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बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशी बाजारों में तेजी रही। मलेशिया एक्सचेंज बंद रहा लेकिन शिकॉगो एक्सचेंज में शुक्रवार देर रात को वायदा कारोबार में सोयाबीन डीगम के दिसंबर डिलिवरी वाले अनुबंध की कीमत में दो प्रतिशत की तेजी आई। राजस्थान के नीमच में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी भाव 9,225 रुपये क्विन्टल हो गया जो एक रिकॉर्ड है। जबकि महाराष्ट्र के नांदेड में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी हाजिर भाव 9,200 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इससे पॉल्ट्री वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की घरेलू मांग को देखते हुए सरकार को इसके निर्यात पर रोक लगा देनी चाहिये। सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आयेगी। सूत्रों ने बताया कि तेल आयातकों की हालत खस्ता है और जिस भाव पर वे आयात कर रहे हैं, उन्हें यहां उससे कम कीमत पर उसे बेचना पड़ रहा है। इससे बैंकों के कर्ज डूबने की आशंका हो सकती है। यही हाल तेल रिफायनिंग कंपनियों का है जो भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोयाबीन दाने की कमी की वजह से राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई स्थानों पर तेल पेराई मिलें लगभग 80 प्रतिशत की संख्या में बंद हो चुकी हैं। सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन जैसा हाल कहीं सरसों का न हो, इसके लिए सरकार की ओर से हाफेड को बाजार भाव से सरसों की खरीद कर इसका स्टॉक जमा कर लेना चाहिये। ताकि उसकी पेराई मिलें भी चलें और आगामी बिजाई के समय सरसों बीज की किल्लत न होने पाये। तेल मिलों के पास सरसों का थोड़ा बहुत स्टॉक बचा है जबकि व्यापारियों के पास कोई स्टॉक नहीं रह गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष हाफेड इन्हीं दिनों में प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख बोरी सरसों की बिक्री करता था, जब उसके पास स्टॉक जमा था। सरसों सलोनी का आगरा और कोटा में भाव 8,100 रुपये से बढ़कर 8,200 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया। सूत्रों ने कहा कि सामान्य कारोबार के बीच मांग कमजोर रहने से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। मांग होने से बिनौला तेल के साथ-साथ सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार दर्ज हुआ। बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल) सरसों तिलहन - 7,725 - 7,775 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये। मूंगफली दाना - 5,845 - 5,990 रुपये। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,300 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,205 - 2,335 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 15,300 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,500 -2,550 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,600 - 2,710 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,000 - 17,500 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 15,050 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,850 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,450 रुपये। सीपीओ एक्स-कांडला- 11,400 रुपये। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,400 रुपये। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,350 रुपये। पामोलिन एक्स- कांडला- 12,300 (बिना जीएसटी के) सोयाबीन दाना 9,000 - 9,050, सोयाबीन लूज 8,850 - 8,900 रुपये मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये भाषा राजेश राजेश अजय
