन झील से पानी की निकासी बढ़ाने के लिए जलधाराएं बनाई जा सकती हैं। जिन जलधाराओं से पानी की निकासी हो रही है, उन्हें और गहरा किया जा सकता है। यह सुझाव केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों के वैज्ञानिकों ने दिया। बृहस्पतिवार को झील का मुआयना करने के लिए एक टीम मौके पर जाएगी। विज्ञापन केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में सदस्य सचिव राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण संजीव कुमार जिंदल, आईटीबीपी, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), केंद्रीय जल आयोग, आईआईटी रुड़की व अन्य विभागों के वैज्ञानिकों ने अपने सुझाव साझा किए। ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आकस्मिक बाढ़ व आपदा की रोकथाम के संबंध में आयोजित इस बैठक में वैज्ञानिकों ने कहा कि झील की वास्तविक जानकारी पता लगाने के बाद अगले दो से तीन दिन में कोई उचित कदम उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तब तक वहां नई जलधाराएं बनाई जाएं तथा जो बनाई गई हैं, उनको और गहरा किया जाए ताकि अधिक मात्रा में पानी की निकासी हो सके। झील से किसी भी तरह का संकट नहीं मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बैठक में बताया कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ.एमपीएस बिष्ट ने अपने प्रस्तुतिकरण में अवगत कराया है कि उच्च उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर रौथीधार में मलबा आने से प्राकृतिक झील बनी है। उसके आसपास आ रहे परिवर्तन जैसे पानी का उतार चढ़ाव, मलबे की ऊंचाई में कमी और नई जलधाराओं का बनना चालू है। इससे किसी भी तरह के संकट की आशंका नहीं है। गुरुवार को झील का मुआयने करने जाएगी टीम मुख्य सचिव ने बताया कि बृहस्पतिवार को उप महानिरीक्षक आईटीबीपी, निदेशक युसैक डॉ.एमपीएस बिष्ट, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से जीएस रावत और एसडीआरएफ की एक टीम झील का निरीक्षण करने के लिए मौके पर जाएगी। टीम दिन तक उनको वस्तुस्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। फिर अग्रिम कार्यवाही के लिए गृह सचिव को अवगत कराया जाएगा। आईटीबीपी के अनुभवी अधिकारी होंगे टीम लीडर मुख्य सचिव ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सुधारात्मक कदम उठाने और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए आईटीबीपी के किसी वरिष्ठ व अनुभवी अधिकारी को टीम लीडर बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टीम लीडर के निर्देशों के अनुसार सभी स्थानीय विभाग और एजेंसियां कार्य करेंगी। उन्होंने स्थानीय स्तर पर तैनात टीम को सुरक्षा के सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए कार्य करने के निर्देश दिए। विज्ञापन विज्ञापन आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें। खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? हां