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Indian-Origin Father-Son Duo Accused of Assaulting Teen Girls in Canada

The assaults occurred between December 2022 and May 2023 at Premier Liquor Wine and Spirits, also owned by the Walias, and located next door to their convenience store. -- aaa

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Nepal Government Law Women Should Take Persmission From Local Ward To Travel In Foreign Countries - नेपाल में महिलाओं के लिए नए नियम : विदेश यात्रा करने से पहले लेनी होगी स्थानीय वार्ड से अनुमति


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नेपाल सरकार महिलाओं के बचाव में एक नया नियम लेकर आई है, जिसके तहत अगर किसी महिला को विदेश की यात्रा करनी है तो उसे अपने परिवार और स्थानीय वार्ड से अनुमति लेनी होगी। इस कानून के तहत 40 साल की उम्र की महिलाओं को शामिल किया गया है। नेपाल में अधिकारियों ने इस नए नियम का समर्थन किया है।
अधिकारियों का कहना है कि कमजोर नेपाली महिलाओं को मानव तस्करी का शिकार होने से बचाने के लिए इस नए नियम को लाया गया है। नेपाल के आव्रजन विभाग के महानिदेशक रमेश कुमार ने बताया कि मानव तस्कर विदेशों में आकर्षक नौकिरयों का दावा कर कमजोर, अशिक्षित और गरीब तबके की महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं। 
रमेश कुमार ने बताया कि इन महिलाओं का यौन शोषण किया जाता है और इसके अलावा कई तरह के जुल्म किए जाते हैं। रमेश कुमार ने कहा कि विदेश यात्रा के लिए 40 साल से कम उम्र वाली महिलाओं को ऐसे दस्तावेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह नया नियम सिर्फ उन महिलाओं पर लागू होगा जो कमजोर हैं औऱ पहली बार विदेश यात्रा कर रही हैं। 
इसके अलावा यह नियम खासकर अकेली और खतरनाक अफ्रीकी और खाड़ी देशों के लिए लागू किया गया है, जहां नेपाली महिलाओं को काम करने का परमिट नहीं मिलता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार के आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में 15,000 महिलाओं और 5,000 लड़कियों समेत लगभग 35,000 लोगों की तस्करी की गई थी। 
महिला कार्यकर्ताओं ने जताया विरोध
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव की तीखी आलोचना की है। आलोचकों ने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक इस नए नियम के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है। कार्यकर्ताओं ने इस नियम को असंवैधानिक बताया है और कहा है कि ये महिलाओं की आवाजाही की स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार के हनन की कोशिश है। 
कुछ महीनों में लागू हो जाएगा कानून
विदेश मे महिलाओं के जाने पर रोक लगाने वाली सरकार का कहना है कि मौजूदा समय में नेपाल के ज्यादातर प्रवासी श्रमिक पुरुष हैं। नेपाल लेबर माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, देश में 35 लाख लोगों को विदेश में काम करने के लिए श्रमिक परमिट जारी किए गए हैं। इनमें से महिलाओं की संख्या केवल पांच फीसदी है। इस नए नियम को लागू करने के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में यह लागू हो जाएगा। 
विस्तार
नेपाल सरकार महिलाओं के बचाव में एक नया नियम लेकर आई है, जिसके तहत अगर किसी महिला को विदेश की यात्रा करनी है तो उसे अपने परिवार और स्थानीय वार्ड से अनुमति लेनी होगी। इस कानून के तहत 40 साल की उम्र की महिलाओं को शामिल किया गया है। नेपाल में अधिकारियों ने इस नए नियम का समर्थन किया है।
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अधिकारियों का कहना है कि कमजोर नेपाली महिलाओं को मानव तस्करी का शिकार होने से बचाने के लिए इस नए नियम को लाया गया है। नेपाल के आव्रजन विभाग के महानिदेशक रमेश कुमार ने बताया कि मानव तस्कर विदेशों में आकर्षक नौकिरयों का दावा कर कमजोर, अशिक्षित और गरीब तबके की महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं। 
रमेश कुमार ने बताया कि इन महिलाओं का यौन शोषण किया जाता है और इसके अलावा कई तरह के जुल्म किए जाते हैं। रमेश कुमार ने कहा कि विदेश यात्रा के लिए 40 साल से कम उम्र वाली महिलाओं को ऐसे दस्तावेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह नया नियम सिर्फ उन महिलाओं पर लागू होगा जो कमजोर हैं औऱ पहली बार विदेश यात्रा कर रही हैं। 
इसके अलावा यह नियम खासकर अकेली और खतरनाक अफ्रीकी और खाड़ी देशों के लिए लागू किया गया है, जहां नेपाली महिलाओं को काम करने का परमिट नहीं मिलता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार के आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में 15,000 महिलाओं और 5,000 लड़कियों समेत लगभग 35,000 लोगों की तस्करी की गई थी। 
महिला कार्यकर्ताओं ने जताया विरोध
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव की तीखी आलोचना की है। आलोचकों ने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक इस नए नियम के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है। कार्यकर्ताओं ने इस नियम को असंवैधानिक बताया है और कहा है कि ये महिलाओं की आवाजाही की स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार के हनन की कोशिश है। 
कुछ महीनों में लागू हो जाएगा कानून
विदेश मे महिलाओं के जाने पर रोक लगाने वाली सरकार का कहना है कि मौजूदा समय में नेपाल के ज्यादातर प्रवासी श्रमिक पुरुष हैं। नेपाल लेबर माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, देश में 35 लाख लोगों को विदेश में काम करने के लिए श्रमिक परमिट जारी किए गए हैं। इनमें से महिलाओं की संख्या केवल पांच फीसदी है। इस नए नियम को लागू करने के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में यह लागू हो जाएगा। 
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Facebook Took Down Pages Of Myanmar State Run Tv Channel - म्यांमार में तख्तापलट: फेसबुक ने बंद किए सरकारी टीवी चैनल के पेज