शुक्रवार को मुख्य सचिव एस सी महापात्र की अध्यक्षता में डिजिटल तरीके से हुई बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास सचिव आर रघु प्रसाद ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। खारे पानी की मछली का उत्पादन वर्ष 2011-12 के 11,460 टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 97,125 टन हो गया है, जो रिकॉर्ड वृद्धि दर्शाता है। इसी अवधि के दौरान खारे पानी की जलीय कृषि का क्षेत्र भी 5,860 हेक्टेयर से बढ़कर 17,780 हेक्टेयर हो गया। कोविड-19 के कारण आर्थिक मंदी के बावजूद ओडिशा से समुद्री खाद्य निर्यात मूल्य भी वर्ष 2011-12 के 801 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 3,107 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2011-12 में निर्यात की मात्रा लगभग 21,311 टन थी जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 60,718 टन हो गई। प्रसाद ने कहा, "ओडिशा समुद्री भोजन ने विशेष रूप से जापान, चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व के देशों में वैश्विक बाजार पर कब्जा जमाया है।" उन्होंने यह भी कहा: "राज्य में सरकारी और निजी भूमि दोनों में ही खारे जलीय कृषि की अधिक संभावना है। यह क्षेत्र अधिक निजी निवेश को आकर्षित कर सकता है।’’ क्षेत्र की क्षमता को ध्यान में रखते हुए, मुख्य सचिव ने राजस्व और आपदा प्रबंधन, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास, वन और पर्यावरण विभाग और ओडिशा औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास निगम (आईडीसीओ) के विभागों को राज्य में खारे पानी की जलीय कृषि की उपलब्ध क्षमता के दोहन के लिए एक गतिशील और सुविधाजनक नीति तैयार करने का निर्देश दिया। मत्स्य अधिकारियों और संबंधित कलेक्टरों के साथ निकट समन्वय में आईडीसीओ को विभिन्न जिलों में संभावित भूमि की पहचान करने और इस उद्देश्य के लिए एक भूमि बैंक विकसित करने का निर्देश दिया गया। मुख्य सचिव ने आईडीसीओ को क्लस्टरों में भूमि की पहचान करने और जलीय कृषि पार्कों के निर्माण के लिए खारे पानी की निकासी, सड़क और बिजली संपर्क जैसी सुविधाओं को विकसित करने का भी निर्देश दिया। विभिन्न स्तरों पर कार्यरत मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास के अधिकारियों को कार्यक्रम को सक्रिय रूप से चलाने के लिए कहा गया। अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण, डॉ मोना शर्मा ने तटीय क्षेत्र नियामक क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना और तटीय जलकृषि प्राधिकरण अधिनियम के नियमों को ध्यान में रखते हुए खारे पानी की जलीय कृषि के लिए भूमि खंड की पहचान करने की सलाह दी ताकि भविष्य में किसानों को किसी भी तरह की परेशानी से बचाया जा सके। . मुख्य सचिव ने स्वयं सहायता समूहों, प्राथमिक मछुआरा सहकारी समितियों, महिला सहकारी समितियों, शिक्षित बेरोजगार उद्यमी युवाओं, साझेदारी फार्मों और राज्य के स्वामित्व वाली सहकारी समितियों को व्यावसायिक आधार पर लाकर क्षेत्र में संभावनाओं का दोहन करने के भी निर्देश दिए। सरकारी सूत्रों ने कहा कि पांच प्रमुख तटीय जिलों बालासोर, भारदक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी और गंजम में विभिन्न तहसीलों को खारे पानी की जलीय कृषि के लिए लगभग 2,000 आवेदन जमा किए गए थे। भाषा राजेश राजेश अजय
आईएमएफए ने एक नियामकीय सूचना में यह जानकारी दी। इससे पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी ने 24.82 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया था। समीक्षाधीन तिमाही के दौरान, कंपनी की कुल आय एक साल पहले के 422.29 करोड़ रुपये से बढ़कर 541.91 करोड़ रुपये हो गई। पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 383.93 करोड़ रुपये के मुकाबले समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी का कुल खर्च 405.29 करोड़ रुपये रहा। एक बयान में, कंपनी के प्रबंध निदेशक, सुभ्रकांत पांडा ने कहा, ‘‘पहली तिमाही का प्रदर्शन असाधारण रहा है जो स्थिर परिचालन और वैश्विक स्तर पर कीमतों में तेजी से प्रेरित है।’’ भुवनेश्वर (ओडिशा) मुख्यालय वाली आईएमएफए 2.84 लाख टन की वार्षिक क्षमता के साथ मूल्यवर्धित फेरो क्रोम की भारत का अग्रणी पूर्ण एकीकृत उत्पादक है। भाषा राजेश राजेश अजय
