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बकरीद पर कुर्बानी देने से पहले जान ले ये जरुरी नियम


मुस्लिम धर्म में ईद का पर्व बेहद विशेष माना जाता है। वर्ष में ईद दो बार आती है, एक बार मीठी ईद तथा इसके पश्चात् बकरीद। मीठी ईद को Eid-ul-Fitr बोला जाता है, जबकि बकरीद को बकरा ईद, Eid-Ul-Zuha या Eid al-Adha बोला जाता है। रमजान के पश्चात् मीठी ईद मनाई जाती है जिसमें सेवइयां खाने का चलन है, जबकि बकरीद पर बकरे की बलि दी जाती है। वही इस बार बकरीद 2021 20 या 21 जुलाई 2021 मतलब मंगलवार/बुधवार को पड़ेगी। ये संभावित दिनांक है क्योंकि वास्तविक दिनांक की घोषणा Eid al-Adha का चांद दिखने के पश्चात् ही होगा। बकरीद को विश्वभर में मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं। बकरीद में भी लोग मीठी ईद की प्रकार प्रातः नमाज अदा करते हैं, इसके पश्चात् आपस में गले मिलकर एक दूसरे को ईद की शुभकामनाएं देते हैं। आइये आपको बताते है इस दिन बकरे की क़ुरबानी का नियम।।। 
कुर्बानी के हैं ये नियम:-
बकरीद पर कुर्बानी के लिए भी कुछ नियम हैं। इस दिन बकरे के अतिरिक्त ऊंट या भेड़ की भी कुर्बानी दी जा सकती है। उस पशु को कुर्बान नहीं किया जा सकता जिसको कोई शारीरिक रोग अथवा भैंगापन हो, जिसके शरीर का कोई भाग टूटा हो। शारीरिक तौर पर दुर्बल जानवर की भी कुर्बानी नहीं दी जा सकती, इसीलिए बकरीद से पूर्व ही जानवर को खिला पिलाकर हष्ट पुष्ट किया जाता है। कम-से-कम जानवर की आयु एक वर्ष होनी चाहिए।
कुर्बानी के बाद गोश्त के होते हैं तीन भाग:-
बकरीद पर कुर्बानी हमेशा ईद की नमाज अदा करने के पश्चात् ही की जाती है। इस के चलते बलि किए गए बकरे के गोश्त के तीन भाग किए जाते हैं। एक हिस्सा स्वयं के परिवार के लिए, दूसरा भाग सगे संबंधियों तथा मित्रों के लिए और तीसरा भाग जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए रखा जाता है। कई लोग इस अवसर पर दान पुण्य भी करते हैं।

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कब है बकरीद? जानिए इस दिन क्यों दी जाती है कुर्बानी


मुस्लिम धर्म में ईद का पर्व बेहद विशेष माना जाता है। वर्ष में ईद दो बार आती है, एक बार मीठी ईद तथा इसके पश्चात् बकरीद। मीठी ईद को Eid-ul-Fitr बोला जाता है, जबकि बकरीद को बकरा ईद, Eid-Ul-Zuha या Eid al-Adha बोला जाता है। रमजान के पश्चात् मीठी ईद मनाई जाती है जिसमें सेवइयां खाने का चलन है, जबकि बकरीद पर बकरे की बलि दी जाती है।
वही इस बार बकरीद 2021 20 या 21 जुलाई 2021 मतलब मंगलवार/बुधवार को पड़ेगी। ये संभावित दिनांक है क्योंकि वास्तविक दिनांक की घोषणा Eid al-Adha का चांद दिखने के पश्चात् ही होगा। बकरीद को विश्वभर में मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं। बकरीद में भी लोग मीठी ईद की प्रकार प्रातः नमाज अदा करते हैं, इसके पश्चात् आपस में गले मिलकर एक दूसरे को ईद की शुभकामनाएं देते हैं। 
जानिए क्यों इस अवसर पर बकरे की बलि का चलन कैसे आरम्भ हुआ:-
ये है मान्यता:-
बकरीद को कुर्बानी का दिन बोला जाता है। इसको लेकर एक कहानी प्रचलित है। बोला जाता है कि हज़रत इब्राहिम अलैय सलाम की कोई औलाद नहीं थी। बहुत मन्नतें मांगने के पश्चात् उन्हें एक पुत्र इस्माइल प्राप्त हुआ जो उन्हें बेहद प्रिय था। इस्माइल को ही आगे चलकर पैगंबर नाम से जाना जाने लगा। एक दिन इब्राहिम को अल्लाह ने ख्वाब में बोला कि उन्हें उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी चाहिए। इब्राहिम समझ गए कि अल्लाह उनसे उनके पुत्र की कुर्बानी मांग रहे हैं। अल्लाह के हुक्म के आगे वे अपने जान से प्यारे बेटे की बलि देने को भी तैयार हो गए। वही कुर्बानी देते वक़्त इब्राहिम ने आंखों पर पट्टी बांध ली जिससे उनकी ममता न जागे। जैसे ही उन्होंने चाक़ू उठाया, वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की रफ़्तार से इस्माइल अलैय सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर एक मेमने को रख दिया। जब इब्राहिम ने अपनी पट्टी हटाई तो देखा कि इस्माइल खेल रहा हैं तथा मेमने का सिर कटा हुआ है। तभी से इस त्यौहार पर जानवर की कुर्बानी का सिलसिला आरम्भ हो गया।

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