म्यांमार में तख्तापलट के कारण चल रहे संघर्ष के बीच दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने म्यांमार के सरकारी टेलीविजन के फेसबुक पेज सोमवार को बंद कर दिए।

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India Says Stop Vaccine Nationalism Promote Internationalism At Unsc Meeting On Covid19 - भारत ने कोविड-19 पर यूएनएससी की बैठक में कहा- 'टीका राष्ट्रवाद बंद कर, अंतरराष्ट्रीयवाद को बढ़ावा दें'


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करीब 25 देशों को ‘मेड इन इंडिया’ कोविड-19 टीका भेजने वाले भारत ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया कि 'टीका राष्ट्रवाद' बंद करें और सक्रिय तौर पर 'अंतरराष्ट्रीयवाद' को बढ़ावा दें।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात को रेखांकित किया कि खुराकों की जमाखोरी से महामारी के खिलाफ लड़ाई और सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा हासिल करने के वैश्विक प्रयास नाकाम हो जाएंगे।
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विचार के लिए नौ बिंदुओं को रेखांकित किया ताकि दुनिया कोविड-19 महामारी को निर्णायक रूप से पीछे छोड़कर ज्यादा लचीली बनकर उभरे।
कोविड-19 महामारी के संदर्भ में विरोधों के उन्मूलन पर संकल्प 2532 (2020) के कार्यान्वयन पर खुली बहस के दौरान जयशंकर ने कहा, 'टीका राष्ट्रवाद बंद कीजिए, इसके बजाय सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीयवाद को बढ़ावा दीजिए। अतिरिक्त खुराकों को जमा करने से सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा हासिल करने के हमारे प्रयास नाकाम होंगे।'
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महामारी का फायदा उठाने के लिए गलत जानकारी पर आधारित अभियान चलाए जा रहे हैं, ऐसे कुटिल लक्ष्यों और गतिविधियों को निश्चित रूप से रोका जाना चाहिए। जयशंकर ने इस बात पर चिंता जताई कि टीका वितरण के संदर्भ में वैश्विक समन्वय का आभाव मतभेद और मुश्किलें पैदा करेगा तथा गरीब देश इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे। उन्होंने रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय मिति (आईसीआरसी) के अनुमान का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे इलाकों में करीब छह करोड़ लोग जोखिम के दायरे में हैं।
भारत वैश्विक स्तर पर टीकों की उपलब्धता की विषम असमानता को लेकर भी चिंतित है और जयशंकर ने जोर दिया कि महामारी के प्रभाव को खत्म करने के लिये टीके तक समान रूप से पहुंच महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, 'यह असमानता ‘कोवैक्स’ के कार्यढांचे में सहयोग का आह्वान करती है। कोवैक्स दुनिया के सबसे निर्धन राष्ट्रों तक टीकों की पर्याप्त खुराक की पहुंच सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।' उन्होंने कहा कि ‘कोवैक्स’ की पहल को मजबूत करने की जरूरत है जिससे सभी देशों को समान व निष्पक्ष रूप से टीकों का वितरण सुनिश्चित हो।
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से टीकाकरण अभियान और अन्य जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर लगातार जोर देने का आह्वान किया जिससे वायरस को और लोगों को संक्रमित करने और स्वरूप बदलने से रोका जा सके।
संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षकों के लिए कोरोना टीके की दो लाख खुराकें दान करेगा भारत 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षकों के लिए कोरोना टीके की दो लाख खुराकें देगा। भारत को कोरोना संकट के बीच वैश्विक फार्मेसी के रूप में सराहा गया है।
 
