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दुनिया
मान गया अमेरिकाः नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पर जर्मनी से समझौता हुआ
जर्मन चांसलर के पद से अपनी विदाई से ठीक पहले अंगेला मैर्केल ने अपना एक और बड़ा मकसद भी हासिल कर लिया. नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के विरोधी रहे अमेरिका के साथ जर्मनी का समझौता हो गया है.
अमेरिका और जर्मनी के बीच विवादास्पद नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को लेकर समझौता हो गया है. बुधवार को इस संबंध में दोनों पक्षों ने एक साझा बयान जारी किया. हाल ही में मैर्केल ने अमेरिका की यात्रा की थी और वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की थी.
उस दौरे पर बाइडेन और मैर्केल ने रूस से जर्मनी को आने वाली इस पाइपलाइन पर बातचीत की थी और बाद में मीडिया के सामने सहमत ना होने की बात भी कही थी. हालांकि दोनों पक्षों ने सौहार्दपूर्ण तरीके से अपनी असहमति दर्ज कराई थी.
क्या समझौता हुआ?
नॉर्ड स्ट्रीम 2 रूस से जर्मनी को आने वाली गैस पाइपलाइन है. अमेरिका रूस की यूक्रेन को लेकर मंशाओं पर संदेह करता रहा है इसलिए इस पाइपलाइन के पक्ष में नहीं था. लेकिन जर्मनी के साथ हुए समझौते में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि यूक्रेन को मदद दी जाएगी और यदि रूस भू-राजनीतिक दृष्टि से ऊर्जा सप्लाई का फायदा उठाने की कोशिश करता है तो उस पर प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे.
साझा बयान कहता है, "अमेरिका और जर्मनी अपनी इस प्रतिबद्धता पर एक हैं कि रूस यदि आक्रामक रवैया अपनाता है या प्रतिबंध आदि के रूप में शुल्क लगाने की कोशिश करता है तो उसे जवाबदेह ठहराया जाएगा. रूस यदि ऊर्जा को यूक्रेन के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है तो जर्मनी
तस्वीरों मेंः राजनीति का अखाड़ा बनी पाइपलाइन
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
रूसी गैस की जरूरत
रूस की गिनती दुनिया में तेल और प्राकृतिक गैस से सबसे ज्यादा मालामाल देशों में होती है. खासकर यूरोप के लिए रूसी गैस के बिना सर्दियां काटना बहुत मुश्किल होगा.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
पारंपरिक गैस रूट
अभी रूसी गैस यूक्रेन होकर यूरोप तक पहुंचती है. 2019 में रूसी कंपनी गाजप्रोम के साथ हुई डील के मुताबिक यूक्रेन को 2024 तक 7 अरब डॉलर गैस ट्रांजिट फीस के तौर पर मिलेंगे.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
यूक्रेन का डर
रूस यूरोपीय बाजार के लिए अपनी 40 प्रतिशत गैस यूक्रेन के रास्ते ही भेजता है. लेकिन यूक्रेन को डर है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन चालू होने के बाद उसकी ज्यादा पूछ नहीं होगी.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
नॉर्ड स्ट्रीम 2
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन रूसी गैस को सीधे जर्मनी तक पहुंचाने के लिए बनाई जा रही है. यह बाल्टिक सागर से गुजरेगी और इस पर 10 अरब यूरो की लागत आएगी.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
क्या है फायदा
माना जाता है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 के जरिए यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को होने वाली रूसी गैस की आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी. जर्मनी रूस गैस का सबसे बड़ी खरीददार है.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
जर्मनी उत्साहित
इस पाइपलाइन से हर साल रूस से जर्मनी को 55 अरब क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस की आपूर्ति होगी. जर्मनी में चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित है.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
दबाव
नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन का 90 फीसदी काम पूरा हो गया है. लेकिन इसके खिलाफ आवाजें लगातार तेज हो रही हैं. यूरोप के कई देशों के साथ-साथ अमेरिका भी इसे बंद करने के लिए दबाव डाल रहा है.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
बुरी डील?
