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Jatindra Nath Das's fast started in Lahore Jail, this fast ended with his martyrdom after 63 days | लाहौर जेल में जतिंद्र नाथ दास ने शुरू किया था अनशन; 63 दिन बाद उनकी शहादत के साथ खत्म हुआ


Jatindra Nath Das's Fast Started In Lahore Jail, This Fast Ended With His Martyrdom After 63 Days
आज का इतिहास:लाहौर जेल में जतिंद्र नाथ दास ने शुरू किया था अनशन; 63 दिन बाद उनकी शहादत के साथ खत्म हुआ
14 घंटे पहले
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आज ही के दिन भारत के महान क्रांतिकारी जतिंद्र नाथ दास ने लाहौर जेल में अपना अनशन शुरू किया था। कैदियों को बेहतर सुविधाएं देने की मांग से शुरू हुआ ये अनशन आखिरकार 63 दिन बाद जतिंद्र नाथ दास की शहादत के साथ खत्म हुआ। मात्र 24 साल की उम्र में शहीद हुए जतिंद्र नाथ दास की अंतिम यात्रा में इतने लोग उमड़े कि पूरा कलकत्ता शहर थम गया था।
1904 में कलकत्ता में जन्मे जतिंद्र नाथ दास के बचपन में ही उनकी माता का निधन हो गया था। युवावस्था में पढ़ाई के दौरान ही उनके अंदर देशभक्ति के विचारों ने जन्म ले लिया था, जिसका नतीजा ये हुआ कि वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़े और जेल भी गए। चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को खत्म किया था। महात्मा गांधी के इस फैसले से जतिंद्र का आंदोलन से मोहभंग हुआ और वे पढ़ाई में जुट गए।
इस दौरान उनकी मुलाकात क्रांतिकारी नेता शचीन्द्रनाथ सान्याल से हुई। उन्होंने उनसे ही बम बनाना सीखा। 1925 में काकोरी कांड के बाद जतिंद्र नाथ दास फिर गिरफ्तार हुए। पर जेल में भारतीय कैदियों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को देखते हुए जतिंद्र ने अनशन शुरू कर दिया। 20 दिन तक अनशन जारी रहा। आखिरकार जेल प्रशासन ने माफी मांगकर जतिंद्र नाथ दास को रिहा कर दिया।
वे भगतसिंह और सुभाषचंद्र बोस के करीबी रहे। भगत सिंह ने जतिंद्र नाथ दास के बनाए बम को ही बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर असेंबली में फेंका था। बम कांड को लेकर अंग्रेजों ने दास को दोबारा गिरफ्तार किया। लाहौर जेल में उनके साथ भगतसिंह भी थे। जेल में कैदियों के साथ होने वाले बर्ताव को देखकर दास ने फिर अनशन शुरू करने का फैसला लिया।
जतिंद्र नाथ दास की शहादत के 50 साल पूरे होने पर भारत सरकार ने उनके नाम से डाक टिकट जारी किया।
1929 में जतिंद्र ने अनशन शुरू किया। 10 दिन में क्रांतिकारियों की हालत खराब होने लगी, पर दास का हौसला कायम रहा। शुरुआत में वे केवल पानी पीते थे पर जब पता चला कि जेल के अधिकारी पानी में गोलियां मिलाकर दे रहे हैं, तो उन्होंने पानी पीना भी छोड़ दिया। धीरे-धीरे अनशन की खबर जेल से बाहर पहुंच गई और ये एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया। जेल अधिकारियों ने दास को नली से दूध पिलाने की कोशिशें की। पर दास कुछ भी खाने-पीने को तैयार नहीं थे। झूमाझटकी में दूध दास के फेफड़ों में चला गया और उनकी हालत बिगड़ गई।
अनशन तुड़वाने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं और 13 सितंबर 1929 को दास का निधन हो गया। मरते वक्त उनका सिर अपने भाई की गोदी में था। लाहौर से उनका शव कलकत्ता ले जाया गया। रास्ते में हजारों देशवासियों ने शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि दी। पूरा कलकत्ता उन्हें अंतिम विदाई देने उमड़ पड़ा।
1974: भारत का पहला वन-डे इंटरनेशनल मैच
आज ही के दिन 1974 में भारतीय क्रिकेट टीम ने अजीत वाडेकर की कप्तानी में पहला वन-डे इंटरनेशनल मैच खेला था। हेडिंग्ले की पिच पर हुए इस मैच में भारतीय टीम ने 265 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया था, लेकिन इंग्लैंड ने ये मैच जीत लिया। 1974 में भारतीय टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया था। इस दौरे में 3 टेस्ट और 2 वन-डे मैच खेले जाने थे। शुरुआती 3 टेस्ट इंग्लैंड की टीम जीत चुकी थी अब बारी वन-डे की थी। आज ही के दिन पहला वन-डे खेला गया। इंग्लैंड के कप्तान माइक डेनेस ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया। कप्तान अजीत वाडेकर और ब्रजेश पटेल ने शानदार अर्धशतक जड़े। इस दौरान विकेट भी गिरते रहे। 53.5 ओवर में भारतीय टीम ने 265 रन बनाए।
मैन ऑफ द मैच रहे इंग्लैंड के जॉन एड्रिक शॉट लगाते हुए।
स्कोर का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम ने 51.1 ओवर में 266 रन बनाकर 4 विकेट से मैच जीत लिया। 97 गेंदों पर 90 रन बनाने वाले जॉन एड्रिक मैन ऑफ द मैच रहे। 15 जुलाई को दोनों टीमों के बीच दूसरा वन-डे खेला गया, जिसे भी इंग्लैंड ने 6 विकेट से जीत लिया।
13 जुलाई को इतिहास में इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…
2016: थेरेसा मे यूके की दूसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं।
2011: मुंबई में 3 अलग-अलग जगहों पर बम धमाके हुए।
2005: 13 साल के बच्चे के यौन उत्पीड़न मामले में पॉप स्टार माइकल जैक्सन को बरी कर दिया गया।
1998: भारत के लिएंडर पेस ने हॉल ऑफ फेम टेनिस चैंपियनशिप में अपने करियर का पहला एटीपी खिताब जीता।
1943: जर्मनी और रूस के बीच भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में दोनों देशों की सेनाओं ने 6 हजार टैंकों का इस्तेमाल किया था। किसी युद्ध में इस्तेमाल किए गए ये सबसे ज्यादा टैंक थे।
1930: उरुग्वे में पहले फुटबॉल वर्ल्डकप की शुरुआत हुई। पहले मुकाबले में फ्रांस ने मैक्सिको को 4-1 से हराया।
1837: क्वीन विक्टोरिया ने बकिंघम पैलेस को अपना नया ठिकाना बनाया। आज भी इंग्लैंड का शाही परिवार बकिंघम पैलेस में ही रहता है।
1830: राजा राम मोहन राय ने एलेक्जेंडर डफ के साथ मिलकर स्कॉटिश चर्च कॉलेज की शुरुआत की।
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