जयशंकर ने कहा, संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षक पूरी दुनिया में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए सेवाएं देते हैं। ऐसे में हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि इन शांतिरक्षकों के लिए भारत टीके की दो लाख खुराकें देगा।
भगवद् गीता के श्लोक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हमें हमेशा दूसरों के हित को ध्यान में रखते हुए अपने काम करने चाहिए। उन्होंने कहा, भारत अपने इसी दृष्टिकोण के साथ कोरोना की चुनौतियों से निपट रहा है। जयशंकर ने कहा, भारत जीएवीआई, विश्व स्वास्थ्य संगठन और एसीटी एक्सीलेरेटर के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है और उसके इस योगदान ने सार्क कोविड-19 आपातकालीन निधि का भी समर्थन किया है।
करीब 25 देशों को ‘मेड इन इंडिया’ कोविड-19 टीका भेजने वाले भारत ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया कि 'टीका राष्ट्रवाद' बंद करें और सक्रिय तौर पर 'अंतरराष्ट्रीयवाद' को बढ़ावा दें।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात को रेखांकित किया कि खुराकों की जमाखोरी से महामारी के खिलाफ लड़ाई और सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा हासिल करने के वैश्विक प्रयास नाकाम हो जाएंगे।
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विचार के लिए नौ बिंदुओं को रेखांकित किया ताकि दुनिया कोविड-19 महामारी को निर्णायक रूप से पीछे छोड़कर ज्यादा लचीली बनकर उभरे।
कोविड-19 महामारी के संदर्भ में विरोधों के उन्मूलन पर संकल्प 2532 (2020) के कार्यान्वयन पर खुली बहस के दौरान जयशंकर ने कहा, 'टीका राष्ट्रवाद बंद कीजिए, इसके बजाय सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीयवाद को बढ़ावा दीजिए। अतिरिक्त खुराकों को जमा करने से सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा हासिल करने के हमारे प्रयास नाकाम होंगे।'
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महामारी का फायदा उठाने के लिए गलत जानकारी पर आधारित अभियान चलाए जा रहे हैं, ऐसे कुटिल लक्ष्यों और गतिविधियों को निश्चित रूप से रोका जाना चाहिए। जयशंकर ने इस बात पर चिंता जताई कि टीका वितरण के संदर्भ में वैश्विक समन्वय का आभाव मतभेद और मुश्किलें पैदा करेगा तथा गरीब देश इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे। उन्होंने रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय मिति (आईसीआरसी) के अनुमान का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे इलाकों में करीब छह करोड़ लोग जोखिम के दायरे में हैं।
भारत वैश्विक स्तर पर टीकों की उपलब्धता की विषम असमानता को लेकर भी चिंतित है और जयशंकर ने जोर दिया कि महामारी के प्रभाव को खत्म करने के लिये टीके तक समान रूप से पहुंच महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, 'यह असमानता ‘कोवैक्स’ के कार्यढांचे में सहयोग का आह्वान करती है। कोवैक्स दुनिया के सबसे निर्धन राष्ट्रों तक टीकों की पर्याप्त खुराक की पहुंच सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।' उन्होंने कहा कि ‘कोवैक्स’ की पहल को मजबूत करने की जरूरत है जिससे सभी देशों को समान व निष्पक्ष रूप से टीकों का वितरण सुनिश्चित हो।
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से टीकाकरण अभियान और अन्य जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर लगातार जोर देने का आह्वान किया जिससे वायरस को और लोगों को संक्रमित करने और स्वरूप बदलने से रोका जा सके।
संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षकों के लिए कोरोना टीके की दो लाख खुराकें दान करेगा भारत 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षकों के लिए कोरोना टीके की दो लाख खुराकें देगा। भारत को कोरोना संकट के बीच वैश्विक फार्मेसी के रूप में सराहा गया है।
 