शुक्रवार को मुख्य सचिव एस सी महापात्र की अध्यक्षता में डिजिटल तरीके से हुई बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास सचिव आर रघु प्रसाद ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। खारे पानी की मछली का उत्पादन वर्ष 2011-12 के 11,460 टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 97,125 टन हो गया है, जो रिकॉर्ड वृद्धि दर्शाता है। इसी अवधि के दौरान खारे पानी की जलीय कृषि का क्षेत्र भी 5,860 हेक्टेयर से बढ़कर 17,780 हेक्टेयर हो गया। कोविड-19 के कारण आर्थिक मंदी के बावजूद ओडिशा से समुद्री खाद्य निर्यात मूल्य भी वर्ष 2011-12 के 801 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 3,107 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2011-12 में निर्यात की मात्रा लगभग 21,311 टन थी जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 60,718 टन हो गई। प्रसाद ने कहा, "ओडिशा समुद्री भोजन ने विशेष रूप से जापान, चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व के देशों में वैश्विक बाजार पर कब्जा जमाया है।" उन्होंने यह भी कहा: "राज्य में सरकारी और निजी भूमि दोनों में ही खारे जलीय कृषि की अधिक संभावना है। यह क्षेत्र अधिक निजी निवेश को आकर्षित कर सकता है।’’ क्षेत्र की क्षमता को ध्यान में रखते हुए, मुख्य सचिव ने राजस्व और आपदा प्रबंधन, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास, वन और पर्यावरण विभाग और ओडिशा औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास निगम (आईडीसीओ) के विभागों को राज्य में खारे पानी की जलीय कृषि की उपलब्ध क्षमता के दोहन के लिए एक गतिशील और सुविधाजनक नीति तैयार करने का निर्देश दिया। मत्स्य अधिकारियों और संबंधित कलेक्टरों के साथ निकट समन्वय में आईडीसीओ को विभिन्न जिलों में संभावित भूमि की पहचान करने और इस उद्देश्य के लिए एक भूमि बैंक विकसित करने का निर्देश दिया गया। मुख्य सचिव ने आईडीसीओ को क्लस्टरों में भूमि की पहचान करने और जलीय कृषि पार्कों के निर्माण के लिए खारे पानी की निकासी, सड़क और बिजली संपर्क जैसी सुविधाओं को विकसित करने का भी निर्देश दिया। विभिन्न स्तरों पर कार्यरत मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास के अधिकारियों को कार्यक्रम को सक्रिय रूप से चलाने के लिए कहा गया। अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण, डॉ मोना शर्मा ने तटीय क्षेत्र नियामक क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना और तटीय जलकृषि प्राधिकरण अधिनियम के नियमों को ध्यान में रखते हुए खारे पानी की जलीय कृषि के लिए भूमि खंड की पहचान करने की सलाह दी ताकि भविष्य में किसानों को किसी भी तरह की परेशानी से बचाया जा सके। . मुख्य सचिव ने स्वयं सहायता समूहों, प्राथमिक मछुआरा सहकारी समितियों, महिला सहकारी समितियों, शिक्षित बेरोजगार उद्यमी युवाओं, साझेदारी फार्मों और राज्य के स्वामित्व वाली सहकारी समितियों को व्यावसायिक आधार पर लाकर क्षेत्र में संभावनाओं का दोहन करने के भी निर्देश दिए। सरकारी सूत्रों ने कहा कि पांच प्रमुख तटीय जिलों बालासोर, भारदक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी और गंजम में विभिन्न तहसीलों को खारे पानी की जलीय कृषि के लिए लगभग 2,000 आवेदन जमा किए गए थे। भाषा राजेश राजेश अजय
बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशी बाजारों में तेजी रही। मलेशिया एक्सचेंज बंद रहा लेकिन शिकॉगो एक्सचेंज में शुक्रवार देर रात को वायदा कारोबार में सोयाबीन डीगम के दिसंबर डिलिवरी वाले अनुबंध की कीमत में दो प्रतिशत की तेजी आई। राजस्थान के नीमच में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी भाव 9,225 रुपये क्विन्टल हो गया जो एक रिकॉर्ड है। जबकि महाराष्ट्र के नांदेड में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी हाजिर भाव 9,200 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इससे पॉल्ट्री वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की घरेलू मांग को देखते हुए सरकार को इसके निर्यात पर रोक लगा देनी चाहिये। सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आयेगी। सूत्रों ने बताया कि तेल आयातकों की हालत खस्ता है और जिस भाव पर वे आयात कर रहे हैं, उन्हें यहां उससे कम कीमत पर उसे बेचना पड़ रहा है। इससे बैंकों के