Speed Of Toy Train On Shimla-kalka Route Will Be Increased -

Speed Of Toy Train On Shimla-kalka Route Will Be Increased - कवायद: शिमला-कालका ट्रैक पर बढ़ेगी टॉय ट्रेन की रफ्तार, आरसीएफ में तैयार हो रहे स्पेशल कोच


ख़बर सुनें
कालका-शिमला ट्रैक पर टॉय ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी गई है। कोच कपूरथला रेल कोच फैक्टरी में तैयार किए जाएंगे। कोचों को जोड़ने की संभावनाएं कालका वर्कशॉप में तलाशी जा रही हैं। कपूरथला रेल कोच फैक्टरी के जीएम रविंदर गुप्ता यहां का दौरा भी कर चुके हैं। नैरो गेज ट्रैक पर दौड़ने वाले कोच बनाने के लिए स्केच और डिजाइन तैयार किया जा रहा है। कुल 91 स्पेशल कोच तैयार किए जाएंगे।
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ की टीम इस नैरो गेज ट्रैक पर 22 से 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाने पर विचार कर रही है। अभी आरडीएसओ को फाइनल रिपोर्ट भी देनी है। वहीं, रेलवे इंजीनियरिंग विंग के अधिकारियों की मानें तो सभी ट्रेनों में डेंपर्स की मदद से डिब्बों और व्हील के बीच दोनों तरफ संतुलन बनाया जाएगा। ताकि नैरो गेज ट्रैक पर दौड़ती ट्रेन डिरेल न हो सके। 
मौजूदा समय में कालका से शिमला की 96 किलोमीटर की दूरी ट्रेन 23 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से औसतन 5 घंटे में तय करती है। लेकिन अब इसकी गति 30 किमी प्रतिघंटा होने पर यह दूरी करीब 4 घंटे में तय हो सकेगी। इस ट्रैक पर पहले 40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से टॉय ट्रैन दौड़ाने की योजना थी, लेकिन ट्रैक पर 48 डिग्री के करीब 600 कर्व हैं। ऐसी स्थिति में 35 से अधिक रफ्तार से 7 डिब्बों वाली टॉय ट्रेन को दौड़ाने का मतलब अक्तूबर, 2015 डिरेल वाले हादसे को दोहराना है। 2015 में टॉय ट्रेन की स्पीड महज 3 से 5 किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ाने की कोशिश की गई थी। उस समय सितंबर और अक्तूबर में दो बार ट्रैक से टॉय ट्रेन बेपटरी हो गई थी। सितंबर के हादसे में तीन ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई थी, जबकि 20 लोग घायल हुए थे। 
रेलवे के मुताबिक ट्रेन की रफ्तार 30 किमी प्रतिघंटा बढ़ाने के लिए ढाई फुट चौड़े नैरो गेज ट्रैक पर तीखे मोड़ खत्म करने होंगे। हालांकि हेरिटेज सेक्शन होने के कारण इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता तो ऐसे में नई ब्रॉडगेज की चौड़ी रेल पटरी बिछाई जाए या फिर रेल कार की भांति एक या दो डिब्बों की ट्रेन चलाई जाए, तभी 35 की रफ्तार से ट्रेन चलाना संभव होगा। सिर्फ कालका से सोलन तक ही 393 कर्व हैं। इनमें 36, 45, 48 डिग्री के कर्व भी शामिल हैं, जहां स्पीड बढ़ाना संभव नहीं है। कालका-शिमला मार्ग पर तारादेवी से जगोत के बीच कम डिग्री के कर्व हैं। यहां कुछ जगह ट्रैक स्ट्रेट भी है। इस ट्रैक पर टॉय ट्रेन की स्पीड कुछ बढ़ाई जा सकती है। आरडीएसओ की टीम ने सबसे पहले यहां परीक्षण किया था। इस मार्ग पर 22 से 37 किमी की रफ्तार से इंजन दौड़ाया गया, लेकिन 37 पर जाते ही इंजन कांपने लगा था। 
गति बढ़ाने की योजना
इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए ट्रैक के एलाइनमेंट को बदला जाएगा।
जहां ट्रेन के ट्रैक बदले जाते हैं, उसे भी ज्यादा स्पीड के लिहाज से तैयार किया जाएगा।
इस पूरे रूट पर लकड़ी के स्लीपर (जिस पर पटरी बिछाई जाती है) को हटाकर वहां सीमेंट के स्लीपर लगाए जाएंगे।
इस रूट पर ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए करीब 100 करोड़ खर्च किए जाएंगे
रूट के पुराने सिग्नल सिस्टम हटाकर वहां कई रंगों वाले आधुनिक सिग्नल लगाए जाएंगे।
पूरे रोलिंग स्टॉक यानी कोच, इंजन, सॉकर और ट्रैक को 30 किलोमीटर की रफ्तार के लिहाज से तैयार किया जाएगा।
विस्तार
कालका-शिमला ट्रैक पर टॉय ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी गई है। कोच कपूरथला रेल कोच फैक्टरी में तैयार किए जाएंगे। कोचों को जोड़ने की संभावनाएं कालका वर्कशॉप में तलाशी जा रही हैं। कपूरथला रेल कोच फैक्टरी के जीएम रविंदर गुप्ता यहां का दौरा भी कर चुके हैं। नैरो गेज ट्रैक पर दौड़ने वाले कोच बनाने के लिए स्केच और डिजाइन तैयार किया जा रहा है। कुल 91 स्पेशल कोच तैयार किए जाएंगे।