जयशंकर ने कहा, संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षक पूरी दुनिया में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए सेवाएं देते हैं। ऐसे में हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि इन शांतिरक्षकों के लिए भारत टीके की दो लाख खुराकें देगा।
भगवद् गीता के श्लोक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हमें हमेशा दूसरों के हित को ध्यान में रखते हुए अपने काम करने चाहिए। उन्होंने कहा, भारत अपने इसी दृष्टिकोण के साथ कोरोना की चुनौतियों से निपट रहा है। जयशंकर ने कहा, भारत जीएवीआई, विश्व स्वास्थ्य संगठन और एसीटी एक्सीलेरेटर के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है और उसके इस योगदान ने सार्क कोविड-19 आपातकालीन निधि का भी समर्थन किया है।
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Myanmar Police Filed New Charge Against Aung San Suu Kyi - म्यांमार: आंग सान सू की पर नया आरोप, अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखे जाने का खतरा बढ़ा

Myanmar police filed new charge against Aung San Suu Kyi: खिन माउंग जाउ ने कहा कि सू की पर प्राकृतिक आपदा प्रबंधन कानून की धारा 25 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, जिसका इस्तेमाल कोरोना महामारी को फैलने से रोकने को लेकर लागू पांबंदियों को तोड़ने वाले लोगों के विरुद्ध मुकदमा चलाने के लिए किया जाता है।

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Impeachment Trial Over Trump, He Will Be Able To Contest Us Presidential Election Of 2024 - ट्रंप का महाभियोग प्रस्ताव दूसरी बार गिरा, लड़ सकेंगे 2024 का राष्ट्रपति चुनाव


