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भारत
क्या होता अगर भारतीय राज्य अलग-अलग देश होते
भारत में कई ऐसे राज्य हैं, जिनकी आबादी करोड़ों में है. हमने विकसित और विकासशील देशों से इन राज्यों की तुलना कर यह जानने की कोशिश की कि भारत के राज्य अगर देश होते, तो उनकी प्रतिस्पर्धा किन देशों से होती.
भारत दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक जनसंख्या के मामले में यह 2027 तक चीन को भी पीछे छोड़ देगा. हाल ही में भारत की एक सरकारी संस्था ने जनसंख्या करीब 140 करोड़ होने का अनुमान लगाया.
पाकिस्तान से कई मोर्चों पर पिछड़ा उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश (UP) की जनसंख्या अब करीब 23 करोड़ है जो पाकिस्तान की जनसंख्या के लगभग बराबर है. अमेरिका की जनसंख्या इससे कुछ ज्यादा है. यूपी में प्रति 1000 पुरुषों पर सिर्फ 878 महिलाएं हैं, जबकि पाकिस्तान में यह आंकड़ा 971 और अमेरिका में 1031 है.
यूपी में लोगों की औसत आयु 65 साल है. पाकिस्तान और अमेरिका दोनों ही इस मामले में यूपी से आगे हैं. यूपी की जीडीपी भी पाकिस्तान से कम है. वहीं अमेरिका की जीडीपी यूपी से 900 गुना से भी ज्यादा है. इसी तरह यूपी में प्रति व्यक्ति आय 65 हजार रुपये है जबकि पाकिस्तान में यह 94 हजार रुपये और अमेरिका में 42 लाख रुपये है.
महाराष्ट्र वालों से 3.5 गुना ज्यादा कमाते हैं मेक्सिको के लोग
मेक्सिको और महाराष्ट्र दोनों ने ही कोरोना का सबसे बुरा असर झेला. दोनों की जनसंख्या भी लगभग बराबर है. इसके अलावा रूस की जनसंख्या भी लगभग इतनी ही है. महाराष्ट्र में साक्षरता दर 84.8 है लेकिन मेक्सिको (96) और रूस (99.7) बेहतर स्थिति में हैं. महाराष्ट्र में प्रति 1000 पुरुषों पर सिर्फ 881 महिलाएं हैं जबकि मेक्सिको में यह आंकड़ा 1028 और रूस में 1159 है.
भारत के सबसे बड़े औद्योगिक राज्यों में से एक महाराष्ट्र की जीडीपी मेक्सिको से तीन गुना कम और रूस से चार गुना कम है. महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख रुपये है जबकि मैक्सिको में हर व्यक्ति सालाना 7 लाख और रूस में सालाना 8.5 लाख रुपये कमाता है.
इथोपिया से भी पीछे बिहार
बिहार की जनसंख्या अब करीब 12.3 करोड़ है, जो इथोपिया और जापान की जनसंख्या के लगभग बराबर है. बिहार में प्रति 1000 पुरुषों पर 900 महिलाएं हैं जबकि इथोपिया में यह आंकड़ा 1010 और जापान में 1054 है.
तस्वीरों मेंः बिहार खास बनाने वाली बातें
बिहार को खास बनाने वाली बातें
शिक्षा का केंद्र
प्राचीन काल में बिहार दुनिया भर के सीखने वालों के लिए शिक्षा का केंद्र था. पाटलिपुत्र भारतीय सभ्यता का गढ़ था तो नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी. नालंदा लाइब्रेरी ईरान, कोरिया, जापान, चीन, फारस से लेकर ग्रीस तक के पढ़ने वालों को आकर्षित करती थी. बख्तियार खिलजी की सेना ने इसमें आग लगा दी थी, जिसे बुझने में तीन महीने लगे थे.
बिहार को खास बनाने वाली बातें
कला की खान
सैंकड़ों साल पुरानी मिथिला पेंटिग आज देश और विदेश में प्रसिद्ध है. इसकी जन्मस्थली भी बिहार ही है. भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चार सिंहों के सिर वाला अशोक चक्र कभी बिहार में स्थित अशोक स्तंभ से ही लिया गया गया.
बिहार को खास बनाने वाली बातें
धर्मों की जन्मस्थली
बौद्ध और जैन धर्मों का उदय बिहार में हुआ, गौतम बुद्ध और महावीर के फैलाए अहिंसा के सिद्धांत की शुरुआत भी यहीं हुई मानी जाती है. इसके अलावा सिख धर्म की जड़ें भी बिहार से जुड़ी हैं. सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह पटना में जन्मे थे.
बिहार को खास बनाने वाली बातें
भाषाएं और बोलियां
सबसे ज्यादा लोग हिन्दी बोलते समझते हैं. इसके अलावा भोजपुरी, मगही और मैथिली बोलियां भी खूब प्रचलित हैं. ऑफिसों, बैंकों, शिक्षा संस्थानों और कई प्राइवेट कंपनियों में अंग्रेजी भी बोली समझी जाती है. मैथिली में अच्छी खासी साहित्य रचनाएं हुई हैं. मैथिल कवि कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति मैथिली के कवि और संस्कृत के बड़े विद्वान थे.