अमेरिका भी इसे जर्मन की लिए बुरी डील बताता है. नए अमेरिकी राष्ट्रपति भी बाइडेन भी इसके खिलाफ हैं. वैसे कई जानकार कहते हैं कि अमेरिका दरअसल यूरोप को अपनी गैस बेचना चाहता है.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
रूस पर निर्भरता
फ्रांस और पोलैंड समेत कई यूरोपीय देशों का कहना है कि इस पाइपलाइन से रूस पर यूरोपीय संघ की निर्भरता बढ़ेगी और गैस का पारंपरिक ट्रांजिट रूट कमजोर होगा.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
जर्मनी रुख पर कायम
रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नावाल्नी को हुई सजा के बाद नॉर्ड स्ट्रीम 2 के खिलाफ फिर आवाजें तेज हो गई हैं. लेकिन जर्मन सरकार का कहना है कि उसने पाइपलाइन को लेकर अपना रुख नहीं बदला है.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
घरेलू राजनीति
जर्मनी में विपक्षी ग्रीन पार्टी और कारोबार समर्थक एफडीपी पार्टी भी इस प्रोजेक्ट को खत्म करने या रोकने की मांग कर रही हैं. मैर्केल के सत्ताधारी गठबंधन में भी इस पाइपलाइन के खिलाफ स्वर उभरने लगे हैं.
उसे रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई करेगा और यूरोप के स्तर पर प्रभावशाली उपाय करेगा. इन उपायों में प्रतिबंधों से लेकर यूरोप में गैस आदि के निर्यात की उसकी क्षमताओं को सीमित करना शामिल होगा.”
समझौते के तहत जर्मनी यूक्रेन में निवेश करने पर भी सहमत हुआ है. साथ ही वह यह भी सुनिश्चित करेगा कि रूस और यूक्रेन के बीच एक गैस परिवहन समझौता हो. साथ ही, जर्मनी और अमेरिका एक ‘ग्रीन फंड' स्थापित करेंगे जिसमें एक अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 75 अरब रुपये का निवेश करेंगे. इस धन का इस्तेमाल यूक्रेन में पर्यावरण के अनुकूल तकनीकी ढांचे और अक्षय ऊर्जा के उत्पादन से जुड़े उद्योग स्थापित करने में किया जाएगा, ताकि यूक्रेन ऊर्जा की जरूरतें खुद पूरी कर सके.
साझा बयान कहता है, "जर्मनी फंड के लिए शुरुआत में कम से कम 17.5 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराएगा और अपने वायदों को आने वालों सालों के बजट में पूरा करने के लिए प्रयास करेगा.”
समझौते पर प्रतिक्रियाएं
जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने इस समझौते को रचनात्मक बताया है. उन्होंने कहा कि जर्मनी "रूस के बारे में नीति और ऊर्जा नीति को लेकर अमेरिका के साथ अपने साझे लक्ष्यों और अवधाराणाओं को पूरा करने की ओर लौट आया है.”
मास ने एक ट्वीट में कहा, "मुझे तसल्ली हुई है कि हमने अमेरिका के साथ नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर एक रचनात्मक हल खोज लिया है. हम अगले एक दशक में यूक्रेन की ग्रीन एनर्जी सेक्टर बनाने में करेंगे और वहां से होते हुए गैस के सुरक्षित परिवहन पर काम करेंगे.”
जर्मनी के साथ हुआ यह समझौता अमेरिका के रुख में बदलाव का संकेत है, जो अब तक इस पाइपलाइन का विरोध करता रहा है. अमेरिका की चिंता थी कि रूस यूक्रेन और अन्य देशों की ऊर्जा सप्लाई रोक सकता है ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके.
जानिए, रूस और अमेरिका में क्या है झगड़ा
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
बाइडेन-पुतिन मुलाकात
शिखर भेंट से पहले जो बाइडेन ने कहा था, "मैं रूस के साथ संघर्ष नहीं चाहता, लेकिन अगर रूस अपनी हानिकारक गतिविधियों को जारी रखता है तो हम जवाब देंगे." यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि रूस के साथ रिश्ते और खराब हो सकते हैं.
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
एलेक्सी नवालनी और मानवाधिकार
क्रेमलिन के आलोचक एलेक्सी नावालनी को जहर दिए जाने और बाद में कैद किए जाने के बाद पश्चिमी नेताओं ने मॉस्को से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी. बाइडेन ने कहा, "नवालनी की मौत एक और संकेत होगा कि रूस का मौलिक मानवाधिकारों का पालन करने का बहुत कम या कोई इरादा नहीं है."