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अमेरिकी उच्च सदन सीनेट में पूर्व राष्ट्रपति व रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ एक साल के भीतर दूसरी बार लाया गया महाभियोग फिर से पारित नहीं हो सका।
उन्हें कैपिटल हिंसा भड़काने का दोषी मानते यह महाभियोग लगाया गया था, जिसे पारित करने के लिए दो-तिहाई यानी 67 मतों की जरूरत थी। लेकिन दोनों दलों के 50-50 सदस्यों वाली सीनेट के 100 में से 57 मत ही डेमोक्रेट्स जुटा सके। रिपब्लिकन की ओर से 43 मत ट्रंप के पक्ष में जरूर पड़े, लेकिन सात ने ट्रंप के खिलाफ मतदान किया।
कैपिटल हिल में छह जनवरी को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान गई थी। इसके लिए ट्रंप के भाषण को को जिम्मेदार मान कर यह महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्ज में पारित होने के बाद इसे सीनेट को भेजा गया था।
ट्रंप अमेरिका के इतिहास के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिनके खिलाफ दो दफा महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। वहीं पद छोड़ने के बाद महाभियोग का सामना करने वाले वे पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पहले फरवरी 2020 में उन पर महाभियोग चला था, जिसमें उन पर यूक्रेन के राष्ट्रपति के जरिए अपने चुनावी प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन के खिलाफ एक मामले में जांच शुरू करवाने के आरोप लगे थे। तब भी उच्च सदन में ही प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था।
सात रिपब्लिकन जिन्होंने ट्रंप के खिलाफ वोट डाला
रिपब्लिकन सांसदों बिल क्लासिडी, रिचर्ड बर, मिट रोमनी, सुजन कोलिंस, लीजा मुर्कोवस्की, बेन सास, पेट टूमे ने महाभियोग के समर्थन में मतदान किया। खास बात रही कि रिपब्लिकन सांसद मिच मैकोनल ने ट्रंप के समर्थन में अपना मत दिया। वे अब तक कैपिटल हिंसा के लिए ट्रंप को जिम्मेदार ठहराते आए हैं।
ट्रंप के समर्थन के पीछे उन्हाेंने तर्क दिया कि ट्रंप अब राष्ट्रपति नहीं हैं, उन पर महाभियोग चलाना संविधान के खिलाफ है। उन्हाेंने ट्रंप को चेताया भी कि वे अभी भी हिंसा के लिए अदालत में जवाबदेह हैं।
ट्रंप बोले : किसी राष्ट्रपति ने नहीं भोगा, वह मैं भोग रहा
महाभियोग पारित हो जाता तो ट्रंप 2024 या भविष्य का कोई भी राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ पाते, उन्हें आयोग्य घोषित कर दिया जाता। प्रस्ताव गिरने पर 74 साल के ट्रंप ने कहा, ‘किसी भी राष्ट्रपति को यह सब नहीं भोगना पड़ा, जो मैं भोग रहा हूं।
यह दुखद समय है जब अमेरिका में एक राजनीतिक दल को कानून के शासन को कलंकित करने, अनुपालन एजेंसियों को बदनाम करने, भीड़तंत्र को उकसाने, दंगाइयों को छोड़ने और न्याय को राजनीतिक बदला लेने के उपकरण में बदलने की छूट मिल चुकी है। वे जिससे सहमत नहीं होते उसे सजा देते हैं, ब्लैकलिस्ट करते हैं, उनके विचारों को दबाते हैं।’
ट्रंप ने महाभियोग को किसी व्यक्ति के खिलाफ छेड़ा गया इतिहास का सबसे बड़ा अभियान करार दिया और कहा कि वे हमेशा कानून के शासन और शांतिपूर्ण व सम्मानजनक बहस के समर्थक रहे हैं। साथ ही
बताया कि वे अपनी यात्रा जारी रखेंगे, बल्कि ऐतिहासिक और देशभक्तिपूर्ण आंदोलन ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ तो अब शुरू हुआ है। आने वाले समय में वे नागरिकों से कई चीजें साझा करेंगे और अभियान को अभूतपूर्व ढंग से आगे ले जाएंगे। अमेरिका का भविष्य उज्जवल और असीम है।
उनके इस बयान से संभावना जताई जा रही है कि वे रिपब्लिकन पार्टी में रहकर ही आगे काम करेंगे। कुछ समय पूर्व माना जा रहा था कि वे नई पार्टी बना सकते हैं।
बाइडन ने कहा : प्रस्ताव भले पारित न हुआ, हिंसा ट्रंप ने ही करवाई