बिहार को खास बनाने वाली बातें
नाम की कहानी
बिहार प्राचीन काल में मगध कहलाता था और इसकी राजधानी पटना का नाम पाटलिपुत्र था. मान्यता है कि बिहार शब्द की उत्पत्ति बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुई जो बाद में बिहार हो गया. आधुनिक समय में 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है.
बिहार को खास बनाने वाली बातें
राज का इतिहास
बिहार में मौर्य, गुप्त जैसे राजवंशों और मुगल शासकों ने राज किया. 1912 में बंगाल के विभाजन के समय बिहार अस्तित्व में आया. फिर 1935 में उड़ीसा और 2000 में झारखण्ड बिहार से अलग होकर स्वतंत्र राज्य बने. दुनिया का सबसे पहला गणराज्य बिहार में वैशाली को माना जाता है. भारत के चार महानतम सम्राट समुद्रगुप्त, अशोक, विक्रमादित्य और चंद्रगुप्त मौर्य बिहार में ही हुए.
रिपोर्ट: ऋतिका पाण्डेय
बिहार की जीडीपी 86 अरब डॉलर है जबकि गृह युद्ध में फंसे इथोपिया की जीडीपी भी 97 बिलियन डॉलर है. वहीं जापान की जीडीपी बिहार से 60 गुना ज्यादा है. बिहार में प्रति व्यक्ति आय सालाना 46 हजार रुपये है जबकि इथोपिया तक में यह 63 हजार रुपये और जापान में 32 लाख रुपये सालाना है.
फिलीपींस और मिस्र से पिछड़ा बंगाल
पश्चिम बंगाल की जनसंख्या अब करीब 10 करोड़ है जो फिलीपींस और मिस्र के लगभग बराबर है. बंगाल में प्रति 1000 पुरुषों पर 939 महिलाएं हैं जबकि फिलीपींस में यह आंकड़ा 996 और मिस्र में 992 है. हाल ही में चुनावों से गुजरे बंगाल में बेरोजगारी दर 22 फीसदी के भयानक स्तर पर है, जो फिलीपींस में 7.7 और मिस्र में 7.4 फीसदी है.
पश्चिम बंगाल की जीडीपी 180 अरब डॉलर है जबकि फिलीपींस और मिस्र दोनों की ही जीडीपी इसके दोगुने से भी ज्यादा है. बंगाल में प्रति व्यक्ति सालाना आय 1.1 लाख रुपये है जो फिलीपींस में 2.7 लाख और मिस्र में 2.8 लाख रुपये सालाना है.
मध्य प्रदेश से 7 गुना कमाते हैं तुर्की वाले
मध्य प्रदेश (MP) की जनसंख्या करीब 8.7 करोड़ है जो कॉन्गो और तुर्की की जनसंख्या के बराबर है. यहां साक्षरता दर 73.7 है, जो कॉन्गो और तुर्की दोनों से ही कम है. एमपी में हजार पुरुषों के मुकाबले 916 महिलाएंहैं, जबकि कॉन्गो (998) और तुर्की (1005) में यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है.
एमपी की जीडीपी 130 बिलियन डॉलर है जबकि कॉन्गो की जीडीपी 55 बिलियन डॉलर और तुर्की की जीडीपी 6 गुना ज्यादा करीब 790 बिलियन डॉलर है. एमपी में प्रति व्यक्ति आय सालाना 1 लाख रुपये है जबकि कॉन्गो के लोगों की प्रति व्यक्ति आय 31 हजार और तुर्की के लोगों की आय करीब 7 लाख रुपये सालाना है.
ईरान से हर पायदान पर पिछड़ा राजस्थान
राजस्थान की जनसंख्या फिलहाल 8.2 करोड़ है, जो ईरान और जर्मनी के आस-पास है. राजस्थान में साक्षरता दर 70 फीसदी है. ईरान (96%) और जर्मनी (99% से ज्यादा) दोनों ही इससे बहुत आगे हैं. राजस्थान में हजार पुरुषों के मुकाबले 856 महिलाएं हैं जबकि ईरान (972) और जर्मनी (1040) की हालत इसके मुकाबले बहुत अच्छी है.
कहां हैं सबसे ज्यादा स्मार्टफोन यूजर
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चीन
91.192 करोड़, यानी कुल आबादी का लगभग 65.23 प्रतिशत. ध्यान रहे कि सभी आंकड़े एक अनुमान हैं.
