अपडेट समय: 190 अंतरिक्ष यात्रा के बाद जश्न मनाते जेफ बेजोस और उनके साथी। -रा वैन हॉर्न (अमेरिका), 20 जुलाई (एजेंसी) अमेजन कंपनी के संस्थापक जेफ बेजोस अपनी रॉकेट कंपनी की पहली यात्री उड़ान में सहयात्रियों के साथ मंगलवार को अंतरिक्ष में पहुंचे। एक हफ्ते से कुछ ही ज्यादा समय के अंदर अपने यान से अंतरिक्ष में जाने वाले वह दूसरे अरबपति बन गए हैं। उड़ान में चुनींदा लोग मौजूद रहे जिनमें उनके भाई मार्क बेजोस, नीदरलैंड्स का रहने वाला 18 वर्षीय युवक ओलिवर डेमन और टेक्सास में रहने वाली 82 वर्षीय महिला पायलट वैली फंक भी शामिल थीं। यानी ग्रह से बाहर जाने वाले सबसे युवा और सबसे बुजुर्ग उनके साथी रहे। बेजोस हालांकि अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में शुरुआती शख्स बनने से 9 दिन से चूक गए, क्योंकि रिचर्ड ब्रानसन के 'वर्जिन गैलेक्टिक' ने 11 जुलाई को अंतरिक्ष में पहुंचकर बाजी मार ली थी। बेजोस रॉकेट पूरी तरह स्वचालित है और ऐसे में उड़ान भरने और नीचे आने के लिये उसके अंदर प्रशिक्षित कर्मियों की कोई आवश्यकता नहीं है। ब्रानसन के वर्जिन गैलेक्टिक रॉकेट विमान के संचालन के लिये 2 पायलटों की आवश्यकता होती है। बेजोस करीब 66 मील (106 किमी) की ऊंचाई तक पहुंचे जो 11 जुलाई को रिचर्ड ब्रानसन की उड़ान द्वारा तय ऊंचाई से 10 मील (16 किमी) ज्यादा है। इस उड़ान में 10 मिनट का समय लगा। चांद पर उतरने की वर्षगांठ बेजोस के रॉकेट ने अपोलो-11 के चांद पर उतरने की 52वीं वर्षगांठ पर अपना पहला सफर किया। बेजोस ने इस तारीख के ऐतिहासिक महत्व की वजह से इसे चुना था। अमेरिका के पहले अंतरिक्ष यात्री के नाम पर बना 'ब्ल्यू ओरिजिन' का 'न्यू शेपर्ड' रॉकेट सुदूरवर्ती पश्चिमी टेक्सॉस से रवाना हुआ। खबर शेयर करें 7 घंटे पहले दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है। ‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया। खबरों के लिए सब्सक्राइब करें