तीन नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को पराजित कर चुके राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि सीनेट में महाभियोग पारित न होना दर्शाता है कि लोकतंत्र कितना नाजुक है। हर अमेरिकी का कर्तव्य है कि वह लोकतंत्र व सत्य की रक्षा करे, इनके लिए हमेशा सतर्क रहे। उन्हाेंने अमेरिका में हिंसा और कट्टरपंथ खत्म करने का वादा दोहराया।
उन्हाेंने ट्रंप की आलोचना में कहा कि चाहे महाभियोग पारित नहीं हुआ, लेकिन प्रस्ताव में सामने आए आरोप तथ्यात्मक थे। इसके खिलाफ मतदान करने वाले भी मानते थे ट्रंप ही कैपिटल हिंसा के लिए नैतिक व व्यवहारिक रूप से जिम्मेदार थे।
बाइडन ने एक अन्य संदेश में छह जनवरी को हुई हिंसा को याद करते हुए कहा कि उस दिन बहादुरी से खड़े रहने वालों और अपनी जान गंवाने वालों के बारे में वे सोच रहे हैं। उस घटना से कई लोग आज भी डरे हुए हैं।
कलंकपूर्ण दिन, कायराना कदम : डेमोक्रेट्स
डेमोक्रेट नेता चक शूमर ने महाभियोग के खिलाफ मतदान करने वाले रिपब्लिकन पार्टी के 43 सांसदों के लिए कहा कि सीनेट के इतिहास में यह दिन कलंक के रूप में याद रखा जाएगा। वहीं हाउस अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि इन सांसदों ने संविधान, देश और नागरिकों की उपेक्षा की है। उन्हाेंने इसे कायराना कदम बताया।
रिपब्लिकन पार्टी पर कायम ट्रंप का नियंत्रण
महाभियोग पर मतदान में भले ही सात सांसदों ने खिलाफ मतदान किया, फिर भी रिपब्लिकन पार्टी पर ट्रंप का नियंत्रण नजर आया है। अधिकतर सांसद उनकी मर्जी के अनुसार चल रहे हैं। खास बात है कि चुनाव में हार और संसद में घटी सदस्य संख्या के बावजूद उनकी लोकप्रियता कायम है।
विस्तार
अमेरिकी उच्च सदन सीनेट में पूर्व राष्ट्रपति व रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ एक साल के भीतर दूसरी बार लाया गया महाभियोग फिर से पारित नहीं हो सका।
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उन्हें कैपिटल हिंसा भड़काने का दोषी मानते यह महाभियोग लगाया गया था, जिसे पारित करने के लिए दो-तिहाई यानी 67 मतों की जरूरत थी। लेकिन दोनों दलों के 50-50 सदस्यों वाली सीनेट के 100 में से 57 मत ही डेमोक्रेट्स जुटा सके। रिपब्लिकन की ओर से 43 मत ट्रंप के पक्ष में जरूर पड़े, लेकिन सात ने ट्रंप के खिलाफ मतदान किया।
कैपिटल हिल में छह जनवरी को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान गई थी। इसके लिए ट्रंप के भाषण को को जिम्मेदार मान कर यह महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्ज में पारित होने के बाद इसे सीनेट को भेजा गया था।
ट्रंप अमेरिका के इतिहास के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिनके खिलाफ दो दफा महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। वहीं पद छोड़ने के बाद महाभियोग का सामना करने वाले वे पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पहले फरवरी 2020 में उन पर महाभियोग चला था, जिसमें उन पर यूक्रेन के राष्ट्रपति के जरिए अपने चुनावी प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन के खिलाफ एक मामले में जांच शुरू करवाने के आरोप लगे थे। तब भी उच्च सदन में ही प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था।
सात रिपब्लिकन जिन्होंने ट्रंप के खिलाफ वोट डाला
रिपब्लिकन सांसदों बिल क्लासिडी, रिचर्ड बर, मिट रोमनी, सुजन कोलिंस, लीजा मुर्कोवस्की, बेन सास, पेट टूमे ने महाभियोग के समर्थन में मतदान किया। खास बात रही कि रिपब्लिकन सांसद मिच मैकोनल ने ट्रंप के समर्थन में अपना मत दिया। वे अब तक कैपिटल हिंसा के लिए ट्रंप को जिम्मेदार ठहराते आए हैं।
