One thousand times higher viral load due to higher infectivi

One thousand times higher viral load due to higher infectivity of covid19 delta variants - India Hindi News - कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के ज्यादा संक्रामकता की वजह एक हजार गुना ज्यादा वायरल लोड


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कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के ज्यादा संक्रामकता की वजह एक हजार गुना ज्यादा वायरल लोड
मदन जैड़ा,नई दिल्लीPublished By: Shankar Pandit
Sat, 24 Jul 2021 06:39 AM
कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के ज्यादा संक्रामक होने के कारणों की जांच कर रहे वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके संक्रमितों में वायरल लोड बहुत ज्यादा पाया गया है। वायरल लोड से मतलब वायरस या इसके अंशों खासकर बाहरी आवरण में मौजूद प्रोटीन की मौजूदगी से है। नेचर में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना के 2020 की शुरुआत में फैल मूल वायरस की तुलना में डेल्टा संक्रमितों में वायरल लोड एक हजार गुना ज्यादा मिला।
शोध के अनुसार, चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंन्सन ने डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित 62 लोगों में चार दिन बाद पाए गए वायरल लोड की तुलना कोरोना के शुरुआती वेरिएंट से संक्रमित हुए 63 लोगों में छह दिन में पाए गए वायरल लोड से तुलना की। डेल्टा वेरिएंट के संक्रमितों में वायरल लोड 1260 गुना तक अधिक था। वैज्ञानिकों ने औसत निकालते हुए नतीजा निकाला है कि डेल्टा मरीजों में एक हजार गुना ज्यादा वायरल लोड है, जो उसके अत्यधिक संक्रामक होने की प्रमुख वजह रही।
इस शोध को लेकर हांगकांग विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ बेंजामिन कोलिन ने कहा कि वायरल लोड ज्यादा होने के साथ-साथ डेल्टा वेरिएंट में संक्रमण उभरने की अवधि भी बहुत कम देखी गई। दरअसल, जब कोई वायरस किसी व्यक्ति के शरीर को संक्रमित करता है तो यह तेजी से प्रतिरूप तैयार करता है। डेल्टा वेरिएंट में पूर्व के वायरस की तुलना में प्रतिरूप बनाने की गति भी तेज देखी गई। इसके चलते इंकुबिशन पीरिएड कम हो गया। इससे कांट्रेक्ट ट्रेसिंग में भी मुश्किल हुई या नहीं हो पाई। इससे भी संक्रमण का फैलाव तेज हुआ।
बता दें कि पूर्व के अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि डेल्टा वेरिएंट ब्रिटेन में मिले अल्फा वेरिएंट से 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक है। जबकि अल्फा वेरिएंट कोरोना के मूल वायरस से 70 फीसदी ज्यादा संक्रामक पाया गया था। इस प्रकार डेल्टा मूल वायरस की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा संक्रामक पाया गया।
वर्द्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी विभाग के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर ने कहा कि वायरल लोड से न सिर्फ संक्रामक ज्यादा हुई है, बल्कि इससे बीमारी की भयावहता भी बढ़ी। क्योंकि वायरल लोड ज्यादा होने की वजह से शरीर की कोशिकाओं एवं अंगों को क्षति पहुंचने की आशंका ज्यादा होती है। दूसरे, जब ऐसे संक्रमित छींकते हैं या खांसते हैं तो ज्यादा मात्रा में वायरस बाहर निकलते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा भी ज्यादा हो जाता है।
बता दें कि देश में कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट ने भारी तबाही मचाई थी। अभी भी विश्व के कई देशों में इसका संक्रमण बढ़ रहा है। स्विटरजरलैंड की बर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर इमा हाडक्राफ्ट ने कहा कि यह अध्ययन डेल्टा की संक्रामकता के कारणों पर प्रकाश डालता है, लेकिन दुनिया के अन्य देशों को भी इस प्रकार के अध्ययन करने चाहिए, ताकि स्थिति को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
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