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पेगासस पर चर्चा से भाग रही सरकार


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नयी दिल्ली में मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह के आवास के पास पेगासस मामले को लेकर प्रदर्शन करते कांग्रेस कार्यकर्ता। -प्रेट्र
नयी दिल्ली, 27 जुलाई (एजेंसी)
पेगासस जासूसी विवाद, नये कृषि कानूनों के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के हंगामे के कारण मंगलवार को भी संसद की कार्यवाही बाधित हुई। लोकसभा की बैठक 9 बार के स्थगन के बाद अपराह्न 4:35 बजे दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी। इसके बाद कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और गुरजीत सिंह औजला कृषि कानूनों के मुद्दे पर सदन में ही 4 घंटे धरने पर बैठे रहे।
इस बीच, कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर पेगासस मामले को लेकर चर्चा से भागने का आरोप लगाया और कहा कि जब तक सरकार इस विषय पर चर्चा के लिए तैयार नहीं हो जाती, तब तक संसद में गतिरोध खत्म नहीं होगा। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से कहा कि सरकार को सभी दलों की बैठक बुलानी चाहिए और पेगासस जासूसी प्रकरण पर चर्चा के लिए तैयार होकर इस गतिरोध को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘हमने पेगासस और किसानों का मुद्दा उठाया। सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। हम चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में पेगासस मामले की जांच हो। फ्रांस, हंगरी, जर्मनी और कई अन्य देशों में जांच चल रही है। हमारी सरकार जांच के लिए क्यों तैयार नहीं हो रही? क्या यह सरकार खुद जासूसी कर रही है या कोई और है?’ उन्होंने तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी किसी मुद्दे का लोकतांत्रिक ढंग से समाधान करने को तैयार नहीं हैं। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय, सपा के रामगोपाल यादव, द्रमुक के तिरुची शिवा, भाकपा के विनय विश्वम और आप के संजय सिंह ने भी चर्चा कराए जाने की मांग की।
आज कार्यस्थगन नोटिस देंगे
कांग्रेस नेत राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी नेता पेगासस जासूसी मामले को लेकर बुधवार को लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देंगे। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया।
विपक्ष का राष्ट्रपति को पत्र
देश के 7 विपक्षी दलों ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार को पेगासस जासूसी मामले और किसानों के मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने के लिए निर्देश दें। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राकांपा के अलावा बसपा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, नेशनल कांफ्रेंस, भाकपा और माकपा ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।
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22 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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