ट्रंप के समर्थन के पीछे उन्हाेंने तर्क दिया कि ट्रंप अब राष्ट्रपति नहीं हैं, उन पर महाभियोग चलाना संविधान के खिलाफ है। उन्हाेंने ट्रंप को चेताया भी कि वे अभी भी हिंसा के लिए अदालत में जवाबदेह हैं।
ट्रंप बोले : किसी राष्ट्रपति ने नहीं भोगा, वह मैं भोग रहा
महाभियोग पारित हो जाता तो ट्रंप 2024 या भविष्य का कोई भी राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ पाते, उन्हें आयोग्य घोषित कर दिया जाता। प्रस्ताव गिरने पर 74 साल के ट्रंप ने कहा, ‘किसी भी राष्ट्रपति को यह सब नहीं भोगना पड़ा, जो मैं भोग रहा हूं।
यह दुखद समय है जब अमेरिका में एक राजनीतिक दल को कानून के शासन को कलंकित करने, अनुपालन एजेंसियों को बदनाम करने, भीड़तंत्र को उकसाने, दंगाइयों को छोड़ने और न्याय को राजनीतिक बदला लेने के उपकरण में बदलने की छूट मिल चुकी है। वे जिससे सहमत नहीं होते उसे सजा देते हैं, ब्लैकलिस्ट करते हैं, उनके विचारों को दबाते हैं।’
फिर कहा, ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ अभियान तो अब शुरू
ट्रंप ने महाभियोग को किसी व्यक्ति के खिलाफ छेड़ा गया इतिहास का सबसे बड़ा अभियान करार दिया और कहा कि वे हमेशा कानून के शासन और शांतिपूर्ण व सम्मानजनक बहस के समर्थक रहे हैं। साथ ही
बताया कि वे अपनी यात्रा जारी रखेंगे, बल्कि ऐतिहासिक और देशभक्तिपूर्ण आंदोलन ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ तो अब शुरू हुआ है। आने वाले समय में वे नागरिकों से कई चीजें साझा करेंगे और अभियान को अभूतपूर्व ढंग से आगे ले जाएंगे। अमेरिका का भविष्य उज्जवल और असीम है।
उनके इस बयान से संभावना जताई जा रही है कि वे रिपब्लिकन पार्टी में रहकर ही आगे काम करेंगे। कुछ समय पूर्व माना जा रहा था कि वे नई पार्टी बना सकते हैं।
बाइडन ने कहा : प्रस्ताव भले पारित न हुआ, हिंसा ट्रंप ने ही करवाई
तीन नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को पराजित कर चुके राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि सीनेट में महाभियोग पारित न होना दर्शाता है कि लोकतंत्र कितना नाजुक है। हर अमेरिकी का कर्तव्य है कि वह लोकतंत्र व सत्य की रक्षा करे, इनके लिए हमेशा सतर्क रहे। उन्हाेंने अमेरिका में हिंसा और कट्टरपंथ खत्म करने का वादा दोहराया।
उन्हाेंने ट्रंप की आलोचना में कहा कि चाहे महाभियोग पारित नहीं हुआ, लेकिन प्रस्ताव में सामने आए आरोप तथ्यात्मक थे। इसके खिलाफ मतदान करने वाले भी मानते थे ट्रंप ही कैपिटल हिंसा के लिए नैतिक व व्यवहारिक रूप से जिम्मेदार थे।
बाइडन ने एक अन्य संदेश में छह जनवरी को हुई हिंसा को याद करते हुए कहा कि उस दिन बहादुरी से खड़े रहने वालों और अपनी जान गंवाने वालों के बारे में वे सोच रहे हैं। उस घटना से कई लोग आज भी डरे हुए हैं।
कलंकपूर्ण दिन, कायराना कदम : डेमोक्रेट्स
डेमोक्रेट नेता चक शूमर ने महाभियोग के खिलाफ मतदान करने वाले रिपब्लिकन पार्टी के 43 सांसदों के लिए कहा कि सीनेट के इतिहास में यह दिन कलंक के रूप में याद रखा जाएगा। वहीं हाउस अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि इन सांसदों ने संविधान, देश और नागरिकों की उपेक्षा की है। उन्हाेंने इसे कायराना कदम बताया।
रिपब्लिकन पार्टी पर कायम ट्रंप का नियंत्रण
महाभियोग पर मतदान में भले ही सात सांसदों ने खिलाफ मतदान किया, फिर भी रिपब्लिकन पार्टी पर ट्रंप का नियंत्रण नजर आया है। अधिकतर सांसद उनकी मर्जी के अनुसार चल रहे हैं। खास बात है कि चुनाव में हार और संसद में घटी सदस्य संख्या के बावजूद उनकी लोकप्रियता कायम है।
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A Nashville Rich Men In Us Left His Property Worth 36 Crore Rupees For His Pet Dog Lulu - अमेरिका: मालिक ने अपने पालतू कुत्ते के लिए करीब 36 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ी

