9 stars disappeared within half an hour of sight, after test

9 stars disappeared within half an hour of sight, after testing with the most modern technology, it was not known where they went | दिखने के आधे घंटे के भीतर गायब हो गए 9 तारे, सबसे मॉडर्न टेक्नोलॉजी से टेस्ट करने पर भी पता नहीं चला कि कहां गए


अमेरिका की एक लैब ने आसमान की कुछ तस्वीरें खींची थीं। इनमें एक बेहद चौंकाने वाली बात नजर आ रही है। उन तस्वीरों में से एक में 9 अजीबोगरीब तारे दिखाई दे रहे हैं, लेकिन केवल आधे घंटे बाद की ही तस्वीर में वो 9 के 9 तारे गायब हो जा रहे हैं। ये तस्वीरें 12 अप्रैल 1950 की हैं, लेकिन इन पर अब वै‌ज्ञानिकों का ध्यान गया है।
फिलहाल इन तस्वीरों पर भारत सहित स्वीडन, स्पेन, यूएस, यूक्रेन के साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं। इन्होंने अपनी शुरुआती स्टडी प्रकाशित की है। इसमें कई तरह की संभावनाओं के साथ सबसे ज्यादा जिस बात पर जोर दिया जा रहा है वो ये कि वो 9 अजीबोगरीब तारे एलियन-शिप हो सकती हैं। इससे पहले भी कई बार एलियन्स को लेकर ढेर सारी बातें की गई हैं।
लेकिन ये पहली बार है जब स्वीडन के नॉर्डिक इंस्टीट्यूट ऑफ थियोरेटिकल फिजिक्स के डॉ. बियट्रीज विलारोएल और स्पेन के इंस्टीट्यूट डी एस्ट्रोफिजिका डी कैनिरियास के वै‌ज्ञानिकों का ग्रुप यह स्वीकार रहा है कि आसमान में दूसरी दुनिया भी हो सकती है।
भारत के वैज्ञानिक ने माना, आसमान में दूसरी दुनिया होने की पूरी संभावना है
एलियन की थ्योरी वाली ये स्टडी नेचर पत्रिका में पब्लिश हुई है। रिसर्च में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेस, नैनीताल के साइंटिस्ट आलोक गुप्ता भी शामिल हैं।
उनका कहना है, ‘तस्वीरों पर गहरी छानबीन के बाद भी ये नहीं बताया जा सकता कि उसमें दिखने वाली चीज क्या है। स्पेस में ऐसे कोई तारे नहीं हैं। इसलिए ये क्या हैं, किसी को पता नहीं। पर आसमान में दूसरी दुनिया होने से इनकार भी नहीं किया जा सकता।’
उनका ये भी कहना है कि आसमान में होने वाले तेज बदलावों को जांचने के दो तरीके हैं, ग्रेविटेशनल लेंसिंग और फॉस्ट रेडियो बर्स्ट। इन दोनों से जांचने के बाद भी नहीं पता चलता कि आखिर ये 9 तारे क्या हैं।
आसमान की पड़ताल करने वाले VASCO को यकीन है कि वो एलियन ही थे
आसमान की गतिविधियों की पड़ताल करने वाली इंटरनेशनल एजेंसी वैनिशिंग एंड अपियरिंग सोर्सेस ड्यूरिंग अ सेन्चुरी ऑफ ऑब्जर्वेशन यानी VASCO के वैज्ञानिकों को यह भरोसा है कि जो चीज उन तस्वीरों में दिख रही है वो एलियन्स की शिप ही है। इसीलिए इस संस्‍था ने उन तस्वीरों पर फिर से रिसर्च करने की अनुमति ले ली है।
दरअसल, आसमान में दिखने वाली चीजों की पड़ताल के लिए सोलर रिफ्लेक्शन्स के डिजिटाइज्ड डेटा को देखना होता है। इसको देखने की अनुमति सबको नहीं दी जाती, लेकिन जल्द ही ये डेटा VASCO के वैज्ञानिकों को दे‌ दिए जाएंगे। इसमें वो 1950 से लेकर अभी तक आसमान में होने वाले हर छोटे-बड़े बदलाव की पड़ताल करेंगे। यह संस्‍था अपनी शुरुआती स्टडी में ही इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि मौजूदा संकेत एलियन के ही हैं।
दुनिया की सबसे तगड़ी टेक्नोलॉजी से देखने पर भी दोबारा दिखाई नहीं दिए वो 9 तारे
ये तारे CCD डिटेक्टर सर्वे में भी नहीं दिखाई दिए जो टेलीस्कोप की तुलना में कई गुना अच्छी तस्वीरें निकाल सकता है। इसलिए साइंटिस्ट्स ने दूसरे जेनरेशन के ऑब्जरवेशन के लिए स्पेन के केनेट्री द्वीप में 10.4 एम ग्रैन टेलीस्कोपियो कैनिरियास का इस्तेमाल किया।
इसे दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा ऑप्टिकल टेलीस्कोप कहते हैं। नेचर की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों की टीम को ये उम्मीद थी कि इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से वो उन 9 तारों का पता लगा लेंगे कि आखिर वो गए कहां। लेकिन इस टेक्नोलॉजी से भी वो अजीब तारे न दिखे, न ही कोई ऐसे दूसरे तारे दिखे, जिनमें उनके जैसे कोई गुण दिखे हों।
एक धड़े का कहना है कि इसके पीछे रेडियोएक्टिव कण हो सकते हैं
इस स्टडी में सबसे प्रमुख तौर पर यह बात कही जा रही है कि वो 9 तारे एलियन्स की शिप ही थीं, लेकिन रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों के ग्रुप में ही एक धड़ा ऐसा है जिसका कहना है कि तस्वीर में दिख रही अजीबोगरीब चीज रेडियोएक्टिव कणों से सामने आई है।
इस बात का आधार ये है कि जिस दौर में ये तस्वीरें खींची गई हैं उसी दौर में अमेरिका और सोवियत यूनियन ने कई परमाणु बम परीक्षण किए थे। जिस कैलिफोर्निया की पालोमर ऑब्जर्वेटरी लैब में ये तस्वीरें खींची गई हैं वो नेवादा की परमाणु टेस्टिंग साइट से ज्यादा दूर नहीं है।
इसलिए हो सकता है रेडियोएक्टिव कण हवा के जरिए उन तस्वीरों के फोटोग्राफिक प्लेट्स पर चले गए हों, लेकिन 1949 से 1951 के बीच में सरकारें परमाणु बम के परीक्षण को नकारती हैं। इसलिए इस बात को ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही है।
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