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भारत
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अमेरिका
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इंडोनेशिया
16.023 करोड़, यानी कुल आबादी का 59.21 प्रतिशत
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ब्राजील
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रूस
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जापान
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मेक्सिको
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जर्मनी
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वियतनाम
6.137 करोड़, यानी कुल आबादी का 63.62 प्रतिशत
राजस्थान में बेरोजगारी दर 26.2 फीसदी के भयानक स्तर पर है, जो ईरान और जर्मनी दोनों से बहुत ज्यादा है. राजस्थान में लोगों की अधिकतम औसत आयु भी 68.5 साल है, जो ईरान में 77 साल और जर्मनी में 81.5 साल है. राजस्थान की जीडीपी 130 बिलियन डॉलर है जबकि ईरान की जीडीपी 680 बिलियन डॉलर और जर्मनी की करीब 4300 बिलियन डॉलर है. राजस्थान में प्रति व्यक्ति आय सालाना 1.1 लाख रुपये है. ईरान में यह करीब 6 लाख रुपये और जर्मनी में करीब 34 लाख रुपये सालाना है.
गुजरात से दोगुनी है थाईलैंड की इकॉनमी
भारत में गुजरात को उद्योगों के एक बड़े गढ़ के तौर पर देखा जाता है. इसकी अर्थव्यवस्था के कई बार उदाहरण दिए जाते हैं लेकिन यह राज्य ज्यादातर मुद्दों पर इतनी ही जनसंख्या वाले थाईलैंड से पीछे है. गुजरात की जनसंख्या करीब 6.4 करोड़ है, जो थाईलैंड के अलावा ब्रिटेन के करीब है. गुजरात में हजार पुरुषों के मुकाबले 855 महिलाएं हैं जबकि थाईलैंड (1035) और ब्रिटेन (1031) में यह संख्या कहीं ज्यादा है.
गुजरात की अधिकतम औसत आयु 69.7 साल है, जबकि थाईलैंड (77.3 साल) और ब्रिटेन (81.5 साल) इस मामले में बहुत आगे हैं. गुजरात की जीडीपी 230 बिलियन डॉलर है जो थाईलैंड की जीडीपी (540 बिलियन डॉलर) की आधी और ब्रिटेन की जीडीपी (21500 बिलियन डॉलर) से करीब 950 गुना कम है. गुजरात में प्रति व्यक्ति आय भी सिर्फ 2 लाख है, जो थाईलैंड की प्रति व्यक्ति आय (2.5 लाख रुपये) और ब्रिटेन की प्रति व्यक्ति आय (30 लाख रुपये) से कम है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिएः
 
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
एक वित्तीय वर्ष के दौरान किसी देश में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
राजस्व घाटा
जब सरकार का खर्च, उसके राजस्व से ज्यादा हो तो ऐसी स्थिति को राजस्व घाटा कहते हैं. अच्छा अर्थशास्त्री इस घाटे को कम से कम करने की कोशिश करता है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
राजकोषीय घाटा
जब सरकार का कुल खर्च, आय और गैर ऋण पूंजियों से हुई आदमनी से ज्यादा हो जाए तो उसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है. इसमें सरकार द्वारा लिये गये कर्जे भी शामिल होते हैं.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
सब्सिडी या रियायत
अक्सर सरकारें जरूरी महंगी चीजों को लोगों के लिए सस्ता रखती हैं. महंगी खरीद के बावजूद सरकारें अपनी जेब से कुछ पैसा देकर सेवाओं के मूल्य में कमी बनाए रखती हैं. इस रियायत को ही सब्सिडी कहा जाता है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
व्यापार घाटा
जब आयात, निर्यात से ज्यादा होता है तो विदेशी मुद्रा देश से बाहर जाती है. अंतरराष्ट्रीय कारोबार में आमदमी से ज्यादा खर्चे को व्यापार घाटा या ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है. यह रकम करंट अकाउंट डेफिसिट में जाती है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
डायरेक्ट टैक्स
आय के स्रोत पर वसूले जाने वाले प्रत्यक्ष कर को डायरेक्ट टैक्स कहा जाता है. कॉरपोरेट, इनकम और कैपिटल गेन टैक्स इसी के तहत आते हैं.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
इनडायरेक्ट टैक्स
दूसरे शब्दों में, अप्रत्यक्ष कर. यह एक छुपा हुआ टैक्स है जो सेवाओं और सामान पर लगाया जाता है, जैसे सर्विस चार्ज, एक्साइज, वैट, सेल्स टैक्स आदि. विदेश से लाने वाले सामान पर यह कस्टम शुल्क के तौर पर लगाया जाता है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
मुद्रास्फीति
नई मुद्रा जारी करने से बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाती हैं. ऐसे में सेवाओं और उत्पादों का मूल्य बढ़ जाता है. इसे मुद्रास्फीति कहते हैं. एक अच्छी अर्थव्यस्था में 5-8 फीसदी की मुद्रास्फीति अच्छी मानी जाती है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
महंगाई
मुद्रास्फीति और महंगाई में फर्क है. कई बार नई मुद्रा जारी किये बिना भी बाजार में वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य बढ़ जाता है. इसे महंगाई कहा जाता है. महंगाई को आम तौर पर मांग और आपूर्ति व भंडारण प्रभावित करते हैं.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी
 
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