A Nashville rich men in US left his property worth 36 crore rupees for his pet dog Lulu अमेरिका के नैशविले निवासी एक व्यक्ति ने बॉर्डर कोली नस्ल के अपने पालतू कुत्ते लुलू के लिए 50 लाख डॉलर (करीब 36 करोड़ रुपये) की संपत्ति छोड़ी है।

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Qatar Court Dismisses Mumbai Couples Punishment In Drug Case - चाची के चक्कर में जेल पहुंचे मुंबई के दंपती को कतर की कोर्ट से राहत, जानिए पूरा मामला

Qatar court dismisses Mumbai couple's punishment in drug case: मादक पदार्थ की तस्करी के मामले में कतर में दस साल कैद की सजा पाने वाले मुंबई के एक दंपती को राहत प्रदान करते हुए कतर की शीर्ष अदालत ने उनकी सजा को खारिज कर दिया और मामले की समीक्षा का आदेश दिया।

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Ttp Is Responsible For 100 Terrorist Attacks Last Year, Says Report - टीटीपी पिछले साल हुए 100 आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार हैः संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट


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 संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल सिर्फ तीन महीने में हुए 100 से ज्यादा आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कई छोटे आतंकवादी समूहों को अफगानिस्तान में फिर से एकजुट करने का काम किया है। इससे अफगानिस्तान और क्षेत्र में खतरा बढ़ने का अंदेशा है। इन छोटे-छोटे आतंकवादी समूहों को अलकायदा संचालित कर रहा था।
एनालिटिकल सपोर्ट ऐंड सैंक्शंस टीम की 27वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि टीटीपी ने अफनानिस्तान में छोटे-छोटे आतंकी समूहों को कथित रुप फिर से एक करने का काम किया है, जिसका संचालन अलकायदा कर रहा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और क्षेत्र में खतरा बढ़ने का अंदेशा है। उसमें कहा गया है कि जुलाई और अगस्त में पांच समूहों ने टीटीपी के प्रति निष्ठा का प्रण लिया था, जिसमें शेहरयार महसूद समूह, जमात-उल-अहरार, हिज्ब-उल-अहरार, अमजद फरूकी समूह और उस्मान सैफुल्लाह समूह (जिसे पहले लश्कर-ए-झांगवी के नाम से जाना जाता था) शामिल है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे टीटीपी की ताकत बढ़ी है और नतीजतन क्षेत्र में हमले बढ़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक आकलन के मुताबिक, टीटीपी में लड़ाकों की संख्या 2,500 से 6,000 है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीटीपी "जुलाई और अक्टूबर 2020 के बीच सीमा पार के देशों में 100 से अधिक हमलों के लिए जिम्मेदार है।
 संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल सिर्फ तीन महीने में हुए 100 से ज्यादा आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कई छोटे आतंकवादी समूहों को अफगानिस्तान में फिर से एकजुट करने का काम किया है। इससे अफगानिस्तान और क्षेत्र में खतरा बढ़ने का अंदेशा है। इन छोटे-छोटे आतंकवादी समूहों को अलकायदा संचालित कर रहा था।
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एनालिटिकल सपोर्ट ऐंड सैंक्शंस टीम की 27वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि टीटीपी ने अफनानिस्तान में छोटे-छोटे आतंकी समूहों को कथित रुप फिर से एक करने का काम किया है, जिसका संचालन अलकायदा कर रहा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और क्षेत्र में खतरा बढ़ने का अंदेशा है। उसमें कहा गया है कि जुलाई और अगस्त में पांच समूहों ने टीटीपी के प्रति निष्ठा का प्रण लिया था, जिसमें शेहरयार महसूद समूह, जमात-उल-अहरार, हिज्ब-उल-अहरार, अमजद फरूकी समूह और उस्मान सैफुल्लाह समूह (जिसे पहले लश्कर-ए-झांगवी के नाम से जाना जाता था) शामिल है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे टीटीपी की ताकत बढ़ी है और नतीजतन क्षेत्र में हमले बढ़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक आकलन के मुताबिक, टीटीपी में लड़ाकों की संख्या 2,500 से 6,000 है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीटीपी "जुलाई और अक्टूबर 2020 के बीच सीमा पार के देशों में 100 से अधिक हमलों के लिए जिम्मेदार है।
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