कर्ज डूबने की आशंका हो सकती है। यही हाल तेल रिफायनिंग कंपनियों का है जो भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोयाबीन दाने की कमी की वजह से राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई स्थानों पर तेल पेराई मिलें लगभग 80 प्रतिशत की संख्या में बंद हो चुकी हैं। सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन जैसा हाल कहीं सरसों का न हो, इसके लिए सरकार की ओर से हाफेड को बाजार भाव से सरसों की खरीद कर इसका स्टॉक जमा कर लेना चाहिये। ताकि उसकी पेराई मिलें भी चलें और आगामी बिजाई के समय सरसों बीज की किल्लत न होने पाये। तेल मिलों के पास सरसों का थोड़ा बहुत स्टॉक बचा है जबकि व्यापारियों के पास कोई स्टॉक नहीं रह गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष हाफेड इन्हीं दिनों में प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख बोरी सरसों की बिक्री करता था, जब उसके पास स्टॉक जमा था। सरसों सलोनी का आगरा और कोटा में भाव 8,100 रुपये से बढ़कर 8,200 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया। सूत्रों ने कहा कि सामान्य कारोबार के बीच मांग कमजोर रहने से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। मांग होने से बिनौला तेल के साथ-साथ सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार दर्ज हुआ। बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल) सरसों तिलहन - 7,725 - 7,775 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये। मूंगफली दाना - 5,845 - 5,990 रुपये। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,300 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,205 - 2,335 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 15,300 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,500 -2,550 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,600 - 2,710 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,000 - 17,500 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 15,050 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,850 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,450 रुपये। सीपीओ एक्स-कांडला- 11,400 रुपये। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,400 रुपये। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,350 रुपये। पामोलिन एक्स- कांडला- 12,300 (बिना जीएसटी के) सोयाबीन दाना 9,000 - 9,050, सोयाबीन लूज 8,850 - 8,900 रुपये मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये भाषा राजेश राजेश अजय
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मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में चांदी के सितंबर डिलीवरी वाले वायदा अनुबंध का भाव 87 रुपये यानी 0.13 प्रतिशत की तेजी के साथ 67,461 रुपये प्रति किलो हो गया। इस वायदा अनुबंध में 12,017 लॉट के लिये सौदे किये गये। बाजार विश्लेषकों ने कहा कि चांदी वायदा कीमतों में तेजी आने का कारण घरेलू मांग में तेजी के बीच कारोबारियों द्वारा ताजा सौदों की लिवाली करना था। वैश्विक स्तर पर, हालांकि न्यूयार्क में चांदी का भाव 0.23 प्रतिशत की तेजी के साथ 25.44 डालर प्रति औंस हो गया। भाषा राजेश राजेश
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चातेल के अगस्त डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत छह रुपये अथवा 0.11 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,349 रुपये प्रति बैरल हो गई जिसमें 6,443 लॉट के लिए कारोबार हुआ। बाजार विश्लेषकों ने कहा कि कारोबारियों द्वारा अपने सौदों का आकार बढ़ाने से कच्चातेल वायदा कीमतों में तेजी आई। वैश्विक स्तर पर, न्यूयॉर्क में वेस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल का दाम 0.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 71.74 डालर प्रति बैरल रह गया। वैश्विक मानक माने जाने वाले ब्रेंट क्रूड का दाम 0.18 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73.66 डालर प्रति बैरल रह गया। भाषा राजेश राजेश