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Latest Breaking News On - Prabhat khabar editorial - Page 1 : vimarsana.com

article by padmashree ashok bhagat on prabhat khabar editorial about kotedar baba srn

झारखंड के आदिवासी समाज में आंदोलनों की लंबी शृंखला है. इनमें कोठदार बाबा के आंदोलन की अलग अहमियत है, जिस पर राष्ट्रीय विमर्श की जरूरत है. | आसेतु हिमालय भारत, सांस्कृतिक रूप से एक है. यह भारत के राष्ट्र जीवन का एकात्मबोध है. आदि सनातन से इसका स्वरूप कमोबेश यही रहा है. बाहरी हस्तक्षेप या सैन्य आक्रमण के कारण यदि किसी भौगोलिक क्षेत्र में थोड़ा-बहुत बदलाव आया, तो उसका प्रभाव संपूर्ण उपमहा

article by political analyst rasheed kidwai on prabhat khabar editorial congress crisis srn

पार्टी को नये सिरे से अपनी विचारधारा को परिभाषित करना है, ताकि वह अपनी उपस्थिति का विस्तार कर सके. | लंबे समय से कांग्रेस के भीतर जो स्थिति दिख रही है, उससे एक प्रमुख संकेत यह मिलता है कि राहुल गांधी पार्टी में नयापन लाना तथा नयी ऊर्जा का संचार करना चाहते हैं. इसके लिए वे कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं. इस प्रयास में कभी उन्हें लाभ होता हुआ, तो कभी घाटा होता हुआ दिखायी दे रहा, जो किसी राजनीति

article by senior journalist umesh chaturvedi on prabhat khabar editorial about upsc result 2021 srn

सफलताओं की कहानियों पर लहालोट होना भी चाहिए. इससे भावी पीढ़ियों का उत्साह बड़ता है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि सफलता की ये कहानियां अपने रचे जाने के दौर में कैसे सपने दिखाती हैं और बाद में वे कैसी हो जाती हैं. | सफलताएं दुनिया को आकर्षित ही नहीं, प्रेरित भी करती हैं. इन अर्थों में संघ लोक सेवा आयोग की 2020 की परीक्षा में शीर्ष पर रहे बिहार के कटिहार निवासी शुभम की कहानियों से युवाओ

article by editor of bbc shivkant on prabhat khabar editorial about german election 2021 srn

समन्वय, धीरज और समझदारी से काम लेना तथा सही अवसर की प्रतीक्षा करना चांसलर एंगला मर्कल की ताकत रही है. | जर्मनी में गत रविवार को हुआ संसदीय चुनाव दो कारणों से दिलचस्प था. सोलह बरसों में यह पहला चुनाव था, जिसमें चांसलर एंगला मर्कल मैदान में नहीं थीं और परिवर्तन के नारे पर मैदान में उतरी पर्यावरणवादी ग्रीन पार्टी जर्मन राजनीति पर हावी रहनेवाली दो प्रतिद्वंद्वी पार्टियों- सीडीयू और एसप

article by senior journalist r rajagopalan on prabhat khabar editorial about tamilnadu politics update srn

क्या केंद्र सरकार द्रमुक के साथ कड़ा रुख अपनायेगी या जुलाई, 2022 के राष्ट्रपति चुनाव तक सामंजस्य बनाने की कोशिश करेगी? | एमके स्टालिन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में 125 दिन पूरे कर लिये हैं, पर अभी उन्हें अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करना है. क्या सत्तारूढ़ दल द्रमुक अब भी राज्य की पूर्ण स्वायत्तता की मांग करेगा या सहकारी संघवाद की नीति पर चलेगा? बीते तीन माह के शासन का संकेत यह

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