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
साइबर हमले
हाल के बरसों में क्रेमलिन से जुड़े साइबर हमले बहुत बड़ा कारण है कि शीत युद्ध के बाद से अमेरिका और रूस के संबंध निचले स्तर तक पहुंच गए हैं. पुतिन ने इन साइबर हमलों में मॉस्को के शामिल होने के वाशिंगटन के आरोपों को खारिज किया है और उन्हें "हास्यास्पद" बताया है.
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
चुनावी दखलंदाजी
अमेरिकी सीनेट की 2020 में जारी एक रिपोर्ट में पाया गया कि रूस ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप किया. रिपोर्ट में पुतिन पर डॉनल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस में लाने के उद्देश्य से हस्तक्षेप को हरी झंडी दिखाने का आरोप लगाया गया. पुतिन ने हाल ही में कहा है कि वे "निराधार आरोप" थे.
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
क्रीमिया का विलय
यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया पर 2014 में रूस के कब्जे का दुनिया भर में विरोध हुआ. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने क्रीमिया पर रूस के दावे को मान्यता देने से इनकार कर दिया, हालांकि बहुत से देश नहीं मानते कि निकट भविष्य में रूस क्रीमिया को वापस देगा.
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष
क्रीमिया के कब्जे के बाद रूसी समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेनी सेनाओं के बीच भड़की लड़ाई आज भी जारी है. पिछले ही दिनों रूस ने सीमा पर दसियों हजार सैनिकों को इकट्ठा कर पश्चिमी देशों में सुरक्षा चिंता पैदा कर दी थी. रूस का कहना था कि यह सामान्य सैनिक अभ्यास है.
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
जासूसी खेल
रूस-अमेरिका संबंधों में रूस में कैद दो पूर्व-अमेरिकी नौसैनिकों का मामला भी तल्खी पैदा कर रहा है. ट्रेवर रीड (चित्र में) को 2020 में मास्को में पुलिस अधिकारियों पर हमला करने के लिए दोषी ठहराया गया था. 51 वर्षीय पॉल व्हेलन को जासूसी का दोषी ठहराया गया था.
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
बेलारूस की कार्रवाई
बेसारूस के ताजा हालात रूस और अमेरिका के बीच विवाद का ताजा कारण हैं. पुतिन ने बेलारूस के शासक अलेक्सांडर लुकाशेंको का समर्थन किया है. वे पिछले 27 साल से सत्ता में हैं. हाल में एक यात्री विमान को उतार सरकार विरोधी रमन प्रतासेविच की गिरफ्तारी से भी पश्चिम नाराज है.
रूस और अमेरिका में किस बात पर झगड़ा है?
नॉर्ड स्ट्रीम 2
अमेरिका नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन को भू-राजनीतिक सुरक्षा खतरे के तौर पर देखता है और उसका विरोध कर रहा है. इस पाइपलाइन के बन जाने से रूस से जर्मनी को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप इस पाइपलाइन के घनघोर विरोधी थे, लेकिन बाइडेन ने समझौता का रवैया अपनाया है.
डॉयचे वेले की राजनीतिक संवाददाता सिमोन यंग कहती हैं, "वॉशिंगटन से हमें यह संदेश मिल रहा है कि जो बाइडेन सोचते हैं कि इस मुद्दे पर जर्मनी पर दबाव बनाना यूरोप में अमेरिका के विस्तृत रणनीतिक हितों के हित में नहीं होगा.”
यूक्रेन की चिंता
यूक्रेन और पोलैंड दोनों ही इस पाइपलाइन के खिलाफ रहे हैं. उन्हें डर है कि इस योजना से यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ेगी और रास्ते में पड़ने वाले देशों को मिलने वाले शुल्क का भी नुकसान होगा.
ऐसी खबरें थीं कि अमेरिका ने यूक्रेन को जर्मनी के साथ उसके समझौते की आलोचना न करने की हिदायत दी थी. हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ऐसी खबरों का खंडन किया है. अमेरिका का एक दूत इसी हफ्ते यूक्रेन और पोलैंड जाकर दोनों को समझौते की जानकारी देगा.
व्हाइट हाउस ने यह भी ऐलान किया है कि 31 अगस्त को राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दीमीर जेलेन्स्की के मुलाकात करेंगे.
वीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
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