विज्ञापन
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ की टीम इस नैरो गेज ट्रैक पर 22 से 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाने पर विचार कर रही है। अभी आरडीएसओ को फाइनल रिपोर्ट भी देनी है। वहीं, रेलवे इंजीनियरिंग विंग के अधिकारियों की मानें तो सभी ट्रेनों में डेंपर्स की मदद से डिब्बों और व्हील के बीच दोनों तरफ संतुलन बनाया जाएगा। ताकि नैरो गेज ट्रैक पर दौड़ती ट्रेन डिरेल न हो सके। 
पांच घंटे में तय होती है 96 किलोमीटर की दूरी
मौजूदा समय में कालका से शिमला की 96 किलोमीटर की दूरी ट्रेन 23 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से औसतन 5 घंटे में तय करती है। लेकिन अब इसकी गति 30 किमी प्रतिघंटा होने पर यह दूरी करीब 4 घंटे में तय हो सकेगी। इस ट्रैक पर पहले 40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से टॉय ट्रैन दौड़ाने की योजना थी, लेकिन ट्रैक पर 48 डिग्री के करीब 600 कर्व हैं। ऐसी स्थिति में 35 से अधिक रफ्तार से 7 डिब्बों वाली टॉय ट्रेन को दौड़ाने का मतलब अक्तूबर, 2015 डिरेल वाले हादसे को दोहराना है। 2015 में टॉय ट्रेन की स्पीड महज 3 से 5 किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ाने की कोशिश की गई थी। उस समय सितंबर और अक्तूबर में दो बार ट्रैक से टॉय ट्रेन बेपटरी हो गई थी। सितंबर के हादसे में तीन ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई थी, जबकि 20 लोग घायल हुए थे। 
30 से ज्यादा रफ्तार के लिए खत्म करने होंगे तीखे मोड़
रेलवे के मुताबिक ट्रेन की रफ्तार 30 किमी प्रतिघंटा बढ़ाने के लिए ढाई फुट चौड़े नैरो गेज ट्रैक पर तीखे मोड़ खत्म करने होंगे। हालांकि हेरिटेज सेक्शन होने के कारण इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता तो ऐसे में नई ब्रॉडगेज की चौड़ी रेल पटरी बिछाई जाए या फिर रेल कार की भांति एक या दो डिब्बों की ट्रेन चलाई जाए, तभी 35 की रफ्तार से ट्रेन चलाना संभव होगा। सिर्फ कालका से सोलन तक ही 393 कर्व हैं। इनमें 36, 45, 48 डिग्री के कर्व भी शामिल हैं, जहां स्पीड बढ़ाना संभव नहीं है। कालका-शिमला मार्ग पर तारादेवी से जगोत के बीच कम डिग्री के कर्व हैं। यहां कुछ जगह ट्रैक स्ट्रेट भी है। इस ट्रैक पर टॉय ट्रेन की स्पीड कुछ बढ़ाई जा सकती है। आरडीएसओ की टीम ने सबसे पहले यहां परीक्षण किया था। इस मार्ग पर 22 से 37 किमी की रफ्तार से इंजन दौड़ाया गया, लेकिन 37 पर जाते ही इंजन कांपने लगा था। 
गति बढ़ाने की योजना
इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए ट्रैक के एलाइनमेंट को बदला जाएगा।
जहां ट्रेन के ट्रैक बदले जाते हैं, उसे भी ज्यादा स्पीड के लिहाज से तैयार किया जाएगा।
इस पूरे रूट पर लकड़ी के स्लीपर (जिस पर पटरी बिछाई जाती है) को हटाकर वहां सीमेंट के स्लीपर लगाए जाएंगे।
इस रूट पर ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए करीब 100 करोड़ खर्च किए जाएंगे
रूट के पुराने सिग्नल सिस्टम हटाकर वहां कई रंगों वाले आधुनिक सिग्नल लगाए जाएंगे।
पूरे रोलिंग स्टॉक यानी कोच, इंजन, सॉकर और ट्रैक को 30 किलोमीटर की रफ्तार के लिहाज से तैयार किया जाएगा।
कालका-शिमला रूट पर ट्रॉय ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए कोच तैयार किए जाने हैं। इसी के मद्देनजर कपूरथला रेल कोच फैक्टरी के जीएम कालका वर्कशॉप में दौरा करने आए थे। इसी चेन का एक हिस्सा कालका रेलवे वर्कशॉप बने, जो स्पेशल कोच कपूरथला रेल कोच फैक्टरी में तैयार किए जाएंगे, उनकी असेंबलिंग कालका में हो। इस योजना पर काम चल रहा है।
-जीएम सिंह, डीआरएम अंबाला मंडल रेलवे।
विज्ञापन

Related Keywords

Kapurthala , Punjab , India , Lucknow , Uttar Pradesh , United Kingdom , Ambala , Haryana , Amar Ujala , Kalkaa Solan , Nivedita Varma , Ravindra Gupta , Ad Research Design End Standard Organization , Research Design End Standard Organization , Design End Standard Organization , View Kapurthala , கபுர்தலா , பஞ்சாப் , இந்தியா , லக்னோ , உத்தர் பிரதேஷ் , ஒன்றுபட்டது கிஂக்டம் , அம்பாலா , ஹரியானா , அமர் உஜலா , ரவின்ற குப்தா ,

© 2025 Vimarsana